कर्नाटक की रहने वाली रोजा रेड्डी ने ऑर्गेनिक खेती के लिए अपनी कॉर्पोरेट जॉब छोड़ दी। अपनी बंजर ज़मीन पर ऑर्गेनिक खेती करने का फैसला किया और आज इस क्षेत्र में न केवल महारत हासिल की है, बल्कि हर साल करोड़ रुपये भी कमा रही हैं।
हिमाचल के मंडी जिले के नांज गांव के नेकराम शर्मा ने 40 तरह के अनाज का एक अनूठा देसी बीज बैंक बनाया है। इस बीज बैंक में कई ऐसे अनाज हैं, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं और कई ऐसे भी हैं, जिनके बारे में आपने शायद ही सुना हो।
मेरठ के रहनेवाले मनीष भारती, अपने गाँव से ‘भारती मिल्क स्पलैश' ब्रांड नेम के साथ शहरभर में दूध बेच रहे हैं। इसके साथ ही, वह एक कैफ़े और ऑर्गेनिक स्टोर भी चलाते हैं। पढ़ें कैसे, MBA की पढ़ाई के बाद गाँव में रहकर ही उन्होंने बनाई अपनी पहचान।
सितम्बर महीने की शुरुआत में ही बोने होते हैं इन पांच सब्जियों के बीज, तभी ठंड में खा पाएंगे ताज़ी हरी सब्जियां। पढ़ें, इन्हें उगाने और देखभाल से जुड़ी ज़रूरी बातें।
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में जन्मे चंद्रशेखर पांडे अपनी पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ रोज़गार की तलाश में सपनों की नगरी मुंबई में जा बसे. शहर में वह अपने सभी अरमान पूरे करते हुए तरक्की कर रहे थे, लेकिन इस बीच गांव और अपनी मिट्टी के लिए लगाव भी बढ़ता रहा। जानें 22 साल बाद आख़िर ऐसा क्या हुआ कि नौकरी छोड़कर वह वापस गांव लौट आये.
हिमाचल प्रदेश के ऊना गांव में रीवा सूद, ऑर्गेनिक खेती के ज़रिए अपने अनोखे खेत में अश्वगंधा, सर्पगंधा, काली गेहूं, स्टीविया, लेमनग्रास और कई चीजें उगाने के साथ-साथ, महिलाओं को सशक्त बनाने की कोशिश भी कर रही हैं।
रिटायरमेंट के बाद अक्सर लोग आराम भरा जीवन जीने के सपने देखते हैं, लेकिन आयकर अधिकारी आर के पालीवाल ने रिटायरमेंट के बाद 20 एकड़ खेत पर कम्युनिटी फार्मिंग करना शुरू किया, जिसके जरिए वह जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहते हैं। इससे पहले भी नौकरी में रहते हुए वह मॉडल गांव के लिए काम करते रहते थे।
उज्जैन से करीब 50 किमी दूर बड़नगर में बना एक नेचुरल फार्म स्टे- जीवंतिका को दो आईआईटी टॉपर्स साक्षी भाटिया और अर्पित माहेश्वरी ने अपने जीवन के अनुभवों से बनाया है।