गुजरात के पाटण में रहनेवाली तन्वी बेन और उनके पति एक प्राइवेट जॉब कर रहे थे। लेकिन दोनों ने अपनी नौकरी छोड़ जैविक खेती करने का फैसला किया और अब बड़े पैमाने पर मधुमक्खी पालन कर लाखों कमा रहे हैं।
सूरत के पास, अंभेटी गांव के रहनेवाले कमलेश पटेल ने साल 2015 में खुद जैविक खेती को अपनाया और गांव के कई दूसरे किसानों के लिए जैविक खाद बनाकर उन्हें भी जीरो बजट खेती सिखाई।
पंजाब के चोगावान साधपुर गांव के रहने वाले यदविंदर सिंह हल्दी की खेती की खेती करते हैं। आज उनके उत्पाद भारत के कई राज्यों के अलावा अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी जा रहे हैं। पढ़िए इस किसान की यह प्रेरक कहानी!
जयपुर में रहने वाले 45 वर्षीय प्रतीक तिवारी ने MNC की नौकरी छोड़ पोर्टेबल फार्मिंग सिस्टम का बिजनेस शुरू किया है, जिसके तहत वह देश के 25 से अधिक शहरों में 1500 से अधिक घरों को खेती से जोड़ चुके हैं।
महाराष्ट्र के पालघर जिले के छोटे से गांव ऐनशेत में रोहन सुधीर ठाकरे ने खेतों के बीचो-बीच एक फार्मस्टे (farmstay near mumbai) बनवाया है। यहां लोग खेतों में रहते हुए गांव के जीवन का मज़ा ले सकते हैं।
टिहरी गढ़वाल के मैड तल्ला गांव में रहने वाले सुंदर लाल चमोली और उनकी पत्नी बिगुला चमोली पिछले 20 सालों से भी ज्यादा समय से पहाड़ों में जैविक तरीकों से खेती कर रहे हैं।
सतारा (महाराष्ट्र) के किसान, अशोक जाधव ने खरपतवार हटाने के लिए एक ऐसा किफायती डिवाइस बनाया है, जिसे चलाने के लिए न तो किसी तरह के ईंधन की जरुरत है और न ही ज्यादा रखरखाव की।
डीसा (गुजरात) के मयूर प्रजापति अपनी नर्सरी में किसानों के लिए मौसमी सब्जियों के पौधे तैयार करते हैं। इस हाई-टेक नर्सरी से वह खुद तो अच्छा मुनाफा कमा ही रहे हैं, साथ ही दूसरे किसानों को भी समय से अपनी फसल तैयार करने में मदद कर रहे हैं।