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30 सालों से बचा रहे देसी अनाज, दस हज़ार किसानों को मुफ्त में बांटे बीज

Nekram Sharma in grain farms

हिमाचल के मंडी जिले के नांज गांव के नेकराम शर्मा ने 40 तरह के अनाज का एक अनूठा देसी बीज बैंक बनाया है। इस बीज बैंक में कई ऐसे अनाज हैं, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं और कई ऐसे भी हैं, जिनके बारे में आपने शायद ही सुना हो।

रुपए-पैसे जमा करने वाले बैंक तो आपने देखे होंगे या फिर ब्लड बैंक का नाम सुना होगा; लेकिन क्या आपने कभी ‘बीज बैंक’ के बारे में सुना है? हिमाचल के मंडी जिले के नांज गांव के नेकराम शर्मा ने 40 तरह के अनाज का एक अनूठा देसी बीज बैंक बनाया है। इसमें कई ऐसे अनाज हैं जो विलुप्त होने की कगार पर हैं और कई ऐसे भी हैं जिनके बारे में आपने शायद ही सुना हो।

नेकराम के इस अनोखे सीड बैंक के ज़रिए दर्जनों पुराने अनाज को भविष्य के लिए सहेजने का काम किया जा रहा है। वह न सिर्फ़ इन अनाज को आगे की पीढ़ियों के लिए बचा रहे हैं, बल्कि इन्हें देशभर के किसानों तक पहुंचाकर बढ़ावा देने का काम भी कर रहे हैं।

कैसे हुई देसी बीज बैंक की शुरुआत?

Nekram checking seeds to distribute

नेकराम अब तक 10 हज़ार किसानों को बीज बांट चुके हैं। उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, “बीजों को बचाने का काम मैंने 1992 में शुरू किया था। 1990 के दशक में हरित क्रांति का ज़ोर था, इस दौरान मैंने देखा कि जो बीज हम लगा रहे थे, उनसे हर साल उपज घट रही थी और कृषि लागत बढ़ रही थी। जबकि जो पुराने बीज थे उनमें पैदावार भी सही थी और लागत भी न के बराबर थी। बस फिर क्या, मैनें हाइब्रिड बीजों की जगह लोकल बीजों का ज़्यादा इस्तेमाल किया और मुझे इससे काफ़ी अच्छी उपज मिली। इसके बाद मेरी, देसी बीजों के लिए दिलचस्पी बढ़ती गई और आज मैं अपने खेतों में सिर्फ़ लोकल बीजों का ही इस्तेमाल करता हूं।”

अनाज को कैसे बचा रहे हैं?

नेकराम शर्मा, बेहद पोषण वाले चिणा, कोदा, काउणी, बाजरा, ज्वार, मसर, रामदाना, चार तरह की चावल की किस्में, पांच तरह की गेहूं की किस्में, चार तरह की मक्की, तीन तरह का जौ, चौलाई, राजमा, सोयाबीन और माश की दाल के अलावा और भी कई तरह के पुराने अनाज को बचाकर अपने देसी बीज बैंक में संजो रहे हैं।

Nekram spreading awareness among farmers

वह इन बीजों को मुफ़्त में किसानों को बांटते हैं और हर एक से कहते हैं कि वो और दस किसानों को इनके बारे में बताएं और ये बीज उन्हें दें। वह खुद अब तक 10 हज़ार से ज़्यादा किसानों को ये बीज बांट चुके हैं।

लोगों को कैसे किया तैयार?

नेकराम शर्मा ने लोगों को मोटे अनाज के प्रति जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों की मदद ली। उन्होंने इन डॉक्टरों के साथ अलग-अलग गाँवों में जाकर कैंप लगाए और लोगों को बताया कि मोटे अनाज किस तरह सेहत के लिए फ़ायदेमंद हैं।

इसके अलावा, नेकराम ने देश के अलग-अलग इलाकों से इकट्ठा किए हुए पुराने अनाज की बीजें किसानों को बांटना शुरू कीं। इस तरह उनकी इस पहल से लोग जुड़ते गए और आज, हिमाचल के लगभग सभी इलाकों में लाखों किसान अपने स्तर पर पुराने अनाज उगाना शुरू कर चुके हैं।

नेकराम की पत्नी रामकली बताती हैं, “शुरू में तो मुझे, पुराने मोटे अनाज के लिए अपने पति की दिलचस्पी समझ नहीं आई। कई लोग इन्हें पागल भी कहने लगे थे, लेकिन जब मैंने मोटे अनाज के महत्व और इनके फ़ायदे जाने, तो मैं भी उनका साथ देने लग गई। अब मैं बीजों को संभालकर रखने और तैयार फसलों से बीजों की छंटाई करने में अपने पति की मदद करती हूं।”

Nekram Sharma with wife

नेकराम मोटे अनाज को खेती के प्राकृतिक तरीक़ों से उगाने के लिए किसानों को प्रेरित करते हैं। वह कहते हैं कि जितने भी मोटे अनाज हैं, इन्हें केमिकल की ज़रूरत नहीं होती। ये कम पानी और कठिन परिस्थितियों में भी अच्छी तरह बढ़ते हैं। उन्होंने बताया कि इनसे बीमारियों का ख़तरा नहीं होता और पैदावार भी बहुत अच्छी होती है।
इसके अलावा, नेकराम कहते हैं कि इन मोटे अनाज को 20 से 30 सालों तक साधारण तरीक़े से स्टोर करके आराम से रखा जा सकता है। जैसे वह इन्हें अपने देसी बीज बैंक में रखते हैं।

इस मुहिम में नेकराम ने एक कविता भी लिखी है-

बीज हमें जो मिले थे पुरखों से, उनकी कदर न की हमने,
मौसम की मार झेलने की क्षमता थी उनमें, यह कदर न जानी हमने।
दाना सभी का था बारीक, मगर नाम दिया उनको मोटा,
पौष्टिकता से थे ये भरपूर, रोगों का भी झंझट न होता।
घास वर्गीय है यह प्रजाति, बिना बीजे भी खुद उग आते,
चींटी, चिड़िया का भी भोजन, मानव को भी निरोग बनाते।
कोदा, काउणी, शौंक, चिणा, बिथू, उगता सभी दालों के साथ,
बदल-बदलकर प्रतिदिन रसोई में बना, कभी न होता हृदयाघात।
ऋषियों ने दी थी हमें यह सौगात, मगर हमने खाया सिर्फ़ गेहूं और भात।।

Grain Plants

अगर आप नेकराम शर्मा से देसी अनाज के बारे में जानकारी या बीज लेने के इच्छुक हैं, तो उनसे 9817019281 पर संपर्क कर सकते हैं।

संपादन: भावना श्रीवास्तव

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