"एक बार दो महीने मेहनत करके मेरे पिता ने मक्के के बीज बोए, खाद डाला,पौधे भी हुए लेकिन समय पर बारिश नहीं हुई तो पूरी फसल बर्बाद हो गयी। तब पापा ने मुझसे कहा कि बेटा आगे जाकर कुछ ऐसी पढ़ाई करो जिससे हमारी ये समस्या ख़त्म हो सकें। तब से मैंने इसके बारे कुछ करने का ठान ली।"
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HomeAuthorsप्रीति टौंक

प्रीति टौंक
मूल रूप से झारखंड के धनबाद से आनेवाली, प्रीति ने 'माखनलाल पत्रकारिता यूनिवर्सिटी' से पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। ऑल इंडिया रेडियो और डीडी न्यूज़ से अपने करियर की शुरुआत करने वाली प्रीति को, लेखन के साथ-साथ नयी-नयी जगहों पर घूमने और अपनी चार साल की बेटी के लिए बेकिंग करने का भी शौक है।
शैवाल उगाकर महिला किसान हुई मालामाल
By प्रीति टौंक
कृषि में हरे सोने के नाम से जाना जाता है शैवाल, जिसकी मांग आज दवाई से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने में काफी ज्यादा है। एक वक्त था जब आम लोग ही नहीं किसान भी इस सुपरफूड और इसके गुणों से अंजान थे, लेकिन हिम्मत करके एक महिला किसान ने 10 साल पहले इसे उगाना शुरू किया और आज इसे देश के 1200 से ज्यादा किसानों के बीच लोकप्रिय बना दिया।