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इस कश्मीरी कृषि इंजीनियर ने किए एक-दो नहीं, बल्कि 8 से ज़्यादा आविष्कार, बना रहे खेती आसान

By प्रीति टौंक

मिलिए, शालीमार (जम्मू-कश्मीर) के कृषि इंजीनियर और वैज्ञानिक, डॉ. मोहम्मद मुज़मिल से, जिन्हें खेती में इतनी रुचि है कि उन्होंने किसानों की मदद के लिए एक नहीं, आठ से ज़्यादा आविष्कार किए हैं।

'सिस्टर्स किचन': अहमदाबाद की ये तीन बहनें सिर्फ रु. 90 में खिलाती हैं भरपेट खाना

By प्रीति टौंक

अहमदाबाद का ‘सिस्टर्स किचन' में तीन बहनें मात्र 90 रुपये में भर पेट खाना खिला रही हैं। पढ़ें, कैसे उन्होंने अपने पिता की याद में इस बिज़नेस की शुरुआत की।

30 सालों से बचा रहे देसी अनाज, दस हज़ार किसानों को मुफ्त में बांटे बीज

By रोहित पराशर

हिमाचल के मंडी जिले के नांज गांव के नेकराम शर्मा ने 40 तरह के अनाज का एक अनूठा देसी बीज बैंक बनाया है। इस बीज बैंक में कई ऐसे अनाज हैं, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं और कई ऐसे भी हैं, जिनके बारे में आपने शायद ही सुना हो।

अमेरिका से नौकरी छोड़ भारत लौटे रॉबिन, आज हज़ारों बेज़ुबानों के लिए कर रहे हैं काम

By प्रीति टौंक

अमेरिका की नौकरी और वेल सेटल्ड लाइफ छोड़कर, दिल्ली के रॉबिन सिंह अपनी संस्था ‘पीपल फार्म’ के ज़रिए अब बेसहारा जानवरों की सेवा कर रहे हैं। पढ़ें, कैसे हिमाचल प्रदेश की स्पिति घाटी के कुत्तों के लिए उनकी टीम एक विशेष प्रोग्राम के तहत काम कर रही है।

शहरों में खेती को आसान बना रहे मिथिलेश, पीवीसी पाइप में लोगों के लिए तैयार करते हैं गार्डन

By प्रीति टौंक

शहर में जगह और समय की कमी की वजह से जो लोग चाहते हुए भी सब्जियां नहीं उगा पा रहे, उनकी मदद कर रहा है मिथिलेश का स्टार्टअप ‘वेज रूफ’। पढ़ें कैसे एक इंजीनियर ने शुरू किया शहर में खेती करना।

सितम्बर में बोएं इन 5 सब्जियों के बीज, ठंड में उठा सकेंगे ताज़ा सब्जियों का मज़ा

By प्रीति टौंक

सितम्बर महीने की शुरुआत में ही बोने होते हैं इन पांच सब्जियों के बीज, तभी ठंड में खा पाएंगे ताज़ी हरी सब्जियां। पढ़ें, इन्हें उगाने और देखभाल से जुड़ी ज़रूरी बातें।

निमिष ने बांटी गणपति की 500 अनोखी मूर्तियां, विसर्जन के बाद देती हैं फल और सब्जियां

By द बेटर इंडिया

एमबीए और एमकॉम की पढाई कर बड़ी कोचिंग में कार्यरत, 25 साल के निमिष गौतम ने गणेश चतुर्थी पर अनोखे इको फ्रेंडली गणेश की 500 मूर्तियां बनाकर लोगों को सवा रुपये में बांटी हैं, जिससे आस्था और पर्यावरण दोनों सुरक्षित रहें।

22 साल बाद नौकरी छोड़ गांव लौटे चंद्रशेखर, अब जड़ी-बूटियों की खेती से कमा रहे हैं लाखों

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में जन्मे चंद्रशेखर पांडे अपनी पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ रोज़गार की तलाश में सपनों की नगरी मुंबई में जा बसे. शहर में वह अपने सभी अरमान पूरे करते हुए तरक्की कर रहे थे, लेकिन इस बीच गांव और अपनी मिट्टी के लिए लगाव भी बढ़ता रहा। जानें 22 साल बाद आख़िर ऐसा क्या हुआ कि नौकरी छोड़कर वह वापस गांव लौट आये.