1982 में कानपुर से मुंबई आए राजू श्रीवास्तव ने सालों के संघर्ष के बाद एक टेलीविज़न शो के ज़रिए बनाई अपनी पहचान, आज गजोधर भईया हैं पूरी दुनिया में मशहूर। पढ़ें, उनकी सफलता की कहानी।
राजस्थान के गर्म इलाके में, जहाँ पौधे उगाना लगभग नामुमकिन जैसा लगता है, ऐसे में बाड़मेर के आनंद माहेश्वरी ने अपने घर पर 150 से अधिक किस्म के हजारों पौधे उगाए हैं, वह भी खाली डिब्बों और प्लास्टिक बैग्स में।
दिल्ली पुलिस में तैनात महिला ASI यानी सहायक पुलिस निरीक्षक सुनीता अंतिल ने अपने साहस से अब तक 75 मिसिंग बच्चों को ढूंढ़कर, उन्हें उनके परिवार से मिलाने में कामयाबी हासिल की है। इस उपलब्धि के बाद विभाग ने उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने का फैसला लिया है।
ओड़िशा के रहने वाले सूरज कुमार बेहरा के पिता एक अस्पताल के सामने चाय की रेहड़ी लगाते हैं। बचपन से ही सूरज का सपना था कि वह डॉक्टर बनें। लेकिन कोचिंग की फ़ीस भरने तक के पैसे नहीं थे। पढ़ें, ऐसे हालातों के बावजूद सूरज ने कैसे NEET क्रैक करके बदली अपनी और परिवार की क़िस्मत।
साल 2008 से लखनऊ की वीणा आनंद Didi's नाम से एक अनोखा ग्रुप चला रही हैं, जिसके तहत वह ऐसी महिलाओं को काम दे रही हैं, जो जीवन में किसी मुसीबत में फंसी हुई हैं।
'माँ सरस्वती सेल्फ हेल्प ग्रुप' के तहत, लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) के समैसा गांव की 27 महिलाएं केले के तने से रेशे बना रही हैं। ग्रुप की अध्यक्षा पूनम देवी ने अपने साथ इन महिलाओं को भी रोज़गार की नई राह दिखाई है।
बाड़मेर की बेटी लक्ष्मी गढ़वीर मिसाल बन गई हैं। छोटे से गाँव मंगले की बेरी की छोटी सी मेघवालों की बस्ती की रहने वाली लक्ष्मी, दलित समुदाय से अपने जिले की पहली महिला सब-इंस्पेक्टर बन गई हैं!
दिल्ली की रहनेवाली मैरी जॉर्ज के घर में एक सुंदर आर्किड गार्डन है। उनके घर में गुलाब सहित 1,000 से ज़्यादा पौधे लगे हैं। चालिए जानें उनसे आर्किड के फूल को लगाने का आसान तरीका क्या है?