लॉकडाउन में समय जब शहर में लोगों को फल-सब्जियां ख़रीदने के लिए लंबी लाइनें लगानी पड़ती थीं और हर कोई अपने खाने और उसमें मौजूद पोषण की ज़रुरत समझने लगा था; तब कुछ लोगों ने समय का फ़ायदा उठाते हुए घर पर ही किचन गार्डन बनाकर सब्जियां उगाना शुरू कर दिया, तो कुछ ने बाज़ार में मिलने वाली ऑर्गेनिक चीज़ों का इस्तेमाल शुरू किया।
ऐसे में गांव से शहर नौकरी के सिलसिले में आए, 38 वर्षीय मिथिलेश कुमार सिंह ने सब्जियां उगाने से एक बिज़नेस आईडिया भी खोज लिया। वह ‘वेज रूफ’ नाम से एक यूट्यूब चैनल और एक पोर्टल चला रहे हैं, जिनके ज़रिए शहरी लोगों को आसानी से घर में सब्जियां उगाना सिखाते हैं।
वह पीवीसी पाइप में सब्जियां उगाते हैं और इसे शहर में गार्डनिंग के लिए बढ़ियां तरीक़ा बताते हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहते हैं, “शहर के लोगों को ज़हर से मुक्ति दिलाना ही मेरा मक़सद है। मैंने खुद शहर में रहकर जाना कि यहां के लोगों को ऑर्गेनिक सब्जियां मिल पाना बहुत बड़ी चुनौती है।”
किसान परिवार में बीता बचपन
बलिया (उत्तर प्रदेश) के रहनेवाले मिथिलेश के पिता आर्मी में काम करते थे, लेकिन उनके घर में पारंपरिक खेती सालों से होती आ रही है। एक जॉइंट फैमिली में रहते हुए, उनका आधा बचपन खेतों में ही बीता। इसके बाद उन्हें आज़मगढ़ के हॉस्टल में पढ़ाई के लिए भेज दिया गया। उन्होंने 2007 में, जौनपुर से कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
वह बताते हैं, “पढ़ाई के बाद दूसरे सभी लड़कों की तरह मैं भी नौकरी की तलाश में दिल्ली आ गया। लेकिन नौकरी मिलना इतना आसान नहीं था, इसलिए मैंने खुद की वेबसाइट डिज़ाइनिंग की कंपनी शुरू की। मुझे लिखने का भी शौक़ था इसलिए मैं अलग-अलग पोर्टल के लिए लिखता भी रहता था।”
उन्होंने एक इंटरनैशनल मीडिया कंटेंट कंपनी में हिंदी कंटेंट हेड के रूप में काम भी किया। अब बड़े शहर में रहते हुए खेती और ताज़ी सब्जियां, दोनों की कमी उनको अपनी ज़िंदगी में महसूस होने लगी थी।
कोरोना ने फिर जोड़ा दिया खेती से
मिथिलेश और उनकी पत्नी विंध्यवासिनी सिंह, दिल्ली में रहते हुए अपने फ्लैट की छत पर कुछ सजावटी पौधे हमेशा से उगा रहे थे। वह बताते हैं, “हम अपने अपार्टमेंट की सबसे ऊपरी मंज़िल में रहते हैं इसलिए छत का इस्तेमाल आराम से कर सकते हैं। मेरी पत्नी ने वहां कुछ फूलों के पौधे लगाए थे और हम अक्सर वॉक के लिए भी छत पर जाते थे।”
कोरोना के समय, एक दिन अपनी छत पर वॉक करते हुए ही उन्हें सब्जियां उगाने का ख़्याल आया। लेकिन दिल्ली में कोरोना के डर से उन्हें परिवार सहित गाँव वापस जाना पड़ा। इस तरह उनके सब्जियां उगाने के प्लान में ब्रेक लग गया। मिथिलेश और उनका परिवार क़रीब डेढ़ साल तक गांव में ही रहे और वहाँ रहते हुए उन्होंने ढेरों सब्जियां भी उगाई। वह बताते हैं, “शहर में ऑर्गेनिक सब्जियों की मांग को देखते हुए, मैंने अपने लिए सब्जियां उगाने के साथ-साथ दूसरे लोगों की मदद करने का फैसला कर लिया था। मेरे लिए सब्जियां उगाना ज़्यादा मुश्किल नहीं था, लेकिन गमले की जगह मैंने किसी और चीज़ का इस्तेमाल करने के बारे में सोचा, जो शहर के लोगों के लिए फ़ायदेमंद भी हो।”
2021 में गांव से दोबारा दिल्ली लौटने के बाद वो इसी को अपना काम बनाने की कोशिश में लग गए। अपनी छत पर कम जगह में ज़्यादा सब्जियां उगाने के लिए उन्होंने पीवीसी पाइप का इस्तेमाल किया। यह तकनीक उन्हें शहरी लोगों के लिए सबसे अच्छी और आसान लगी। अपनी छत पर उन्होंने मिर्च, धनिया, टमाटर, बैंगन सहित ढेरों सब्जियां पाइप में ही उगाईं। अब वह समझ नहीं पा रहे थे कि कैसे इस तकनीक के बारे में दूसरे लोगों को बताया जाए।
कैसे गार्डनिंग बनी बिज़नेस?
मिथिलेश ने अपनी एक यूट्यूबर दोस्त, पूनम की मदद से गार्डनिंग के वीडियोज़ बनाना शुरू किया। उन्होंने ‘वेज रूफ’ नाम के अपने यूट्यूब चैनल पर शहर के लोगों को गार्डनिंग टिप्स देना और पीवीसी पाइप में सब्जियां उगाना, जैसी चीज़ें सिखानी शुरू कीं।
वह बताते हैं, “मुझे लिखने का शौक़ था और वेबसाइट डिज़ाइनिंग भी आती थी, इसलिए मैंने वेज रूफ नाम से अपने गार्डनिंग पोर्टल की शुरुआत की।”
उन्होंने अप्रैल 2022 में अपने इस स्टार्टअप को रजिस्टर भी करवा लिया। हालांकि, बहुत सी जानकारी मजूद होने के बाद भी लोग गार्डनिंग और घर पर सब्जियां उगाने को काफ़ी मुश्किल मानते हैं। इसलिए मिथिलेश ने इसका भी एक बढ़ियां उपाय निकाला। उन्होंने इस काम को एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया, और अपने आस-पास के लोगों को पीवीसी पाइप में सब्जियों के पौधे उगाकर देना शुरू किया।
जब टीवी शो ‘शार्क टैंक’ के एक शार्क से मिली मेंटरशिप
मिथिलेश बताते हैं, “मेरा मक़सद लोगों को इस बात से जागरूक करना है कि हम अपनी बालकनी में भी शुद्ध सब्जियां उगा सकते हैं। लेकिन आजकल लोगों को रेडी टू यूज़ चीज़ें चाहिए, इसलिए हमने अपने इस स्टार्टअप के ज़रिए पीवीसी पाइप में लगे-लगाए पौधे क़रीब 18 लोगों को फ्री में दिए। इसमें उन्हें सिर्फ़ पानी डालना होगा और समय आने पर हार्वेस्ट लेना होगा। इससे लोग समझ पाएंगे कि सब्जियां उगाना उतना भी मुश्किल नहीं है।”
हाल ही में उन्होंने ‘द शार्क टैंक इंडिया’ के जज और मशहूर बिज़नेसमैन, अनुपम मित्तल द्वारा आयोजित ‘ड्रीमडील चैलेंज’ में पार्ट लिया था। इसमें उनका आईडिया पसंद किया गया और उन्हें अनुपम मित्तल से अपने बिज़नेस को बढ़ाने की मेंटरशिप भी मिली है।
मिथिलेश का सपना है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग अपने लिए सब्जियां घर पर ही उगाएं, और अपने स्टार्टअप के ज़रिए वह लोगों की इस काम में मदद कर रहे हैं। आप उनसे जुड़ने के लिए उन्हें यहां सम्पर्क कर सकते हैं।
हैप्पी गार्डनिंग!
संपादन- भावना श्रीवास्तव
यह भी पढ़ेंः पटना में कहीं नहीं मिलते जो पौधे, वे हजारों में बिकते हैं अमृता की टेरेस नर्सरी में
We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons: