सीवी राजू ने कई प्रयोग करके पेड़-पौधों से मिलने वाले प्राकृतिक रंग को सहेजने की तकनीक बनाई, ताकि लकड़ी के खिलौने बनाने की GI Tagged Etikoppaka Toys की सैकड़ों सालों पुरानी कला को सहेजा जा सके।
31 वर्षीय बकुल खेतकडे एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, उन्होंने अपनी IT नौकरी से ब्रेक लिया और शौक के लिए Mandala Art बनाना सीखा। आज उनकी वही कला, उनका काम बन चुकी है, जिसे वह बड़ी ख़ुशी से कर रही हैं।
पहाड़ में हुनरमंदो की कोई कमी नहीं है। यहाँ एक से बढ़कर एक बेजोड़ हस्तशिल्पकार हैं। लेकिन बेहतर बाजार और मांग न होने से इन हस्तशिल्पकारों को उचित मेहनताना नहीं मिल रहा है। आइए जानते हैं कैसे धर्म लाल अपनी कला को बचाने के लिए जी जान से जुटे हैं!
कोरोना महामारी के दौरान प्रवासी मज़दूरों ने विषम परिस्थितियों में भी जिस तरह हिम्मत दिखाई, उसे सलाम करते हुए कोलकाता के बारिशा क्लब दुर्गा पूजा समिति ने इस बार माँ दुर्गा की मूर्ती को एक प्रवासी मज़दूर माँ का रूप दिया है।
"कला साक्षी के माध्यम से हम कला से जुड़े छात्रों को प्रोत्साहित करना चाहते हैं कि वे अपने ऊपर भरोसा रखें, अपने टैलेंट को खोने न दें। जिस तरह हमारी बेटी ने गलत कदम उठाकर अपने जीवन को गंवा दिया, कोई और ऐसा न करे।"- कविता नायर
"मैं अपने वीडियोज़ में कोई मेकअप नहीं करती, घर के कपड़ों में होती हूँ और अपने छोटे से घर में ही रिकॉर्ड करती हूँ, ताकि मैं उन सब लोगों तक ये बात पहुँचा सकूं कि अगर आप में टैलेंट है तो ये सारी चीज़ें बिल्कुल मायने नहीं रखतीं," ममता कहती हैं।
“हमें लगा हमारी पीढ़ी के जाने के बाद कोई जानेगा ही नहीं इन खिलौनों के बारे में। हम चाहे जितना भी कम कमा रहे हैं, यह कला है हमारी, ऐसे कैसे ख़त्म होने दें।"
गाँव में ब्लॉक प्रिंट का काम करने वाले लोग ख़त्म हो चुके थे और युवा इसे करना नहीं चाहते थे। लेकिन मुहम्मद युसूफ अपने अब्बा से मिली विरासत को इस तरह खोना नहीं चाहते थे। उन्होंने ठान लिया था कि कुछ भी हो जाए वह इस कला को मरने नहीं देंगे।