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Sanjay Chauhan

संजय चौहान, उत्तराखंड राज्य के सीमांत जनपद चमोली के पीपलकोटी के निवासी हैं। ये विगत 16 बरसों से पत्रकारिता के क्षेत्र में है। पत्रकारिता के लिए इन्हें 2016 का उमेश डोभाल पत्रकारिता पुरस्कार (सोशल मीडिया) सहित कई सम्मान मिल चुके हैं। उत्तराखंड में जनसरोकारों की पत्रकारिता के ये मजबूत स्तम्भ हैं। पत्रकारिता, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान में डिग्री हासिल करने वाले संजय चौहान नें लेखनी के जरिए कई गुमनाम प्रतिभाओं को पहचान दिलाई है। ग्राउंड जीरो से उत्तराखंड की लोकसंस्कृति और जनसरोकारों पर इनके द्वारा लिखे जाने वाले आर्टिकल का हर किसी को इंतजार रहता है। पहाड़ में रहकर इन्होंने पत्रकारिता को नयी पहचान दिलाई है। ये वर्तमान में फ़्री लांस जर्नलिस्ट्स के रूप में कार्य करते हैं।

बुरांश को बिज़नेस बना छोटे से गांव से की शुरुआत, आज देशभर में बेच रहीं 30 से ज्यादा उत्पाद

By Sanjay Chauhan

जीवन का नियम है कि जो संघर्ष करता है, वह अपने काफी ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है और इसे सही साबित कर दिखाया है नैनीताल के रामगढ़ ब्लाॅक के नथुवाखान गांव में रहनेवाली रमा बिष्ट ने। उन्होंने बुरांस से 20 गांवों की महिलाओं को रोजगार दिया है।

फ्रांस में मिल रही जॉब को छोड़, देश में रहकर किया ऐसा काम, गिनीज़ बुक में दर्ज हो गया नाम

By Sanjay Chauhan

अपनी माटी के लिए कुछ करने की खातिर, देवभूमि उत्तराखंड की शिवानी ने सात समंदर पार की नौकरी को भी ठुकरा दिया। आज वह अपनी बेहतरीन चित्रकारी की वजह से लोगों के बीच एक चर्चित चेहरा बन चुकी हैं।

उत्तराखंड की हस्तशिल्प काष्ठकला को सात संमदर पार विदेशों तक पहुँचा चुके हैं धर्म लाल

By Sanjay Chauhan

पहाड़ में हुनरमंदो की कोई कमी नहीं है। यहाँ एक से बढ़कर एक बेजोड़ हस्तशिल्पकार हैं। लेकिन बेहतर बाजार और मांग न होने से इन हस्तशिल्पकारों को उचित मेहनताना नहीं मिल रहा है। आइए जानते हैं कैसे धर्म लाल अपनी कला को बचाने के लिए जी जान से जुटे हैं!

पिता की बीमारी के चलते 13 साल की उम्र में उठाया हल, आज पूरे परिवार को पाल रही है यह बेटी

By Sanjay Chauhan

कोरोना वायरस के वैश्विक संकट के बीच लॉकडाउन के दौरान जहाँ कई युवाओं का रोजगार छिना तो वहीं बबिता ने लॉकडाउन के दौरान भी मटर, भिंडी, शिमला मिर्च, बैंगन, गोबी सहित विभिन्न सब्जियों का उत्पादन कर आत्मनिर्भर मॉडल को हकीकत में उतारा।

कहानी उन शिक्षक की, जिनकी विदाई पर रो पड़ी पूरी केलसू घाटी!

By Sanjay Chauhan

"मेरे पास आपको देने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन एक वादा है आपसे कि केलसू घाटी हमेशा के लिए अब मेरा दूसरा घर रहेगा। आपका यह बेटा लौट कर आएगा। आप सब लोगों का तहेदिल से शुक्रिया। मेरे प्यारे बच्चों हमेशा मुस्कुराते रहना। आप लोगों की बहुत याद आएगी।"

इस गाँव को एक दिन बाद मिली थी आज़ादी की ख़बर, लोग झाँकिया लेकर पहुंचे थे ख़ुशी मनाने!

By Sanjay Chauhan

इस दिन सम्पूर्ण घाटी के लोग परम्परागत वेशभूषा धारण कर घरों में आजादी के दीये जलाते,तरह-तरह के पकवान बनाते और परम्परागत नृत्यों में रम जाते हैं।

20 साल की मेहनत से घर को बनाया पहाड़ों का संग्रहालय; आज देश-विदेश से आते हैं टूरिस्ट!

By Sanjay Chauhan

यहाँ आपको हिमालय से संबंधित दुर्लभ छाया चित्रों के अलावा खान-पान, कला-संस्कृति, तीज-त्योहार, वेश-भूषा और लोक संस्कृति के हर वह रंग देखने को मिल जाते हैं, जिन्हें अब लोग भूलते जा रहे हैं।

कड़ी मेहनत और जिद के जरिए स्कीइंग में लहराया परचम, पहाड़ की बेटियों के लिए बनीं प्रेरणा-स्रोत

By Sanjay Chauhan

स्कीइंग को हमेशा से ही पुरुषों का खेल माना जाता रहा। लेकिन वंदना ने स्कीइंग में बर्फीली ढलानों पर हैरतअंगेज करतब दिखाकर कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की और इस खेल में पुरुषों के प्रभुत्व को चुनौती देकर महिलाओं के लिए उम्मीदों की नयी राह खोली।

उत्तराखंड के इस सरकारी स्कूल को इस शिक्षक ने बनाया 'पहाड़ का ऑक्सफोर्ड'!

By Sanjay Chauhan

अब तक 40 हजार से अधिक पेड़ लगा चुके रुद्रप्रयाग जनपद के राजकीय प्राथमिक विद्यालय, कोट तल्ला के शिक्षक सतेंद्र सिंह भंडारी ने पर्यावरण संरक्षण का जो अभियान शुरू किया, वह आज भी जारी है।