नूरी ने कई सालों से पैसे बचाकर अपने लिए वो हार बनवाया था जो उन्होंने गिरवी रखा है। उन्होंने कहा, "बनाया तो बहुत मन से था लेकिन अभी पूरा जीवन पड़ा है। छुड़वा लाऊंगी उस हार को। फ़िलहाल लोगों को भूखा मरने से बचाना है।"
गांव में कुल 11 कुएं हैं जो हर साल अप्रैल में सूख जाते थे। यही हाल हैंडपंप के साथ भी होता था। 57 हैंडपंपों में से, लगभग 25 काम करना बंद कर देते थे और मानसून के समय ही फ़िर चालू होते थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है।
दीपेन का मानना है कि यदि लोग यह काम सीखते हैं और शिल्प को आगे ले जाते हैं तो वही सबसे अच्छा शुल्क होगा। वह अपने छात्रों को हर दिन मुफ्त भोजन भी प्रदान करते है।
“हमें लगा हमारी पीढ़ी के जाने के बाद कोई जानेगा ही नहीं इन खिलौनों के बारे में। हम चाहे जितना भी कम कमा रहे हैं, यह कला है हमारी, ऐसे कैसे ख़त्म होने दें।"