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जिनेन्द्र पारख

जिनेन्द्र पारख ने हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, रायपुर से वकालत की पढ़ाई की है। जिनेन्द्र, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव शहर से आते है। इनकी रुचियों में शुमार हैं- समकालीन विषयों को पढ़ना, विश्लेषण लिखना, इतिहास पढ़ना और जीवन के हर हिस्से को सकारात्मक रूप से देखना।

COVID की तीसरी लहर से कैसे करें बचाव, बता रहे हैं श्वास-रोग विशेषज्ञ

छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध श्वास-रोग विशेषज्ञ डॉ. गिरीश अग्रवाल का कहना है कि संभावित तीसरी लहर पर सबसे ज़्यादा जरुरी है, एहतियात एवं जागरूकता। जिस नए डेल्टा प्लस वैरिएंट की बात हो रही है, वह निश्चित ही घातक है, वायरस में नियमित अनुवांशिक बदलाव हो रहे हैं, जिससे सावधान रहना बहुत जरुरी है।

ठान लो तो असंभव कुछ भी नहीं: 9 महीने में 48 किलो वजन कम कर छत्तीसगढ़ के ASI ने पेश की मिसाल

बढ़ते वजन से परेशान छत्तीसगढ़ के ASI विभव तिवारी ने, सिर्फ नौ महीने में अपना वजन 150 किलो से 102 किलो कर दिखाया (weight loss)।

छत्तीसगढ़: कुम्हार ने बनाया 24 घंटे तक लगातार जलने वाला दिया, पूरे देश से आयी मांग

छत्तीसगढ़ के अशोक चक्रधारी के बनाये इस जादुई दिये में तेल सूखने के बाद अपने आप तेल भर जाता है और वह दिया निरंतर जलता रहता है।

बनारस की तंग गलियों के लिए बाइक को बनाया मिनी एम्बुलेंस, फ्री सेवा देता है यह युवा

अमन अब तक हज़ारों मरीजों का प्राथमिक उपचार कर अस्पताल पहुँचा चुके हैं। साथ ही वह गुमशुदा लोगों को उनके घर तक पहुँचाने का भी नेक काम करते हैं।

क्लास में जानवर, टूटे दरवाजे, ऐसा था यह सरकारी स्कूल, 4 महीने में एक टीचर ने की काया पलट

40 सालों तक बदहाल पड़े रहे इस स्कूल में कई शिक्षक आए और कई शिक्षक गए लेकिन गौतम शर्मा ने इस स्कूल की तस्वीर को बदलने के लिए अपनी पूरी जान लगा दी।

दो वक़्त के खाने से लेकर राशन तक, बिहार की यह युवा टोली सुनती है ज़रूरतमंदों की बोली

फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रहीं बिहार के छपरा जिले की मनस्वी ने इस नेक काम का बीड़ा उठाया है और उनका परिवार भी उनके इस काम में सहयोग दे रहा है।

64 वर्षीया शुभांगी की प्लास्टिक फ्री मुहिम, मुफ़्त में बाँट चुकी हैं 35,000 कपड़े के थैले!

शुभांगी ने 2012 से अब तक किसी भी प्रकार के महंगे कपड़े और गहने नहीं ख़रीदे हैं। इस विषय पर वह कहती हैं, “मेरी सहेलियाँ जब भी बाज़ार जाती हैं मुझे साथ चलने को कहती हैं लेकिन अब कपड़ो और गहनों का तो मन ही नहीं करता। जो बचत होती है उन्हें सामाजिक कार्यो में लगा देती हूँ।

छत्तीसगढ़: 3 अजनबियों ने कुछ ऐसा कर दिखाया कि खिल गए कबाड़ बेचने वालों के चेहरे!

इस मुहिम के तहत करीब उन 45 परिवारों को तुरंत लाभ पहुँचाया गया जो घरों से कबाड़ इकठ्ठा कर बड़े व्यापरियों को बेचकर पैसा कमाते थे।

जानवर रहते थे प्यासे इसलिए गाँव के लोगों ने टैंकरों से भर डाला तालाब!

तालाब में पानी न होने की वजह से कछुए मरने लगे थे, ऐसे में गाँव वालों ने यह ठोस कदम उठाने की ठानी।

छत्तीसगढ़ के इस गाँव में महिलाएँ चला रही हैं मॉल, लाखों का हो रहा है कारोबार!

इस मॉल की वजह से आर्थिक रूप से गरीब महिलाओं को रोज़गार व 1400 परिवारों में अतिरिक्त आय के साधन मिल रहे हैं।