अपनी माँ और सास से गार्डनिंग के गुण सीखने के बाद, गाज़ियाबाद की रुचि गोयल को कोरोना काल में गार्डन सजाने का ऐसा जुनून सवार हुआ कि उन्होंने अपने घर के कबाड़ से ज़ीरो बजट में, गार्डन में चार चाँद लगा दिए, जिसकी तारीफ़ आज हर कोई करता है।
तमिलनाडु के रहने वाले थायुमानवन कुनापालन शहरी गार्डनर्स के लिए किसी उदाहरण से कम नहीं हैं। वह अपने घर की छत पर लगभग हर तरह की सब्जियां उगा रहे हैं, लेकिन ख़ासियत यह है कि ये सब्जियां वह 200 ग्रो बैग्स और 25 पुराने रेफ्रिजरेटर्स में उगाते हैं।
मिलिए नोएडा के रहनेवाले अक्षय भटनागर से जो पेशे से एक कंप्यूटर इंजीनियर हैं, और काम में काफ़ी बिज़ी होने के बावजूद भी गार्डनिंग के लिए समय निकाल ही लेते हैं। उनके घर की हरियाली देखकर हर कोई चौक जाता है।
केरल के कन्नूर जिले में पयंगडी के पास थावम के रहनेवाले राजन, पेशे से एक मछुआरे हैं। लेकिन पिछले 40 सालों से मैंग्रोव को उगाने, संरक्षित करने और लोगों को जागरूक करके, उन्हें बचाने और पुनर्स्थापित करने का काम कर रहे हैं। इस वजह से उनका नाम मैंग्रोव राजन पड़ गया है।
रिटायर होने के बाद, थोडुपुझा (केरल) के रहनेवाले पुन्नूस जैकब ने खेती के अपने शौक़ को आजमाने का फैसला किया। आज वह ‘मंगलम फूड्स' ब्रांड के तहत, ताज़ा सब्जियां बेच रहे हैं।
कर्नाटक की रहने वाली रोजा रेड्डी ने ऑर्गेनिक खेती के लिए अपनी कॉर्पोरेट जॉब छोड़ दी। अपनी बंजर ज़मीन पर ऑर्गेनिक खेती करने का फैसला किया और आज इस क्षेत्र में न केवल महारत हासिल की है, बल्कि हर साल करोड़ रुपये भी कमा रही हैं।
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ का जैन परिवार हमेशा से प्रकृति के बीच रहना और समय बिताना चाहता था। उनकी इस इच्छा को पूरी करने में उनका साथ दिया अर्किटेक्ट श्रेया श्रीवास्तव ने। उन्होंने एक ऐसा फार्म हाउस बनाया है जो इको-फ्रेंडली होने के साथ-साथ बेहद खूबसूरत भी है।
दिल्ली की रहनेवाली मैरी जॉर्ज के घर में एक सुंदर आर्किड गार्डन है। उनके घर में गुलाब सहित 1,000 से ज़्यादा पौधे लगे हैं। चालिए जानें उनसे आर्किड के फूल को लगाने का आसान तरीका क्या है?
मिलिए, शालीमार (जम्मू-कश्मीर) के कृषि इंजीनियर और वैज्ञानिक, डॉ. मोहम्मद मुज़मिल से, जिन्हें खेती में इतनी रुचि है कि उन्होंने किसानों की मदद के लिए एक नहीं, आठ से ज़्यादा आविष्कार किए हैं।