इंद्राणी चक्रवर्ती और सौम्य मुखर्जी ने दिल्ली की नौकरी छोड़कर, ओडिशा में एक होमस्टे शुरु किया है। 'स्वानिर वाइल्डरनेस इकोस्टे' नाम से शुरु किया गया यह होमस्टे पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाया गया है। हरियाली से घिरे इस होमस्टे में करीब 3,500 से ज्यादा आम, अमरूद, चीकू, अनार और शरीफा के पेड़ लगाए गए हैं।
वाणी कन्नन और उनके पति बालाजी 16 साल से इंग्लैंड में रह रहे थे, लेकिन जब उनका पहला बच्चा हुआ, तो उन्होंने उसे भारतीय संस्कृति के बीच पालने का फैसला किया और भारत लौट आए। यहां आने के बाद उन्होंने इको-फ्रेंड्ली, मिट्टी का घर बनाने का फैसला किया।
क्या आप भी बढ़ते बिजली और पानी के बिल से परेशान हैं? हम आपकी टेंशन थोड़ी कम कर देते हैं। हम यहां देश भर में बनाए गए सस्टेनेबल घरों की एक लिस्ट लेकर आए हैं, जहां कुछ ऐसे नए तरीके अपनाए गए हैं जिससे बिजली और पानी का बिल काफी कम आता है।
पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए केरल के आर्किटेक्ट मानसी और गुरुप्रसाद ने एक इको-फ्रेंड्ली घर बनाया है। इस घर को बनाने के लिए उन्होंने मिट्टी, रीसायकल का गई लकड़ियां, गुड़ आदि का इस्तेमाल किया है। जानें कैसे बना है यह घर और इसे बनाने में कितना आया खर्च।
मिट्टी का घर टिकाऊ नहीं होता, इसमें ज्यादा देखरेख की जरूरत होती है। अगर एक ईको -फ्रेंडली घर के प्रति आपकी सोच भी ऐसी ही है, तो आर्किटेक्ट तुषार केलकर से जानें इन सारी समस्याओं का समाधान।
केरल के पारम्परिक घर के साथ पर्यावरण का ध्यान रखते हुए कोड़िकोड के रिटायर्ड पुलिस अधिकारी सुब्रमनिया ने अपने लिए एक खूबसूरत घर बनाया है, जो देखने में भले आलिशान हो, लेकिन अनुभव मिट्टी के घर में रहने का देता है।
कोयंबटूर में A PLUS R आर्किटेक्चर फर्म चलानेवाले राघव ने विदेश से रोबॉटिक आर्किटेक्चर की पढ़ाई की है और तकरीबन 40 देशों की यात्रा भी की है। बावजूद इसके वह पारम्परिक तकनीक से बने भारतीय घरों को सबसे ज्यादा सस्टेनेबल मानते हैं। इसका अच्छा उदाहरण पेश करने के लिए उन्होंने अपने परिवार के लिए एक जीरो कार्बन फुट प्रिंट वाला घर तैयार किया है, जिसका नाम है Casa Roca!
मुंबई-पुणे के बीच उद्धर गांव में तुषार केलकर, पिछले सात सालों से शहरी जीवन को छोड़कर मिट्टी के घर में रह रहे हैं। पेशे से आर्किटेक्ट तुषार, यहां देश-विदेश से आए लोगों को भी मिट्टी के घर बनाना सिखा रहे हैं।