केरल के पुरुषन एलूर ने कोच्चि के पास एलूर में एक सस्टेनबल घर बनाया है। इस घर की खासियत यह है कि यह फ्लड-प्रूफ है, यानि इसमें बाढ़ का खतरा नहीं है। इसके लिए उन्होंने अपने 25 साल पुराने कंक्रीट के घर को रिसाइकल किया, जो 2018 केरल बाढ़ के दौरान काफी क्षतिग्रस्त हो गया था।
केरल के पारम्परिक घर के साथ पर्यावरण का ध्यान रखते हुए कोड़िकोड के रिटायर्ड पुलिस अधिकारी सुब्रमनिया ने अपने लिए एक खूबसूरत घर बनाया है, जो देखने में भले आलिशान हो, लेकिन अनुभव मिट्टी के घर में रहने का देता है।
कोझीकोड के ई. बालकृष्णन की छत पर 500 से अधिक किस्मों के कैक्टस के पौधे हैं, जिसे उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ जापान, चीन, इंडोनेशिया, ब्राजील से इकट्ठा किया है।
केरल की डॉ. सोसम्मा इयपे को हाल ही में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने 80 के दशक में वेचुर गाय की अनोखी नस्ल को विलुप्त होने से बचाने के लिए एक मिशन शुरू किया था।
डॉ मंजू वासुदेवन और डॉ श्रीजा केरल के आदिवासियों के जीवन में एक उम्मीद की किरण बनकर आई हैं। उनका फारेस्ट पोस्ट उद्यम आदिवासियों के लिए एक नियमित आय का जरिया है।
पेशे से शिक्षक और पर्यावरण प्रेमी बाबूराज ने 2007 में प्रकृति के करीब रहने के लिए एक इको-फ्रेंडली घर बनाने की योजना बनाई। उन्होंने तालाब के ऊपर एक तीन मंजिला बैम्बू विला बनाया, यह एक होमस्टे भी है, जिसे बनाने के लिए उन्होंने 90 प्रतिशत बैम्बू खुद ही उगाए हैं।
केरल की रहनेवाली श्रुति सितारा ने मिस ट्रांस ग्लोबल यूनिवर्स का खिताब जीतकर अपना ताज, अपनी स्वर्गवासी मां और अपनी दोस्त अनन्या कुमारी एलेक्स को समर्पित किया।
केरल की नीतू सुनीश ने अपने शौक़ के लिए कमल और लिली के फूलों को लगाना शुरू किया था। आज उनके घर पर 100 से ज्यादा किस्मों के कमल और 65 किस्मों की लिली मौजूद हैं, जिसके ट्यूबर यानी कंद को बेचकर वह महीने के 10 से 30 हजार रुपये कमा रही हैं।