यह 21वीं सदी है, यहां लोगों की नई सोच और काम करने का तरीका भी नया है। अब कई लोग सौर ऊर्जा का उपयोग करने या बारिश का पानी जमा करने और पर्यावरण के अनुकूल (Eco-Friendly hotel) निर्माण कार्यों पर जोर दे रहे हैं। हालांकि, अभी केवल कुछ ही लोग सस्टेनेबल तरीकों को अपना रहे हैं। लेकिन ख़ुशी की बात यह है कि बदलाव की शुरुआत तो हुई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में केवल भवन निर्माण से वायु प्रदूषण में 30 प्रतिशत का इजाफा होता है।
ऐसे में, आठ महीने पुराना चिकमंगलूर (कर्नाटक) में बना होटल ‘शून्यता’ न सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से बनाया गया है, बल्कि यहां रोजमर्रा के कामों में भी पर्यावरण का पूरा ध्यान रखा जाता है और यहां आए मेहमान भी ईको -फ्रेंडली तरीके से ही रहते हैं।
6000 स्क्वायर फ़ीट में फैले इस होटल को बनाने में उन ईटों का इस्तेमाल हुआ है, जो इसी जमीन से निकली मिट्टी से बनी हैं। पानी के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया गया है और होटल में ठंडक के लिए अर्थ टनल बनाए गए हैं।
शून्यता के मालिक लोकेश गुन्जुगनूर ने द बेटर इंडिया से बात करते हुए बताया, “इस पूरे होटल को बनाने में हमने स्थानीय चीज़ों का इस्तेमाल ही किया है। मिट्टी की ईटें बनाने के लिए हमने इसी ज़मीन से निकली मिट्टी इस्तेमाल में ली है। साथ ही हमने ध्यान रखा कि इसे बनाने के दौरान, एक बून्द पानी भी बर्बाद न हो।”
शून्यता (Eco Friendly Hotel) को बनाने में की शून्य से शुरुआत
सालों पहले, लोकेश ने यह ज़मीन इन्वेस्टमेंट के रूप में अपने शहर चिकमंगलूर के पास खरीदी थी। साल 2017 तक यहां होटल बनाने का उनका कोई प्लान नहीं था। लेकिन जैसे-जैसे शहर में टूरिज्म बढ़ने लगा, उन्होंने यहां एक होटल बनाने का फैसला किया।
लोकेश कहते हैं, “मैं चाहता था कि मेरा होटल थोड़ा अलग बने, जो पर्यावरण के अनुकूल भी हो। इसे बनाने में ईको-फ्रेंडली तकनीक का इस्तेमाल किया जाए और इसे चलाया भी इको-फ्रेंडली तरीके से ही जाए। ताकि भविष्य में अगर इसे गिराया भी जाए, तो कंस्ट्रक्शन सामग्री फिर से जमीन के साथ मिलकर एक हो जाए।”
इसके लिए उन्होंने, बेंगलुरु स्थित फर्म ‘Design Kacheri’ और एक युवा सिविल इंजीनियर पुनीत (Punit Y) से सम्पर्क किया। इन दोनों की मदद से ही उन्हें अपने ड्रीम होटल को बनाने में सफलता हासिल हुई।
सबसे पहले उन्होंने, ज़मीन से मिट्टी निकाली। फिर साइट की मिट्टी के साथ-साथ, आस-पास की मिट्टी से ईटें बनाने का काम शुरू किया गया।
लोकेश ने बताया, “इन ईटों को बनाने में मिट्टी के साथ पांच प्रतिशत से भी कम लाइमस्टोन और सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है। हमने इसे सुखाने के लिए सोलर पावर और धूप का इस्तेमाल किया है।”
प्राकृतिक ठंडक के लिए किए कई प्रयास
होटल (Eco Friendly Hotel) बनाने में स्टील के उपयोग से बचने के लिए उनकी टीम ने लोड-बेयरिंग तकनीक अपनाई है। लोकेश का कहना है कि यह तकनीक पुराने घरों में लोकप्रिय थी, जब स्टील प्रचलित नहीं था।
उन्होंने छत के लिए नारियल की खोल और पॉट फिलर्स का भी विकल्प चुना, जो ऊपर बनी मंजिल के लिए मजबूत फर्श के रूप में भी काम करते हैं और कमरों में सुंदरता के साथ ठंडक बनाए रखते हैं।
एक होटल की सबसे बड़ी ज़रूरत होती है, होटल के अंदर का माहौल अच्छा बनाए रखना। इसके लिए जरूरी है यहां के तापमान पर ध्यान देना। चिकमंगलूर का तापमान गर्मियों में काफी बढ़ जाता है, लेकिन एक सस्टेनेबल होटल होने के नाते, उन्हें यहां ठंडक के लिए भी प्राकृतिक तकनीक ही अपनानी थी।

लोकेश बताते हैं, एयर कंडीशनिंग के बजाय, हमने एक प्राकृतिक तकनीक को चुना। इस सिस्टम में बिल्डिंग के नीचे 10 फीट बड़ा पीवीसी पाइप लगाया जाता है। यह बाहरी हवा के लिए शीतलक पाइप के रूप में काम करता है। यह बाहर से हवा को लेती है और जैसे ही हवा पाइप से गुजरती है, ठंडी हो जाती है और फिर यह होटल के 11 कमरों में अलग-अलग आउटलेट्स के माध्यम से बाहर निकलती है।”
साथ ही गर्म हवा को बाहर निकालने के लिए कमरों की छत पर एक चिमनी भी बनी है। इस प्रणाली से कमरे का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस और 25 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहता है, चाहे बाहर का तापमान कुछ भी हो।
बचाते हैं बारिश की हर एक बून्द
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस पूरे होटल में सभी कामों के लिए बारिश का पानी ही इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए 50,000 लीटर की क्षमता वाली एक टंकी ज़मीन के नीचे लगाई गई है। यहां आए मेहमानों के खातिर, पीने के पानी से लेकर खाना पकाने तक के काम के लिए इसी का उपयोग किया जाता है।
लोकेश कहते हैं, “हम टैंक की नियमित सफाई पर भी ध्यान देते हैं और मेहमानों को पीने के लिए पानी स्टील की बोतलों में दिया जाता है।”
इसके अलावा, ज्यादा बारिश का पानी बचाने के लिए, कुंआ भी बनाया गया है, जिसमें आंगन और पार्किंग वाली जगहों से गिरने वाले बारिश के पानी को भी फुटपाथ ईंटों की मदद से जमा किया जाता है।
इस होटल (Eco Friendly Hotel) में ग्रेवॉटर भी होता है रिसायकल
इसके साथ ही, यहां बाथरूम से निकलने वाले गंदे पानी को भी नहीं फेंका जाता। उन्होंने ECOSTP नाम के बेंगलुरु स्थित एक स्टार्टअप की मदद से, होटल में ग्रेवाटर को शुद्ध करने के लिए एक सिस्टम लगाया है।
लोकेश कहते हैं, “इस फिल्टर्ड पानी को टॉयलेट फ्लश टैंकों में भेजा जाता है और इसका इस्तेमाल बगीचे में भी किया जाता है।”
11 कमरों वाले, इस बेहतरीन होटल में एक सुन्दर आंगन और एक कैफ़े भी बना है। इस होटल को जनवरी 2021 में मेहमानों के लिए खोला गया था। लोकेश ने होटल के अंदर एक छोटी सी दुकान भी बनाई है, जहां मेहमान स्थानीय कारीगरों की बनाई हैंडमेड चीजें खरीद सकते हैं। लोकेश का कहना है कि वह, यहां अधिक से अधिक स्थानीय कारीगरों के साथ साझेदारी करना चाहते हैं।
अगर आप इस इको फ्रेंडली होटल के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो आप lokesh@sunyatahotel.com पर एक ईमेल भेज सकते हैं या उनकी वेबसाइट पर जा सकते हैं।
संपादनः अर्चना दुबे
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