सालों से फल और सब्जियों की खेती से जुड़ें उदुमलपेट, तमिलनाडु के दो किसान भाइयों गौतम और सतीश ने जब अपने खेतों में Farm House बनाने के बारे में सोचा, तब उनके पिता ने बस एक बात कही थी कि किसी तरह के विकास में एक भी पेड़ कटना नहीं चाहिए।
उदुमलपेट का इलाका तिरुमूर्ति पहाड़ों के नीचे बसा है इसलिए उनका यह खेत पर्यटन के क्षेत्र से भी काफी खूबसूरत है। इसी वजह से उन्होंने यहां ईको टूरिज्म के बारे में सोचा। इस प्रोजेक्ट के जरिए वह लोगों को पर्यावरण अनुकूल जीवन के बारे में बताना चाहते थे।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए गौतम कहते हैं, “हमारे इस ईको-फ्रेंडली फार्म स्टे के पास लोगों को कई ट्रैकिंग हिल्स, डैम और खेतों की सैर करने का मौका मिलता है। इसलिए हमने फैसला किया कि प्रकृति के पास इस खूबसूरत जगह पर फार्म स्टे को प्राकृतिक तरह से बनाया बनाया जाए ।”
इस काम में उन्होंने कोयम्बटूर के A Plus R Architects के संस्थापक राघव की मदद ली। राघव कहते हैं, “किसी आम प्रोजेक्ट की तुलना में यह प्रोजेक्ट कई गुना ज्यादा मुश्किल था, क्योंकि हमें इस बात का ध्यान रखना था कि एक भी पेड़ को नुकसान न पहुंचे। इसके साथ ही, हमने इसे लोकल और रीसायकल चीजों से बनाने पर जोर दिया है।”
प्रोजेक्ट की शुरुआत, के. राघव ने इलाके की लैंडस्केपिंग करके डिज़ाइन तैयार किया। फिर करीबन छह कमरों वाले इस फार्म स्टे को बनाने का काम बड़े ध्यान से शुरू किया गया।
Farm House बनाने में कई ईको-फ्रेंडली तरीकों का हुआ इस्तेमाल
‘रा विला’ नाम के इस फार्म स्टे का उद्घाटन इसी महीने किया गया है। आर्किटेक्ट राघव के अनुसार यह देश का पहला प्रोजेक्ट है, जिसे नारियल के पेड़ के इर्द गिर्द बनाया गया है। आपको फार्म स्टे के अंदर के कई हिस्सों में भी पेड़ों के तने दिख जाएंगे।
अगर बाकि के कंस्ट्रक्शन की बात करें, तो इस फार्म हाउस को बिना सीमेंट प्लास्टर के CSEB ब्रिक्स यानी मिट्टी की ईंटों से इंटरलॉकिंग करके बनाया गया है। इस घर को बनाने में उन्होंने तमिलनाडु के अथंगुडी की हाथों से बनी टाइलें और कराईकुडी पत्थरों को घर के खम्बों के लिए इस्तेमाल किया है। यह घर पारम्परिक चेट्टिनाड घरों की तरह ही डिज़ाइन किया गया है, जिसमें बीचों-बीच एक आंगन बनाया गया है।
इसे मॉर्डन बनाने का भी राघव ने पूरा-पूरा ध्यान रखा है। उन्होंने बताया, “मिट्टी के घर होने के बावजूद इसमें स्विमिंग पूल जैसी सुविधाओं आदि का भी ध्यान रखा गया है। लेकिन फार्म स्टे को पूरी तरह से सस्टेनेबल बनाने के लिए हमने स्विमिंग पूल को इस तरह डिज़ाइन किया है कि उपयोग के बाद पूल का पानी खेतों में आराम से इस्तेमाल हो जाता है।”
छत को बनाने के लिए स्टील का उपयोग मुख्य रूप से किया गया है। इस तरह से 10,000 स्क्वायर फ़ीट के इसे पूरे Farm House को बनाने में सामान्य बिल्डिंग से 15 प्रतिशत कम खर्च आया है।
फार्म हाउस में प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग भी बड़े ध्यान से किया जा रहा है। इसके लिए यहां बेहतरीन रेनवॉटर हार्वेटिंग सिस्टम तैयार किया है। वहीं, आने वाले समय में गौतम और सतीश यहां सोलर सिस्टम लगाने की तैयारी कर रहे हैं, ताकि बिजली के लिए यह आत्मनिर्भर बन सके।
गौतम कहते हैं कि यह फार्म स्टे उनके परिवार के दिल के बेहद करीब है। क्योंकि इसके जरिए वह अपने किसान पिता की विरासत को दुनिया के सामने पेश कर सकते हैं। तिरुमूर्ति पर्वत माला के पास यूँ तो हाल में भी कई farm house और रिसोर्ट हैं। लेकिन यह पूरे इलाके का एकमात्र फार्म है, जिसे ईको-फ्रेंडली तरीके से बनाया गया है।
मेहमानों को इस Farm House में मिलेगा प्रकृति का बेहतरीन अनुभव
आपको जानकर आश्यर्च होगा कि फार्म में हेरिटेज फर्नीचर के लिए उन्होंने सालों पुराने फर्नीचर को रीसायकल करके इस्तेमाल किया है।
गौतम कहते हैं, “ईको फ्रेंडली आर्किटेक्चर के कारण हमारा कंस्ट्रंक्शन कॉस्ट सामान्य से करीबन 15 प्रतिशत कम भी हो गया है। ख़ुशी की बात तो यह है कि जब यह farm house बनकर तैयार हुआ, तो मेरे पिता काफी खुश भी हुए थे।”
गौतम यहां आने वाले मेहमानों को ऑर्गनिक फ़ूड, जैविक खेती का भी अनुभव देना चाहते हैं। रा विला के बारे में ज्यादा जानने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं।
संपादनः अर्चना दुबे
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