कोयंबटूर जैसे गर्म शहर में आर्किटेक्ट राघव के बनाए घर में बिना AC या पंखे के भी अच्छी ठंडक रहती है। कासा रोका (CASA ROCA) नाम से बने इस घर को सस्टेनेबल आर्किटेक्चर और जीरो कार्बन फुट प्रिंट को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह घर, आर्किटेक्ट राघव के दिल के काफी करीब भी है। इस घर के जरिए वह लोगों को यह सन्देश देना चाहते थे कि भारतीय वास्तुकला सबसे ज्यादा सस्टेनेबल है।
राघव ने रोबोटिक आर्किटेक्चर की पढ़ाई स्पेन से की है, जिसके बाद उन्होंने कई सालों तक विदेश में रहकर काम भी किया। उन्होंने बताया, “मैंने दुनिया के 40 से भी ज्यादा देश घूमे हैं और वहां का आर्किटेक्चर भी देखा है। बावजूद इसके, मुझे लगा कि हमारे देश में पुराने घर जिस तरीके से बनाए जाते थे, वे काफी अच्छे थे और लागत भी कम होती थी।”
उनका यह घर तक़रीबन आठ महीने पहले बनकर तैयार हुआ है। अपनी अनोखे डिज़ाइन और खूबियों के कारण यह घर, आस-पास के घरों से बिल्कुल अलग दिखता है।
कौनसी खूबियां बनाती हैं Casa Roca को ईको-फ्रेंडली?
राघव ने भारत आने के बाद क्षेत्रीय वास्तुकला और मॉर्डन डिज़ाइन के साथ एक घर बनाने का सोचा, जिसे उन्होंने अपने परिवार के लिए ही बनाया है।
इस घर को बनाने में उन्होंने तमिलनाडु के अथंगुडी की हाथों से बनी टाइलें और कराईकुडी पत्थरों को घर के खंभे के लिए इस्तेमाल किया है।
इसके अलावा, इस घर में कांच की बोतलें और टाइल्स आदि कई चीज़ों को अपसाइकिल करके इस्तेमाल में लिया गया है।
राघव ने घर की छत बनाने के लिए जिस स्लैब का इस्तेमाल किया है, वह भी मिट्टी की प्लेटों से बनाए गए हैं, जो थर्मल हीट को 30% तक कम कर देते हैं। इसके साथ कुछ कांच की टाइल्स का इस्तेमाल भी किया गया है, जो दिन के समय प्राकृतिक रोशनी देती हैं।
Casa Roca को बनाने में लोकल कारीगरों की ही मदद ली गई है। राघव ने ईंट की दीवार बनाने के लिए भी एक अनूठी तकनीक का इस्तेमाल किया है, जिसे रैट ट्रैप बॉन्ड के नाम से जाना जाता है। सभी ईंटों को जोड़ने के दौरान उनके बीच से थोड़ी हवा जाने की जगह रखी गई है, जो एक इन्सुलेटर के रूप में काम करती है।
पैरापेट की दीवार भी एक अनूठी पैरामीट्रिक दीवार है, जहां पर सभी ईंटे 13 डिग्री मोड़कर रखी गई हैं, जो रोड के साथ एक गति बनाती हैं और बाहर से बढ़िया लुक भी देती हैं।
इस डिजाइनिंग पैटर्न को उन्होंने ‘वर्नामेट्रिक’ का नाम दिया है। राघव, कोयंबटूर में जन्मे और बड़े हुए हैं, इसलिए वह यहां के जलवायु से अच्छी तरह वाकिफ थे।
Casa Roca, एक 2500 स्क्वायर फ़ीट का घर है, जिसमें एक आँगन भी बना है। इससे घर के अंदर के तापमान का संतुलन बनाने में मदद मिलती है। घर के लुक को भले ही मॉर्डन रखा गया है, लेकिन बाकी सारी चीजों में उन्होंने पारम्परिक शैली को ही अपनाया है।
राघव कहते हैं, “दुनिया घूमने के बाद मैंने जाना कि भारत इन दूसरे देशों के मुकाबले संस्कृति और कला के मामले में काफी उन्नत है। हमारे कारीगरों की तुलना करना किसी के बस की बात नहीं है।”
उन्होंने इस घर में मोरक्को के आर्किटेक्चर की झलक देने के लिए बाथरूम में राजस्थान के पत्थरों और लोई प्लास्टर का इस्तेमाल किया है।
Casa Roca में एक किचन गार्डन भी बना है, जहां कुछ हर्ब्स और सब्जियां भी उगाई गई हैं। राघव कहते हैं, “गार्डन में उगे हर्ब्स के कारण घर की हवा भी शुद्ध रहती है। हमने कोरोना के बाद, विशेष रूप से इन पौधों को लगाने में ध्यान दिया।”
हालांकि, घर की बनावट ऐसी है कि ज्यादा बिजली की जरूरत ही नहीं पड़ती, लेकिन राघव जल्द ही यहां एक छोटा सोलर पैनल भी लगाने वाले हैं।
वहीं, घर बनाने के समय ही उन्होंने बारिश के पानी को जमा करने का अच्छा इंतजाम किया था। आज घर की सारी जरूरतें बारिश से जमा हुए पानी से ही पूरी हो जाती हैं।
राघव कहते हैं, “जिस तरह की सुविधाएं हमने इस घर में दी हैं, वह एक आम घर से भी कहीं ज्यादा हैं, जो आपको गांव में रहने का अनुभव भी देती हैं। अगर यही घर हम सामान्य सीमेंट के घरों जैसा बनाते, तो खर्च दुगुना हो जाता। जबकि, यहां सीमेंट का इस्तेमाल कम से कम किया गया है, जिससे यह घर मात्र 22 से 25 लाख में बनकर तैयार हो गया है।”
आप राघव के A plus R Architects के बारे में ज्यादा जानने के लिए उन्हें यहां सम्पर्क कर सकते हैं।
संपादन – अर्चना दुबे
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