मिलिए राजस्थान के रहने वाले राजेश ओझा से, जिन्होंने शहरी जीवन छोड़कर गांव में रहकर ही खड़ा किया शानदार रोजगार। जिसके ज़रिए आज वह कचरे में जा रहे फलों को बचाने के साथ-साथ गांव की 1200 महिलाओं को रोजगार भी दे पा रहे हैं।
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प्रीति टौंक
मूल रूप से झारखंड के धनबाद से आनेवाली, प्रीति ने 'माखनलाल पत्रकारिता यूनिवर्सिटी' से पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। ऑल इंडिया रेडियो और डीडी न्यूज़ से अपने करियर की शुरुआत करने वाली प्रीति को, लेखन के साथ-साथ नयी-नयी जगहों पर घूमने और अपनी चार साल की बेटी के लिए बेकिंग करने का भी शौक है।