Powered by

Latest Stories

Homeआज़ादी

आज़ादी

भारत तब और अब! आज़ादी के 76 साल बाद जानिए किन क्षेत्रों में की कितनी तरक्की

By प्रीति टौंक

आज़ादी के समय हमारे देश में स्कूलों की संख्या महज एक लाख के करीब थी, जो अब बढ़कर 15 लाख से ज्यादा हो गई है। शिक्षा ही नहीं स्वास्थ्य, सड़क और व्यापर के क्षेत्र में भी देश ने खूब तरक्की की है, जानिए बीते 76 सालों में आए बदलाव की कहानी।

अगर लाला लाजपत राय ने नहीं किया होता यह काम, तो आज भी गुलाम होता भारत

By प्रीति टौंक

पंजाब केसरी लाला लाजपत राय ने पंजाब के कई युवाओं की प्रेरणा थे, उनकी मौत का बदला लेने अंग्रेजों से लड़ पड़े थे भगत सिंह।

मंगल पांडे को कैसे दी गई फांसी? जेल के सभी जल्लादों ने कर दिया था इंकार

By प्रीति टौंक

अंग्रेजों की फ़ौज के सिपाही मंगल पांडे के विद्रोह से शुरू हुआ था भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम। पढ़ें, उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

Khudiram Bose: 18 साल, 8 महीने, 8 दिन के थे खुदीराम, जब हँसते-हँसते दे दी देश के लिए जान

By अर्चना दूबे

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे युवा क्रांतिकारियों में से एक, खुदीराम को महज़ 18 वर्ष की उम्र में 11 अगस्त, 1908 को फांसी दे दी गई थी। उस वक्त उनकी उम्र ठीक 18 साल, आठ महीने और आठ दिन थी।

जानें, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की इस छोटी सी स्टूडेंट सोसायटी ने कैसे दिलाई थी भारत को आजादी

‘कैम्ब्रिज मजलिस’ ने भारतीय उपमहाद्वीप के छात्रों को वाद-विवाद, विमर्श और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक मंच प्रदान किया। पढ़ें, इस सोसायटी ने कैसे खोली थी भारत के आजादी की राह।

Dr. Kitchlew: कौन था वह नायक, जिनकी गिरफ्तारी के विरोध में जलियांवाला बाग पहुंचे थे लोग?

डॉ. सैफुद्दीन किचलू एक बैरिस्टर, शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी थे। भारत में सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। जानिये उनके बलिदान की कहानी।

बिपिन चंद्र पाल: जानिए उस योद्धा के बारे में, जो गांधीजी की आलोचना करने से भी नहीं चूके

बिपिन चंद्र पाल ने अपने जीवन में कभी विचारों से समझौता नहीं किया और हमेशा समाज की भलाई के लिए प्रयासरत रहे। पढ़िए उनकी कहानी।

Sardar Udham: पढ़ें, आखिर क्यों उधम सिंह ने अपना नाम रखा था ‘मोहम्मद सिंह आजाद’

शुजीत सरकार के डायरेक्शन में बनी ‘सरदार उधम’ फ़िल्म, प्रसिद्ध क्रांतिकारी के जीवन के कई पहलुओं को हमारे सामने लेकर आती है।

कौन हैं, नेताजी की हर कदम पर मदद करने वाली महिला सेनानी, जिनके लिए रेलवे ने तोड़ी परंपरा

जब बात किसी जाने माने व्यक्ति के नाम पर किसी सड़क, पार्क या स्टेशन का नाम रखने की हो, तो यह सम्मान ज्यादातर पुरुषों को ही मिलता है। महिलाओं का नाम कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आता। लेकिन भारतीय रेलवे ने 1958 में, स्वतंत्रता सेनानी बेला बोस को सम्मान देकर इस परंपरा को तोड़ दिया।

Independence Day 2020: इस स्वतंत्रता दिवस को खास बना रहे हैं ये 5 ऑनलाइन इवेंट्स

By निशा डागर

पहली बार सुचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने स्वतंत्रता दिवस के जश्न में एक ऑनलाइन फिल्म फेस्टिवल को शामिल किया है।