चार सालों तक सरकारी परीक्षा में असफल होने के बाद महज 5 दिन के ट्रेनिंग प्रोग्राम ने गौरव पचौरी का जीवन बदल दिया। रेगिस्तान में मोती उगाकर आज वह लाखों की कमाई कर रहे हैं। इस युवा किसान की सफलता से आपको ही जरूर मिलेगी प्रेरणा।
'भीड़ हमें ताकत देती है लेकिन हमारी पहचान छीन लेती है।" किसानी के अपने खानदानी पेशे को उनकी सही पहचान दिलाने के लिए राजस्थान के एक जवान ने किसान बनने की ठानी और आज अपने अनोखे प्रयास से इलाके के सबसे इनोवेटिव किसान बनकर दूसरों को भी राह दिखा रहे हैं।
"एक बार दो महीने मेहनत करके मेरे पिता ने मक्के के बीज बोए, खाद डाला,पौधे भी हुए लेकिन समय पर बारिश नहीं हुई तो पूरी फसल बर्बाद हो गयी। तब पापा ने मुझसे कहा कि बेटा आगे जाकर कुछ ऐसी पढ़ाई करो जिससे हमारी ये समस्या ख़त्म हो सकें। तब से मैंने इसके बारे कुछ करने का ठान ली।"
कर्नाटक के एक किसान करिबसप्पा एमजी ने अपनी फसलों से कीड़ों को दूर रखने के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करके एक मशीन तैयार किया है, जिसका फ़ायदा आज दुनियाभर के किसानों को मिल रहा है।
हिमाचल के विक्रम रावत ने कलासन में 42 बीघा ज़मीन पर बनाया है एक मॉडल फार्म। अभी तक 11 हज़ार किसानों और बागवानों को एडवांस्ड गार्डनिंग की ट्रेनिंग देने के साथ-साथ, वह 5 लाख सेब के पौधे भी बांट चुके हैं। बैंक की नौकरी से बागवानी तक का उनका यह सफ़र काफ़ी दिलचस्प रहा है।
हिमाचल के मंडी जिले के नांज गांव के नेकराम शर्मा ने 40 तरह के अनाज का एक अनूठा देसी बीज बैंक बनाया है। इस बीज बैंक में कई ऐसे अनाज हैं, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं और कई ऐसे भी हैं, जिनके बारे में आपने शायद ही सुना हो।
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में जन्मे चंद्रशेखर पांडे अपनी पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ रोज़गार की तलाश में सपनों की नगरी मुंबई में जा बसे. शहर में वह अपने सभी अरमान पूरे करते हुए तरक्की कर रहे थे, लेकिन इस बीच गांव और अपनी मिट्टी के लिए लगाव भी बढ़ता रहा। जानें 22 साल बाद आख़िर ऐसा क्या हुआ कि नौकरी छोड़कर वह वापस गांव लौट आये.