उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर जिले के खुरपी गांव में 32 वर्षीय सिद्धार्थ राय, एक एग्रो-टूरिज्म सेंटर चला रहे हैं, जहां आपको तालाब, मुर्गियां, घोड़े, ऊंट, बत्तख सहित कई जानवर मिलेंगे और ये सभी सिद्धार्थ की आय का ज़रिया भी हैं। उन्होंने इस काम की शुरुआत, एक समय पर नौकरी छोड़कर का थी।
पहले जहां पारंपरिक खेती से घर का गुजारा मुश्किल से चलता था, वहीं आज अपनी मेहनत और कुछ नए प्रयासों की बदौलत लाखों कमा रहे हैं, महाराष्ट्र के प्रगतिशील किसान तुकाराम गुंजल।
IIT खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करनेवाले अजित कुमार और सागर कुमार, कहलगाँव में 'Stepupify Labs' के नाम से अपना एक स्टार्टअप चला रहे हैं और इसके तहत उन्होंने किसानों की मदद के लिए 'Farm Surveillance-Cum-Animal Scare' डिवाइस बनाया है।
हरियाणा में फतेहाबाद के रहने वाले शिक्षक प्रमोद गोदारा और उनकी पत्नी, ASI चंद्र कांता पिछले ढाई-तीन सालों से जैविक खेती कर रहे हैं और अपने खेतों पर 'एग्रो-टूरिज्म' को विकसित कर रहे हैं।
राजस्थान के एटॉमिक पावर स्टेशन में एक ठेकेदार के तौर पर काम करनेवाले, एस शिवगणेश ने 2010 में नौकरी छोड़कर किसानी करने की ठानी। अब वह एक सफल किसान हैं। खेती में Intercropping से उन्हें सालाना 16 लाख रुपये की कमाई हो रही है।
उत्तर प्रदेश में जौनपुर के रहनेवाले, 62 वर्षीय रामचंद्र दूबे पहले ऑटो चलाया करते थे, लेकिन पिछले चार सालों से वह किसानों से मशरूम खरीदकर उनसे खाने की चीज़ें बनाते हैं और लाखों का मुनाफा हैं।
ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में तलिता गाँव के रहने वाले, 74 वर्षीय गुरुचरण प्रधान एक रिटायर्ड शिक्षक और किसान हैं। उन्होंने 'कृषक साथी' नाम से एक कृषि यंत्र बनाया है, जो अकेला ही 10 यंत्रों का काम कर सकता है।
भोपाल, मध्य प्रदेश की रहने वाली एक सफल महिला किसान, प्रतिभा तिवारी ने, न सिर्फ किसानों को जैविक खेती से जोड़ा, बल्कि उनकी उपज खरीदकर अपनी फ़ूड कंपनी 'भूमिशा ऑर्गेनिक्स' की भी नींव रखी, जिससे वह लाखों कमा रही हैं।