अहमदाबाद का ‘सिस्टर्स किचन' में तीन बहनें मात्र 90 रुपये में भर पेट खाना खिला रही हैं। पढ़ें, कैसे उन्होंने अपने पिता की याद में इस बिज़नेस की शुरुआत की।
हिमाचल के मंडी जिले के नांज गांव के नेकराम शर्मा ने 40 तरह के अनाज का एक अनूठा देसी बीज बैंक बनाया है। इस बीज बैंक में कई ऐसे अनाज हैं, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं और कई ऐसे भी हैं, जिनके बारे में आपने शायद ही सुना हो।
मेरठ के रहनेवाले मनीष भारती, अपने गाँव से ‘भारती मिल्क स्पलैश' ब्रांड नेम के साथ शहरभर में दूध बेच रहे हैं। इसके साथ ही, वह एक कैफ़े और ऑर्गेनिक स्टोर भी चलाते हैं। पढ़ें कैसे, MBA की पढ़ाई के बाद गाँव में रहकर ही उन्होंने बनाई अपनी पहचान।
अमेरिका की नौकरी और वेल सेटल्ड लाइफ छोड़कर, दिल्ली के रॉबिन सिंह अपनी संस्था ‘पीपल फार्म’ के ज़रिए अब बेसहारा जानवरों की सेवा कर रहे हैं। पढ़ें, कैसे हिमाचल प्रदेश की स्पिति घाटी के कुत्तों के लिए उनकी टीम एक विशेष प्रोग्राम के तहत काम कर रही है।
शहर में जगह और समय की कमी की वजह से जो लोग चाहते हुए भी सब्जियां नहीं उगा पा रहे, उनकी मदद कर रहा है मिथिलेश का स्टार्टअप ‘वेज रूफ’। पढ़ें कैसे एक इंजीनियर ने शुरू किया शहर में खेती करना।
अन्वित ने जब साल 2018 में शहर के बीच में मिट्टी का घर बनाने के फैसला किया, तब लोगों ने कहा- ये पुरानी तकनीक है, आज के समय में ऐसे घर में कौन रहता है? लेकिन अब आस-पास से ही नहीं, बल्कि दूर-दूर से लोग मिट्टी के इस दो मंज़िला घर को देखने आते हैं।
सितम्बर महीने की शुरुआत में ही बोने होते हैं इन पांच सब्जियों के बीज, तभी ठंड में खा पाएंगे ताज़ी हरी सब्जियां। पढ़ें, इन्हें उगाने और देखभाल से जुड़ी ज़रूरी बातें।
एमबीए और एमकॉम की पढाई कर बड़ी कोचिंग में कार्यरत, 25 साल के निमिष गौतम ने गणेश चतुर्थी पर अनोखे इको फ्रेंडली गणेश की 500 मूर्तियां बनाकर लोगों को सवा रुपये में बांटी हैं, जिससे आस्था और पर्यावरण दोनों सुरक्षित रहें।
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में जन्मे चंद्रशेखर पांडे अपनी पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ रोज़गार की तलाश में सपनों की नगरी मुंबई में जा बसे. शहर में वह अपने सभी अरमान पूरे करते हुए तरक्की कर रहे थे, लेकिन इस बीच गांव और अपनी मिट्टी के लिए लगाव भी बढ़ता रहा। जानें 22 साल बाद आख़िर ऐसा क्या हुआ कि नौकरी छोड़कर वह वापस गांव लौट आये.