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लोगों ने जिन्हें कहा भंगारवाली, प्लास्टिक बोतलें इकट्ठा कर उन्होंने बना डाला ईको-फ्रेंडली घर

जो प्लास्टिक की बोतलें हमें अकसर कचरे के ढेर में पड़ी नज़र आती हैं और सदियों तक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं.. औरंगाबाद की दो सहेलियों नमिता कपाले और कल्याणी भारम्बे ने वही हज़ारों प्लास्टिक की बोतलें इकट्ठाकर उनसे एक ईको-फ्रेंडली घर बनाया है; जो हर मायने में सस्टेनेबल है।

सोलर रूफ़, मियावाकी फॉरेस्ट्स और रीसाइकल्ड बेंच; सब है अहमदाबाद के इस अफ़सर का कमाल

भारतीय रेलवे की ट्रेनों में और स्टेशनों पर स्वच्छता की योजना को नए स्तर पर ले जाने वाले फेडरिक पैरियथ ने न केवल अपनी नौकरी की, बल्कि पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियां भी बखूबी निभाईं। उन्हीं के कारण अहमदाबाद रेलवे स्टेशन का कायाकल्प हो सका और आज यह कई सस्टेनेबल तरीक़ों से काम करता है।

10 बेहद आसान और छोटे-छोटे कदम, जिनसे बन सकता है आपका घर पूरी तरह ज़ीरो वेस्ट

By प्रीति टौंक

दिल्ली की प्रीति सिंह पिछले चार सालों से एक जीरो वेस्ट लाइफ स्टाइल फॉलो कर रही हैं। जानें, कैसे की थी उन्होंने शुरुआत?

इस महिला ने की एक पहल और शहर के 40% लोग आए साथ, अब जीरो वेस्ट सिटी बनने की ओर अग्रसर महाड

By प्रीति टौंक

शिक्षिका ममता मेहता ने अपने स्तर पर एक मुहिम की शुरुआत की थी, जिससे शहर के 40 प्रतिशत लोग जुड़े और अब महाराष्ट्र के महाड शहर से हर महीने तकरीबन एक टन प्लास्टिक वेस्ट रीसायकल होने के लिए भेजा जाता है।

दूध के पैकेट से लेकर टूटे हुए फर्नीचर तक, स्कूल टीचर ने किया सबका इस्तेमाल

सी एम नागराज, बेंगलुरु के गवर्नमेंट हाई स्कूल डोड्डबनहल्ली में स्कूल टीचर हैं। हाल ही में पर्यावरण बचाने की उनकी पहल के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

सेकंड हैंड कपड़े, जूते इस्तेमाल करने से प्लास्टिक रीसायकल तक, इनसे सीखें कम में बेहतर जीना

By निशा डागर

मुंबई की फ़िज़ियोथेरेपिस्ट मीरा शाह पिछले कई सालों से जीरो वेस्ट लाइफस्टाइल के लिए प्रयासरत हैं।

न सड़क, न बिजली, फिर भी सीखा प्लास्टिक से प्रोडक्ट बनाना, दिया कई महिलाओं को रोज़गार

By अर्चना दूबे

काजीरंगा (असम) के छोटे से गाँव (बोसागांव) में रहने वाली रूपज्योति गोगोई, प्लास्टिक को रीयूज़ करके उससे बैग्स बनाती हैं।

एक घर ऐसा भी: न कोई केमिकल घर आता है, न कोई कचरा बाहर जाता है

By निशा डागर

देहरादून, उत्तराखंड की रहनेवाली, 47 वर्षीया अनीशा मदान पिछले 12-13 सालों से स्वस्थ और इको-फ्रेंडली जीवन जी रही हैं। जानिए कैसे आया यह बदलाव।

बिजली-पानी मुफ्त और खाना बनता है सोलर कुकर में, बचत के गुर सीखिए इस परिवार से

By निशा डागर

गुजरात के भरुच में रहनेवाली 29 वर्षीया अंजलि और उनका परिवार 'सस्टेनेबल' तरीकों से जीवन जी रहा है।

नौकरी के साथ शुरू किया बिज़नेस, बैरल-टायर से बनाते हैं अनोखे फर्नीचर

By निशा डागर

महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाले 29 वर्षीय प्रदीप जाधव, साल 2018 से अपना फर्नीचर और होम डेकॉर का बिज़नेस चला रहे हैं। उनके स्टार्टअप का नाम ‘Gigantiques’ है, जिसके अंतर्गत, वह इंडस्ट्रियल वेस्ट को अपसायकल करके, फर्नीचर और होम डेकॉर का सामान बनाते हैं।