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दो दोस्तों ने जंगल के बीच बनाए मिट्टी के घर व ट्री हाउस, सस्टेनेबल ट्रैवल को दे रहे बढ़ावा

पगडंडी सफारीज़ के को-फाउंडर्स मानव खंडूजा और श्यामेंद्र सिंघारे ने प्रकृति से लगाव और प्यार के चलते साल 1986 में मध्य प्रदेश के पन्ना नेशनल पार्क में कुछ टेंट्स लगाकर इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी और आज यह Pugdundee Safaris Camp एक या दो नहीं, बल्कि हरियाणा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसी 7 अलग-अलग जगहों पर जगलों के बीचो बीच बने हैं।

20 साल में बंजर ज़मीन को अकेले ही जंगल में बदला, मिलिए मणिपुर के फॉरेस्ट मैन से

मणिपुर के मोइरंगथेम लोइया के 300 एकड़ के जंगल में पौधों की 100 से ज़्यादा किस्में हैं, बांस की लगभग 25 किस्में हैं, यहां हिरण, साही और सांप की प्रजातियां भी हैं। करीब 20 साल पहले यह ज़मीन बंजर थी।

कभी थे चंबल के बाग़ी, आज हैं 'चीता मित्र'! सरकार ने सिकरवार को सौंपी बड़ी ज़िम्मेदारी

अफ्रीका से लाए गए 8 चीते कूनो नेशनल पार्क में छोड़े जाने के बाद से ग्रामीणों में डर का माहौल है और कई गलतफहमियां भी हैं। ऐसे में एक समय पर चंबल के ख़ौफ़नाक बाग़ी रहे रमेश सिंह सिकरवार को सरकार ने चीता मित्र नियुक्त किया है।

लॉकडाउन का किया सही इस्तेमाल, 350 दुर्लभ पेड़ों का बीज बैंक बनाकर बांटते हैं मुफ्त

By प्रीति टौंक

पालनपुर, गुजरात के 26 वर्षीय निरल पटेल ने लॉकडाउन के दौरान एक अनोखा बीज बैंक बनाया है। वह महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान तक पार्सल से विलुप्त होती वनस्पतियों और पेड़ों के बीज पहुंचाते हैं।

आपकी खरीददारी की आदतों से जुड़ी हैं ऑरंगुटन और गैंडों की सुरक्षा, जानिये कैसे!

By पूजा दास

शैम्पू से लेकर टूथपेस्ट पिज्जा, और चॉकलेट तक, सुपरमार्केट से आप जो भी उत्पाद खरीदते हैं, उनमें से 50% उत्पाद में पाम तेल शामिल होता है। लेकिन इसका उत्पादन करने वाले देशों के सामने वनों की कटाई, बायोडाइवर्सिटी से जुड़ी हानि जैसी कई चुनतियां भी हैं। किन सस्टेनेबल तरीकों से इन समस्यायों का समाधान संभव है, पढ़िए यह लेख!

अमृतसर: IRS रोहित मेहरा की ट्री एम्बुलेंस, जो करती है पेड़ों के 32 रोगों का ट्रीटमेंट

जैसे इंसानों और जानवरों के लिए डॉक्टर और अस्पताल होते हैं ठीक उसी तरह अमृतसर, पंजाब में IRS ऑफिसर रोहित मेहरा ने पेड़-पौधों के लिए ट्री एम्बुलेंस और अस्पताल की शुरुआत की है।

बेस्ट ऑफ 2020: 10 पर्यावरण रक्षक, जिनकी पहल से इस साल पृथ्वी बनी थोड़ी और बेहतर

इन योद्धाओं का प्रयास आने वाले वर्षों में पर्यावरण संरक्षण की दरकार को बढ़ाने में, महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

बंजर ज़मीन से घने जंगल तक: जानिए कैसे इस शख्स ने लगा दिए 1 करोड़ से भी ज्यादा पेड़-पौधे

By निशा डागर

तमिलनाडु के पुथुराई गाँव के पर्यावरणविद डी. सरवनन पिछले 25 सालों से अरण्य जंगल को संवारने और सहेजने का काम कर रहे हैं!

12वीं पास युवक ने शुरू किया प्रोसेसिंग का व्यवसाय, 650 आदिवासी महिलाओं को मिला रोज़गार

By निशा डागर

पहले ये महिलाएं जंगलों से फल इकट्ठा करके सड़क किनारे बेचतीं थीं और मुश्किल से दिन के 100 रुपये कमा पातीं थीं। पर अब उन्हें भटकना नहीं पड़ता, वो फलों को इकट्ठा करके सीधा प्रोसेसिंग यूनिट के संग्रहण केंद्र पर पहुंचाती हैं, जहां से उन्हें बाज़ार के हिसाब से भाव मिल जाता है!

200 गांवों की महिलाओं को जोड़ रुकवाई जंगलों की कटाई और बचा ली कोसी नदी

By निशा डागर

मात्र 12 वर्ष की आयु में विधवा हो चुकीं बसंती बहन के संघर्ष की इस कहानी को पढ़कर आपको अपनी कठिनाईयां छोटी लगने लगेंगी।