आठवीं की पढ़ाई के बाद दामोदर गाँव से बाहर पढ़ने के लिए गए। अपनी पढ़ाई पूरी कर जब वह गाँव लौटे तो उन्होंने देखा कि जहाँ हरे-भरे पेड़ हुआ करते थे, अब वहां सिर्फ ठूंठ हैं। बस उसी दिन से उन्होंने जंगल की रक्षा को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया!
"मुझे मेरी माँ ने मल्चिंग ( गीली घास ), कम्पोस्टिंग ( खाद बनाना), मिट्टी-पुनर्जनन, सीड सेविंग और कम्पैन्यन प्लांटिंग जैसे प्राकृतिक तरीकों से यह फोरेस्ट उगाने के लिए प्रेरित किया!"
साल 2007 में महेश शर्मा ने शिवगंगा संगठन की नींव रखी थी, जिसका उद्देश्य है, 'विकास का जतन!' जल और जंगल के संरक्षण के साथ-साथ यह संगठन यहाँ युवाओं को उद्यमिता का कौशल भी सिखा रहा है!