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eco friendly house

40 देश घूमे, रोबोटिक आर्किटेक्चर की पढ़ाई की, पर पारंपरिक भारतीय शैली से बनाया घर

By प्रीति टौंक

कोयंबटूर में A PLUS R आर्किटेक्चर फर्म चलानेवाले राघव ने विदेश से रोबॉटिक आर्किटेक्चर की पढ़ाई की है और तकरीबन 40 देशों की यात्रा भी की है। बावजूद इसके वह पारम्परिक तकनीक से बने भारतीय घरों को सबसे ज्यादा सस्टेनेबल मानते हैं। इसका अच्छा उदाहरण पेश करने के लिए उन्होंने अपने परिवार के लिए एक जीरो कार्बन फुट प्रिंट वाला घर तैयार किया है, जिसका नाम है Casa Roca!

शहर छोड़ रहने लगे गांव में, बेटी को पढ़ाने सादगी का पाठ

By प्रीति टौंक

तमिलनाडु, होसुर के पास Denkanikotta में बने आर्किटेक्ट राजीव कुमारवेल का घर गर्मियों में भी ठंडा रहता है। सीमेंट का कम से कम उपयोग करके बने इस घर में उनका परिवार साल भर बारिश का पानी पीता है और घर में उगी सब्जियां ही खाता है।

किसान ने बनाया बेहतरीन ईको-टूरिज्म, जहां जैविक खेती और हस्तकला की दी जाती है मुफ्त तालीम

By प्रीति टौंक

साल 2001 से जैविक खेती कर रहे कच्छ के मनोज सोलंकी, अपने ट्रस्ट के जरिए गांव वालों को सस्टेनेबल व्यवसाय के तरीके भी सीखा रहे हैं। इसी प्रयास की आगे बढ़ाते हुए, उन्होंने ईको-टूरिज्म की भी शुरुआत की है।

भूंगा घर: गुजरात के गौरव की तस्वीर है यह शैली, भूकंप से लड़ने की भी रखते हैं ताकत

2001 में, गुजरात के भुज में आए भूकंप के दौरान सीमेंट से बने घर तो टूट गए थे, लेकिन ‘भूंगा’ शैली से मिट्टी से बने घरों को ज़रा सा भी नुकसान नहीं पहुंचा था।

गुजरात के इस ईको फ्रेंडली घर को मिला है 'आदर्श घर' का अवॉर्ड, बिजली, पानी, सब्जी सब है फ्री

By प्रीति टौंक

अमरेली के रहनेवाले कैलाशबेन और कनुभाई करकर के घर में तमाम सुविधाएं होते हुए भी, बिजली-पानी का कोई खर्च नहीं आता है। इतना ही नहीं, सरकार उन्हें सालाना 10 हजार रुपये देती है। तभी तो इसे मिला है गुजरात के आदर्श घर का अवॉर्ड।

सदियों से भारत में बन रहे हैं Sustainable Homes, गुजरात के ये पारंपरिक घर हैं गवाह

By प्रीति टौंक

पढ़ें कैसे बनाये जाते थे गुजरात के ये हेरिटेज होम (Traditional Homes), जो Sustainable Homes का हैं बेहरतीन नमूना।

बेंगलुरु में बनाया मिट्टी का घर, नहीं लिया बिजली कनेक्शन, जीते हैं गाँव जैसा जीवन

By निशा डागर

बेंगलुरु में इको फ्रेंडली घर में रहने वाले चोक्कलिंगम और उनका परिवार पिछले लगभग 14 सालों से अपनी जीवनशैली को प्रकृति के अनुकूल ढालने के लिए प्रयासरत हैं।

शहर छोड़, आर्किटेक्ट ने गाँव में बनाया पत्थर का घर और ऑफिस, गाँववालों को दिया रोज़गार

By प्रीति टौंक

एग्रीकल्चर और आर्किटेक्चर का बेहतरीन उदाहरण है अहमदाबाद के हिमांशु पटेल का घर। शहर की नौकरी और घर छोड़कर, गाँव में बनाया अपना ईको-फ्रेंडली आशियाना।

100 साल तक चलेगा यह घर, क्या टूटे मकानों की लकड़ियां है इसका राज?

By निशा डागर

मैंगलोर में बसे इस घर को बनाने में, पुराने टूटे हुए घरों की लकड़ियां इस्तेमाल की गयी हैं। पर इन्हें बनाने वालों का दावा है कि यह 100 साल तक टिकने वाला घर है। जानिए क्या है, उनके इस दावे के पीछे की वजह!