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द बेटर इंडिया की पहल का असर! ज़रूरतमंदों तक पहुँची खुशियों की थाली

द बेटर इंडिया और स्वप्ना फाउंडेशन ने मिलकर की एक पहल, जिसके ज़रिए सैंकड़ों लोगों को पेटभर भोजन के साथ हमने परोसीं ढेर सारी खुशियाँ भी। इस काम में हमें मिला आपका भी साथ, शुक्रिया!

दिल्ली की 'सुपरकॉप' सुनीता! ढूंढ निकाले 75 लापता बच्चे, विभाग ने दिया आउट ऑफ टर्न प्रमोशन

दिल्ली पुलिस में तैनात महिला ASI यानी सहायक पुलिस निरीक्षक सुनीता अंतिल ने अपने साहस से अब तक 75 मिसिंग बच्चों को ढूंढ़कर, उन्हें उनके परिवार से मिलाने में कामयाबी हासिल की है। इस उपलब्धि के बाद विभाग ने उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने का फैसला लिया है।

मोबाइल गेम छोड़, बच्चों ने दिया किसान पिता का साथ, चंद महीनों में हुआ ढाई लाख का मुनाफा

By निशा डागर

हरियाणा में झज्जर के एक गाँव में रहने वाले कुलदीप सुहाग, अपनी दो एकड़ जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं। इस काम में उनके घर के सभी छोटे-बड़े बच्चे उनकी मदद कर रहे हैं।

दिल्ली: फुटपाथ और झुग्गी के बच्चों को ऑफिस के लंचटाइम में खाना खिलाते हैं यह अकाउंटेंट

कैंटीन में वह सूखा राशन मुहैया कराते हैं और फिर जब खाना तैयार हो जाता है तो एक घंटे के लंच टाइम में उसे स्लम में बांटने के लिए निकल पड़ते हैं।

18 महिलाओं से शुरू हुई संस्था आज दे रही है 50 हजार महिलाओं को रोजगार और प्रशिक्षण!

महिलाओं द्वारा बनाया गया सामान 'सम्भली' के जोधपुर स्थित शोरूम में विदेशी पर्यटकों एवं अन्य लोगों को बेचा जाता है और इसके बदले महिलाओं को उचित वेतन दिया जाता है।

इस कहानी की दुकान से मुफ्त में सपने खरीदते हैं गाँव के बच्चे, दुकानदार हैं दो दोस्त

अनूप और जैस्मीन वीकेंड में ऑफिस के बाद 13-14 घंटे ड्राइव कर के गुनेहर गाँव तक जाते हैं। वहाँ वे बच्चों को हर वो चीज़ सिखाने की कोशिश करते हैं जो शहर के बच्चे सीखते हैं जैसे एक्टिंग, म्यूज़िक, आर्ट आदि।

पानी से भरा एक पुल, बीच में फंसी एंबुलेंस, फिर 12 साल के बच्चे ने दिखाई राह!

वेंकटेश वीरता पुरस्कार मिलने से खुश है, लेकिन वह अब भी कहता है कि उसने सिर्फ वही किया जो हर इंसान को करना चाहिए - 'एक दूसरे की मदद'!

हर रोज़ 70 जानवरों को खाना खिलाती है 15 साल की यह बच्ची!

By निशा डागर

चांदनी ने बेसहारा जानवरों के लिए एक शेल्टर होम भी शुरू किया है, जहां फ़िलहाल 55 बेजुबानों को वक़्त पर खाना और मेडिकल ट्रीटमेंट मिल रहा है!

बंगलुरु: इस डॉक्टर के प्रयासों ने एक डंपयार्ड को बदला दादा-दादी पार्क में!

By निशा डागर

लोगों को कचरा न फेंकने के लिए समझाना बहुत ही मुश्किल काम था। अगर उन्हें रोका जाता तो वे उल्टा डॉ. अग्रवाल से ही बहस करते कि अगर यहाँ न फेंके तो कहाँ फेंके?