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प्रज्ञा श्रीवास्तव

सोनू सूद और ज़रुरतमंदों के बीच की कड़ी है यह शख्स, लोगों को घर भिजवाने में अहम योगदान

सोनू के दिल जीत लेने वाले ट्वीट की प्रेरणा भी कई बार साधू बनते हैं। चूंकि साधू हिंदी बेल्ट से हैं और पूर्वांचल से काफी परिचित हैं। इसलिए उन्हें मालूम है कि कैसे लोगों से संवाद किया जाए।

गुरुग्राम और हिसार में 1000 ज़रूरतमंद परिवारों तक राशन पहुंचा चुकी हैं शालिनी कपूर

सभी को ज़रूरतमंद लोगों की हरसंभव मदद करनी चाहिए। इसी सोच के साथ यत्न इस ज़रुरत के समय में लोगों की मदद को बढ़ चढ़कर भाग ले रहा है।

कोविड-19: श्रमिकों और जरूरमंदों की सहायता कर रहे हैं देशभर के युवा, आप भी दे सकते हैं साथ

कोरोना महामारी के दौर में सबसे अधिक नुकसान श्रमिक वर्ग का हुआ है। इन सभी तक मदद पहुंचाने के लिए कुछ युवा और उनकी संस्थाएं बढ़-चढ़कर आगे आ रही हैं।देश के अलग-अलग हिस्सों में भागीरथ प्रयास में जुटे ऐसे ही कुछ युवाओं के बारे में हम यहां बता रहे हैं।

जबरन वेश्यावृत्ति में धकेली जाती थीं इस समुदाय की महिलाएं, एक संस्था ने बदल दी तस्वीर!

‘अपनेआप संस्था’ की कार्यकर्ता टिंकू खन्ना के अनुसार समुदाय के पुरुष कोई काम नहीं करते हैं और दिन भर शराब का सेवन और महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा करते हैं। शाम के समय घर की सभी महिलाओं को गाड़ियों में भरकर अलग-अलग स्थानों पर खरीदारों के पास ले जाया जाता है।

18 महिलाओं से शुरू हुई संस्था आज दे रही है 50 हजार महिलाओं को रोजगार और प्रशिक्षण!

महिलाओं द्वारा बनाया गया सामान 'सम्भली' के जोधपुर स्थित शोरूम में विदेशी पर्यटकों एवं अन्य लोगों को बेचा जाता है और इसके बदले महिलाओं को उचित वेतन दिया जाता है।

विदेशी किसानी में लगाया देसी तड़का, रिसर्च साइंटिस्ट बन गया मेहनती किसान!

इस देश की मिट्टी की ख़ुशबू का जादू कुछ ऐसा था कि विदेशी रुतबा, चकाचौंध और मोटी तनख्वाह भी उन्हें यहाँ लौटने से न रोक सकी!

टीचर ने बनाया अनोखा स्कूल, जहाँ बच्चों को मिलती है मुफ्त शिक्षा और अभिभावकों को रोज़गार!

शालिनी का मानना है कि जब तक मौलिक जरूरतें पूरी नहीं होंगी, तब तक बच्चे शिक्षा का महत्व नहीं समझेंगे।

उदयपुर की 'धरोहर': इस इवनिंग शो को देखने के लिए देश-विदेश से पहुँचते हैं पर्यटक यहाँ!

धरोहर का एक ही सपना है, कि लोक कलाकारों को एक मंच मिले और पूरा सम्मान भी। साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो।

दो युवाओं ने केरल के इन छोटे-छोटे गाँवों को बना दिया बेहतरीन टूरिज्म स्पॉट!

हमारी आँखों पर शहरों की चकाचौंध का ऐसा चश्मा चढ़ा हुआ है कि अपने पीछे छूटे हुए गाँव का अंधेरा हमें दिखाई ही नहीं देता। इसी अंधेरे को दूर करने के लिए एक कदम उठाया है अन्नू और भावेश ने !

राजस्थान का एक गाँव, जहाँ सालाना इक्ट्ठा होते हैं 10 हजार से भी ज्यादा कलाकर!

मोमसार केवल दीपावाली तक ही सीमित नहीं है। साल भर में विनोद की यह संस्था अलग-अलग त्योहारों पर 34 उत्सवों का आयोजन करवाती है। जिससे साल भर क्षेत्रीय कलाकारों के पास काम रहता है।