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मंदिर में पड़े फूल-पत्तियों से खाद बनाकर, सार्वजनिक जगहों पर लगाते हैं पौधे

By प्रीति टौंक

पेशे से वकील दिल्ली के देवराज अग्रवाल एक प्रकृति प्रेमी हैं। उन्होंने बेकार पड़े सूखे पत्तों और भगवान पर चढ़नेवाले फूलों के सही इस्तेमाल के लिए पौधे उगान शुरू कियाा और अब तक वह सार्वजनिक जगहों और पार्क में सैकड़ों पौधे लगा चुके हैं।

बिना कोचिंग, कैसे करें UPSC क्रैक, जानिए IAS गंधर्व राठौड़ से

By प्रीति महावर

साल 2015 में UPSC सिविल सेवा परीक्षा में पूरे देश में 93वीं रैंक हासिल करने वाली गंधर्व राठौड़ ने यूपीएससी के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए बहुत सी रोचक और व्यवहारिक बातें बताई हैं, जिन्हें पढ़कर आप भी बिना कोचिंग के इस परीक्षा की तैयारी करने का मन बना सकते हैं।

हर दिन 1000 से ज्यादा जरूरतमंद लोगों को मुफ्त में खाना खिलाता है ‘वीरजी का डेरा'

By निशा डागर

दिल्ली में ‘वीरजी का डेरा' संगठन द्वारा हर दिन 1000 से ज्यादा गरीब और बेसहारा लोगों को खाना खिलाया जाता है और 300 से 400 बीमार तथा घायल लोगों का इलाज किया जाता है।

दिल्ली पुलिस: गरीब बच्चों की पढ़ाई पर पूरी कमाई खर्च कर देते हैं कांस्टेबल अमित लाठिया

By निशा डागर

हरियाणा के सोनीपत में रहने वाले अमित लाठिया दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल हैं और पिछले लगभग 7 सालों से 100 से ज़्यादा गरीब बच्चों की कोचिंग और रहने-खाने का खर्च उठा चुके हैं!

15 साल से अपनी गली, मोहल्ले और शहर को साफ कर रहीं हैं 63 वर्षीया रेनू गुप्ता

By निशा डागर

अगर आपको भी लगता है कि आपके घर के पास लगे कूड़े के ढेरों को हटाने और साफ़ करने की ज़िम्मेदारी सिर्फ प्रशासन की है तो पढ़िए दिल्ली की इस महिला की कहानी!

75 वर्षीया नानी के हुनर को नातिन ने दी पहचान, शुरू किया स्टार्टअप

By निशा डागर

दिल्ली की कृतिका सोंधी ने अपनी नानी के टैलेंट को एक पहचान देने के लिए स्टार्टअप की शुरुआत की थी लेकिन जैसे-जैसे ऑर्डर्स बढे, उनके साथ और 14 बुनाई करने वाले लोग जुड़ गए हैं!

दिल्ली: पिछले 7 सालों से नहीं फेंका घर का जैविक कचरा, खाद बनाकर करतीं हैं गार्डनिंग

By निशा डागर

ढलती उम्र को अकेलेपन में नहीं बल्कि पर्यावरण के लिए कुछ अच्छा करते हुए बिताना चाहतीं हैं दिल्ली की 65 वर्षीया रेखा मान।

दिल्ली: मिलिए 16 साल की हर्षिता से, घर से चलाती हैं 'बबल टी' का सफल बिज़नेस

By पूजा दास

शनिवार को हर्षिता अपनी पढ़ाई से छुट्टी लेती हैं और पांच सबसे पॉपुलेर फ्लेवर में बबल टी बनाती हैं। प्रति सप्ताह उन्हें लगभग 25-30 ऑर्डर मिलते हैं। हर्षिता को उम्मीद है कि कोरोनावायरस की स्थिति ठीक होने के बाद वह इस साल के अंत तक करीब 400 ऑर्डर और प्राप्त कर सकती हैं, जिससे उन्हें करीब 80 हज़ार का मुनाफा हो सकता है।