मिलिए भोपाल (मध्यप्रदेश) की 53 वर्षीया ज्योति रात्रे से, जिनके जज्बे ने उन्हें 50 की उम्र में न सिर्फ एक पर्वतारोही बनाया, बल्कि उन्होंने यूरोप की सबसे ऊँची छोटी माउंट एलब्रुस को इस उम्र में फतह करके एक रिकॉर्ड भी बनाया।
जम्मू के मरीन इंजीनियर नवजीव डिगरा हमेशा से जहाज पर रहते हुए प्रकृति के पास तो थे, लेकिन प्रकृति में फैले प्रदूषण से भी काफी परेशान थे। तभी उन्होंने अपने शहर के पार्क को हरा-भरा बनाने की ठानी और खुद की मेहनत से इसे एक बायोडायवर्सिटी गार्डन बना दिया।
मिलिए नागपुर की रहनेवाली प्रीति हिंगे से, जिन्होंने अपने बढ़ई पिता से फर्नीचर बनाने की कला सीखी और शादी के बाद घर चलाने के लिए इसे ही अपना काम बना लिया।
संबलपुर की संतोषीनी मिश्रा 74 की उम्र में भी शहर की कई शादियों और समारोहों में केटरिंग सर्विस का काम करती हैं। वह अपनी कैटरिंग एजेंसी के माध्यम से कइयों को रोजगार भी दे रही हैं।
दिल्ली की 66 वर्षीया वसंती अखानी, पकौड़ी और नाश्ते बेचा करती थीं। कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने अपने बच्चों को एक अच्छा जीवन दिया और काबिल बनाया। अब वह खुद मौज़ भरा जीवन जी रही हैं। उन्हें फिल्मों का बड़ा शौक है और अपने फ़िल्मी अंदाज के कारण वह सोशल मीडिया स्टार बन गई हैं।
मुंबई के 24 वर्षीय रजत शुक्ला एक साल से एक लम्बी ट्रिप पर हैं। इस दौरान वह लोगों से कुछ सीखते हैं और उन्हें कुछ सिखाते हैं। इसी तरह वह अपने रहने -खाने और घूमने का इंतजाम भी करते हैं। पढ़ें उनके इस अनोखे ट्रिप की कहानी।
सूरत के पास, अंभेटी गांव के रहनेवाले कमलेश पटेल ने साल 2015 में खुद जैविक खेती को अपनाया और गांव के कई दूसरे किसानों के लिए जैविक खाद बनाकर उन्हें भी जीरो बजट खेती सिखाई।
लॉकडाउन में अपने गांव के बच्चों को पढ़ने का एक अच्छा माहौल देने के लिए, गनौली के ह्यूमन राइट्स इंस्पेक्टर लाल बहार ने कुछ दोस्तों की मदद से एक लाइब्रेरी खोली। उनका प्रयास इतना सफल हुआ कि कई गांवों में ऐसी लाइब्रेरी खुल गई।
डॉक्टर अजय सोनकर ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह के सीपों के टिश्यू से मोती उगाने का काम प्रयागराज के अपने लैब में किया है। मोतियों की दुनिया में उनके किए रिसर्च की वजह से उन्हें इस साल पद्म श्री अवार्ड से नवाजा गया।