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गाँव

खुद किताबों के अभाव में बड़ा हुआ यह पत्रकार अब आपकी रद्दी को बना रहा है ग्रामीण बच्चों का साहित्य!

By निशा डागर

बिहार में गोपालगंज जिले के लुहसी गाँव से ताल्लुक रखने वाले जय प्रकाश मिश्र, 'फाउंडेशन ज़िंदगी' के संस्थापक हैं। इस फाउंडेशन के बैनर तले, साल 2014 से वे कबाड़ और अन्य लोगों से किताबें इकट्ठा करके, बिहार के गांवों में सामुदायिक लाइब्रेरी खोल रहे हैं। उनका उद्देश्य ज़रुरतमंदों तक किताबें पहुँचाना है।

सौ रूपये से भी कम लागत में, गाँव-गाँव जाकर, आदिवासी महिलाओं को 'सौर कुकर' बनाना सिखा रहा है यह इंजीनियर!

By निशा डागर

गुजरात ग्रासरूट्स इनोवेशन ऑगमेंटेशन नेटवर्क में सीनियर मैनेजर का पद संभाल रहे अलज़ुबैर सैयद ने भारत के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में ईंधन की समस्या पर काम करते हुए 'सोलर कुकिंग अभियान' शुरू किया है। उन्होंने अब तक 100 से भी ज़्यादा गांवों में जाकर लोगों को सौर कुकर बनाना सिखाया है।

दुर्घटना के बाद कभी हाथ और पैर काटने की थी नौबत, आज हैं नेशनल पैरा-एथलेटिक्स के गोल्ड विजेता!

By निशा डागर

बिहार के 24 वर्षीय पैरा- एथलीट शेखर चौरसिया भी उन लोगों में से एक हैं, जिन्होंने हर एक चुनौती से लड़कर अपना रास्ता बनाया है। उन्होंने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित अलग- अलग पैरा-एथलीट चैंपियनशिप में गोल्ड व सिल्वर मेडल जीते हैं।

1200 गाँवों में जाकर लगभग 4 लाख ग़रीब युवाओं को रोज़गार दिला चुकी है यह संस्था!

By मानबी कटोच

अकादमी ने हाल ही में 22 फ़रवरी को उत्तराखंड के देहरादून में अपना 25वां केंद्र खोला है, जिसके ज़रिए वह और युवाओं को प्रशिक्षित कर, साल 2020 तक 1.5 लाख युवाओं को रोज़गार देने के अपने लक्ष्य को पूरा करना चाहती है।

महाराष्ट्र : कभी इंजिनियर रह चुका यह किसान आज खेती से हर साल कमा रहा है 20 लाख रूपये!

महाराष्ट्र के सांगली जिले में नागराले गाँव के किसान अनूप पाटिल कभी आईटी इंजीनियर के तौर पर काम करते। Maharashtra Farmer engineer turned

हिमाचल प्रदेश : जो गाँववाले अस्पताल तक नहीं पहुँच सकते, उनके घर तक पहुँच रहा है यह मोबाइल अस्पताल!

इस सेवा के अंतर्गत मोबाइल वैन में एक हेल्थ ऑफिसर एवं पैरा मेडिकल वालंटियरस के अलावा नर्स, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन तथा वाहन चालक होते हैं, जो लोगों के घर द्वार पहुंचकर न केवल विभिन्न प्रकार के रोगों की निशुल्क जांच करते है बल्कि मौके पर उनका इलाज भी करते है।

वीटी कृष्णमाचारी : भारत के मास्टर प्लानर, जिन्होंने रखी थी 'पंचायती राज' की नींव!

By निशा डागर

4 फरवरी, 1881 को करूर जिले के वंगल गाँव के एक जमींदार के यहाँ जन्में वी. टी कृष्णामाचारी एक भारतीय प्रशासनिक अधिकारी थे। अपने करियर के दौरान उन्होंने कुछ प्रमुख पद संभाले, जैसे कि दीवान ऑफ बड़ौदा और जयपुर राज्य के प्रधान मंत्री। इसके अलावा उन्होंने 'पंचायती राज व्यवस्था' की नींव रखी।

महाराष्ट्र: 7 किमी के घने जंगल को पैदल पार कर स्कूल जाने वाली निकिता को मिली इलेक्ट्रिक-साइकिल!

By निशा डागर

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में रहने वाली एक नौवीं कक्षा की छात्रा, निकिता कृष्णा मोरे को अपने स्कूल जाने के लिए हर रोज़ 7 किलोमीटर लम्बा जंगल पार करना पड़ता है। उनकी इस परेशानी के बारे में पढ़कर पुणे के एक बिज़नेसमैन ने उन्हें साइकिल गिफ्ट की है। अब निकिता सुरक्षित और जल्दी स्कूल जा सकती हैं।

जानिए भारत के खेल-गाँव के बारे में, जहाँ हर घर में मिलेंगें खिलाड़ी!

By निशा डागर

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित पुरई गाँव भारत के खेल-गाँव के नाम से मशहूर है। इस गाँव में हर एक घर में आपको खिलाड़ी मिल जायेंगें। पिछले साल ही भारतीय खेल प्राधिकरण ने गाँव के 12 बच्चों को तैराकी के लिए चुना है। इन बच्चों को ओलिम्पिक के लिए तैयार किया जायेगा।

छत्तीसगढ़: हर रोज़ तेल के डिब्बों के सहारे नदी पार करती थीं छात्राएँ; कलेक्टर ने की समस्या हल!

By निशा डागर

छत्तीसगढ़ के रहता गाँव के निवासियों की समस्याओं को दूर करने के लिए बालोद जिले की कलेक्टर किरण कौशल ने उनके लिए एक मोटरबोट, लाइफजैकेट्स और दो होम गार्ड नियुक्त किये हैं। दरअसल, इस गाँव के निवासियों को खरखरा बांध के रिज़रवायर को पर करके अरजपूरी जाना पड़ता है।