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गाँव-घर

शहर से आई युवा सरपंच ने बदला गांव का हाल, प्लास्टिक यूज़ हुआ 75% कम, पानी होता है रिसायकल

By पूजा दास

प्रियंका तिवारी, उत्तर प्रदेश के राजपुर ग्राम पंचायत की सरपंच हैं। एक साल के भीतर ही उन्होंने गांव में कई बदलाव किए हैं। उन्होंने गांव में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक के साथ ग्रेवाटर रीसाइक्लिंग, एक श्मशान घाट और एक लाइब्रेरी भी शुरू की है।

Bancha Village: देश का पहला गांव जहां सभी घरों में सोलर एनर्जी से बनता है खाना

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले का बांचा गांव देश का पहला ऐसा गांव है, जहां न किसी घर में लकड़ी के चूल्हे का इस्तेमाल होता है और न ही एलपीजी सिलेंडर का। जानिए कैसे बदली इस आदिवासी बहुल गांव की किस्मत!

दशकों से अंधेरे में डूबा था नागालैंड का यह गांव, शिक्षक ने दिखाई 60 परिवारों को रौशनी

नागालैंड का शिन्न्यु गांव (Nagaland Village) भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित है। 44 साल पहले बसे इस गांव में बिजली की कोई सुविधा न थी। लेकिन, एक सरकारी शिक्षक के सोशल मीडिया पोस्ट ने उन्हें एक नई उम्मीद दी है। पढ़िए यह प्रेरक कहानी!

घूम-घूमकर गाँवों में बायोगैस प्लांट लगवा रहीं हैं पटना की आकांक्षा, कई घरों को किया रौशन

By पूजा दास

व्हाट्सएप, फेसबुक और इन्स्टाग्राम के दौर में पटना शहर की रहने वाली आकांक्षा सिंह देश के गाँवों में किसानों की ज़िंदगी बेहतर बनाने में जुटी हुई हैं।

10 लाख घरों को धुएं से बचा रहा है इन MBA ग्रैजुएट्स का एक आविष्कार, 'ग्रीन-चूल्हा'

By निशा डागर

इस प्रोडक्ट को डिज़ाइन करने से पहले इन युवाओं ने देश के उन सूदूर इलाकों का दौरा किया, जहां मिट्टी के चूल्हे इस्तेमाल होते हैं!

झारखंड के इस गाँव के लोगों ने बाँस से बनाया 100 फीट लंबा झूलता हुआ पुल

By कुमार विकास

नदी के दोनों किनारों पर बड़े-बड़े पेड़ों पर तार खींचकर उस पर बांस बिछाकर पुल में चलने के रास्ते तैयार किए गये और करीब 25 से 30 दिनों की मेहनत के बाद कटांग का झूला पुल आज लोगों का संकटमोचक बनकर तैयार है।

जानिए कैसे भागीरथ प्रयासों से सूखाग्रस्त गाँव बन गया देश का पहला 'जलग्राम'!

By निशा डागर

"हमने इस काम के लिए एक पैसा भी सरकार से नहीं लिया है। क्योंकि पानी सरकार का नहीं समाज का मुद्दा है!"- उमा शंकर पांडेय

जहाँ बिजली भी नहीं पहुँचती, वहाँ आदिवासी भाषाओं में जानकारी पहुँचाते हैं ये पत्रकार!

By द बेटर इंडिया

'आदिवासी जनजागृति' ने पिछले 3 महीनों में न सिर्फ कोरोना पर जागरूकता लाने का काम किया है बल्कि फेक न्यूज, मजदूरों की समस्या सहित इस दौरान बढ़े करप्शन को भी उजागर किया है।

83 साल की 'सब्ज़ीवाली दादी' का कमाल, दो गांवों के हर एक घर में लगवा दिया किचन गार्डन!

By निशा डागर

भारत के गाँव खुद अपना खाना उगाएं, इसके लिए उन्होंने अपने बेटे के साथ मिलकर एक एक्शन प्लान भी बनाया है, जिसके हिसाब से हर एक गाँव में पांच तरह के किचन गार्डन लगाए जा सकते हैं!

जर्नलिज़्म को किया अलविदा, अब हिमाचल के कस्बों का स्वाद पहुँचातीं हैं पूरे देश तक!

By अलका कौशिक

स्थानीय हिमाचली सेल्‍फ-हेल्‍प समूहों से अचार, जैम, चटनी, चिलगोज़े, राजमा, हर्बल चाय, ऊनी सामान, शहद, क्रीम, गुट्टी का तेल वगैरह जाने क्या-क्या खरीदकर, पैकेजिंग कर, वह अपने शब्दों की चाशनी में घोलकर इन्हें ऑनलाइन बेचती हैं। अपने कलम की ताकत से अब इन महिलाओं की मदद करती हैं!