Powered by

Latest Stories

Homeखेल

खेल

ढाई किल्ले ज़मीन बेची, ट्रैक्टर बेचा, गांव से शहर हुए शिफ्ट, आज बेटी बनी वर्ल्ड चैंपियन

जानिए कैसे, हरियाणा के एक गांव से निकलकर, अंतिम पंघाल बनीं अंडर-20 वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियन जीतने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर।

सैयद अब्दुल रहीम: भारतीय आधुनिक फुटबॉल के आर्किटेक्ट, कैंसर से जूझते हुए भी ले आए थे गोल्ड

ब्राज़ील से भी पहले सैयद अब्दुल रहीम ने भारतीय फुटबॉल टीम को दिया 4-2-4 का फॉर्मेशन, जानें क्या है इस फॉर्मेशन का मतलब और इसके फायदे।

3 साल की अनपेड लीव लेकर पिता ने दिलाई कोचिंग, नीतू ने गोल्ड लाकर पूरा किया सपना

हरियाणा के भिवानी जिले स्थित धनाना गांव की रहनेवाली बॉक्सर नीतू गंगस का नाम मुक्केबाजी के फलक पर चमक रहा है। उन्होंने इंग्लैंड के बर्मिंघम में महिला वर्ग की मिनिमम वेट कैटेगरी (45-48 किग्रा) में गोल्ड मेडल जीता। जीत के बाद नीतू के कोच भास्कर भट्ट बेहद भावुक थे।

कभी भाला खरीदने के नहीं थे पैसे, गन्ने को भाला बना करती थीं अभ्यास, आज देश के लिए जीता पदक

कामनवेल्थ गेम्स-2022 में भारत की अन्नू रानी ने इतिहास रच दिया। 60 मीटर दूर भाला फेंककर, वह कॉमनवेल्थ गेम्स में देश के लिए जैवलिन थ्रो में पदक हासिल करने वाली पहली महिला बनीं। दरअसल, चोटिल होने की वजह से ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता नीरज चोपड़ा ने कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा नहीं लिया था।

1978 में अमी घिया ने कॉमनवेल्थ में जीता था पहला पदक, आज भी नए खिलाड़ियों से लेती हैं सीख

आज बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु, साइना नेहवाल का नाम बच्चा बच्चा जानता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज से 44 साल पहले, 1978 में कॉमनवेल्थ में भारत की तरफ से खेल रहीं शटलर अमी घिया ने इतिहास रचा था। वह देश की पहली ऐसी महिला थीं, जिन्होंने कॉमनवेल्थ खेलों में पदक जीता था।

जिस दिन पदक जीता उसी दिन खो दिया पिता को, जानें कितना मुश्किल रहा सुधीर के लिए यह सफर

सोनीपत (हरियाणा) के रहनेवाले पावरलिफ्टर सुधीर, आज सभी देशवासियों की आंखों के तारे बन गए हैं। इंग्लैंड के बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ खेलों में उन्होंने भारत को पैरा पावरलिफ्टिंग में गोल्ड दिलाया है।

शादी के एक माह बाद ही लॉन बॉल कैंप में चली गई थीं रूपा, 8-8 घंटे प्रैक्टिस कर जीता गोल्ड

कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने के बाद, लॉन बॉल खिलाड़ी रूपा रानी तिर्की बेहद उत्साहित हैं। इस कामयाबी के लिए उन्होंने कैंप में रोज़ 8-8 घंटे प्रैक्टिस की थी। यहां तक कि जनवरी में उनकी शादी को एक महीना ही हुआ था, जब उन्हें कैंप के लिए बुला लिया गया था।

सुशीला देवी के साइकिल से प्रैक्टिस पर जाने से लेकर, देश के लिए मेडल लाने तक का सफर था कठिन

By प्रीति टौंक

जुडोका सुशीला देवी लिकमाबाम ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में महिलाओं के 48 किग्रा फाइनल में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता। लेकिन यहां तक पहुंचने का उनका सफर आसान नहीं था।