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किसान से सीखिए प्याज़ स्टोर करने का देसी जुगाड़, कई महीनों तक नहीं होंगे खराब

By निशा डागर

हरियाणा में भिवानी के ढाणी माहु गाँव में छह सालों से जैविक खेती कर रहे सुमेर सिंह से सीखिए प्याज़ स्टोर करने के देसी तरीके।

MBA सरपंच ने बदली सूरत, हर साल 25 लाख लीटर बारिश का पानी बचाता है यह गाँव

By निशा डागर

MBA की डिग्री कर चुके, सत्यदेव गौतम, जब हरियाणा के पलवल जिले के भिडूकी गाँव के सरपंच बने, तब उन्होंने गाँव में बारिश के पानी को बचाने की मुहीम छेड़ी और आज यह गाँव हर साल 25 लाख लीटर बारिश का पानी बचाता है। जानिये कैसे कर दिखाया गाँववालों ने यह कमाल।

गूगल मैप पर भी नहीं है जिन गांवों का निशान, वहां बिजली पहुंचा रहा है यह इंजीनियर!

By निशा डागर

लद्दाख के सुमदा चेंमो गाँव में जब पारस लूम्बा और उनकी टीम ने बिजली लगाई तो जलते हुए बल्ब को देखकर एक बुजुर्ग की आँखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा, "मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरा घर रात में भी रौशन हो सकता है।"

#हमराही: नौकरी छोड़ पहुँच गए गाँव, 'साबुन' से बना दिया सैकड़ों महिलाओं को सशक्त!!

By निशा डागर

इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अनुराग और शिखा ने कॉलेज के दिनों से ही ठान लिया था कि वे आगे चलकर ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने के लिए काम करेंगे!

कभी बाढ़-प्रभावित रहे इस गाँव में आज लगे हैं 1 लाख से भी ज़्यादा पेड़!

By निशा डागर

गाँव में 10 किमी लम्बी नहर का निर्माण भी हुआ है, जिससे गाँव की 3, 000 एकड़ ज़मीन की सिंचाई अच्छे से हो रही है!

प्लास्टिक के बदले 250 बच्चों को मुफ़्त शिक्षा, किताबें और खाना दे रहा है यह स्कूल!

By निशा डागर

प्लास्टिक के कचरे को इकट्ठा कर स्कूल के गेट के पास रखे डस्टबिन में डालने के अलावा, बच्चे सड़क के दोनों ओर लगे 2, 000 पौधों को पानी भी देते हैं।

पढ़ाई के साथ संभाली गाँव की ज़िम्मेदारी, 32 लाख का काम करवाया सिर्फ़ 8.5 लाख रुपये में!

By निशा डागर

सिर्फ़ 21 साल की उम्र में सरपंच बनकर अपने गाँव की ज़िम्मेदारी लेने वाले पंथदीप को उनके विकास मॉडल और कामों के लिए प्रधानमंत्री द्वारा भी राष्ट्रीय सम्मान से नवाज़ा जा चुका हैं!

कड़ी मेहनत और जिद के जरिए स्कीइंग में लहराया परचम, पहाड़ की बेटियों के लिए बनीं प्रेरणा-स्रोत

By Sanjay Chauhan

स्कीइंग को हमेशा से ही पुरुषों का खेल माना जाता रहा। लेकिन वंदना ने स्कीइंग में बर्फीली ढलानों पर हैरतअंगेज करतब दिखाकर कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की और इस खेल में पुरुषों के प्रभुत्व को चुनौती देकर महिलाओं के लिए उम्मीदों की नयी राह खोली।

बिहार का पहला खुला शौच-मुक्त गाँव अब है बेफ़िक्र-माहवारी गाँव भी; शिक्षकों ने बदली तस्वीर!

बिहार में केवल 15-25 साल की केवल 31 प्रतिशत महिलाएं ही सुरक्षित रूप से अपने माहवारी का प्रबंधन करती है। ऐसे में इस तरह के सकारात्मक पहल हमें एक नए भविष्य की उम्मीद दिलाते हैं, जहाँ किशोरियों को भी बिना किसी भेद-भाव के अपने अधिकार मिले और वे लड़कों के साथ कंधे से कन्धा मिला कर चल सकें!

जब क्लास छोड़कर पहाड़ की चढ़ाई करने निकल गई बछेंद्री, बर्फ खाकर बुझाई थी प्यास!

23 मई, 1984 को माउंट एवेरेस्ट फ़तेह करने वाली बछेंद्री पाल पहली भारतीय महिला हैं। कई तरह की आर्थिक परेशानियों से गुज़र कर भी बछेंद्री पाल ने संस्कृत में एम. ए. और बी.एड. किया। उन्होंने पर्वतारोहण जैसे असाधारण करियर को अपनाया। तब किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक छोटे-से गाँव की यह लड़की एक इतिहास रचने वाली है।