MBA की डिग्री कर चुके, सत्यदेव गौतम, जब हरियाणा के पलवल जिले के भिडूकी गाँव के सरपंच बने, तब उन्होंने गाँव में बारिश के पानी को बचाने की मुहीम छेड़ी और आज यह गाँव हर साल 25 लाख लीटर बारिश का पानी बचाता है। जानिये कैसे कर दिखाया गाँववालों ने यह कमाल।
लद्दाख के सुमदा चेंमो गाँव में जब पारस लूम्बा और उनकी टीम ने बिजली लगाई तो जलते हुए बल्ब को देखकर एक बुजुर्ग की आँखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा, "मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरा घर रात में भी रौशन हो सकता है।"
सिर्फ़ 21 साल की उम्र में सरपंच बनकर अपने गाँव की ज़िम्मेदारी लेने वाले पंथदीप को उनके विकास मॉडल और कामों के लिए प्रधानमंत्री द्वारा भी राष्ट्रीय सम्मान से नवाज़ा जा चुका हैं!
स्कीइंग को हमेशा से ही पुरुषों का खेल माना जाता रहा। लेकिन वंदना ने स्कीइंग में बर्फीली ढलानों पर हैरतअंगेज करतब दिखाकर कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की और इस खेल में पुरुषों के प्रभुत्व को चुनौती देकर महिलाओं के लिए उम्मीदों की नयी राह खोली।
बिहार में केवल 15-25 साल की केवल 31 प्रतिशत महिलाएं ही सुरक्षित रूप से अपने माहवारी का प्रबंधन करती है। ऐसे में इस तरह के सकारात्मक पहल हमें एक नए भविष्य की उम्मीद दिलाते हैं, जहाँ किशोरियों को भी बिना किसी भेद-भाव के अपने अधिकार मिले और वे लड़कों के साथ कंधे से कन्धा मिला कर चल सकें!
23 मई, 1984 को माउंट एवेरेस्ट फ़तेह करने वाली बछेंद्री पाल पहली भारतीय महिला हैं। कई तरह की आर्थिक परेशानियों से गुज़र कर भी बछेंद्री पाल ने संस्कृत में एम. ए. और बी.एड. किया। उन्होंने पर्वतारोहण जैसे असाधारण करियर को अपनाया। तब किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक छोटे-से गाँव की यह लड़की एक इतिहास रचने वाली है।