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प्रीति टौंक

मूल रूप से झारखंड के धनबाद से आनेवाली, प्रीति ने 'माखनलाल पत्रकारिता यूनिवर्सिटी' से पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। ऑल इंडिया रेडियो और डीडी न्यूज़ से अपने करियर की शुरुआत करने वाली प्रीति को, लेखन के साथ-साथ नयी-नयी जगहों पर घूमने और अपनी चार साल की बेटी के लिए बेकिंग करने का भी शौक है।

मार्च में बोइए इन सब्ज़ियों के बीज और मई में खाइये ताज़ा सब्ज़ियां

By प्रीति टौंक

अब आसानी से उगा सकते हैं, अपने घर की छत या बालकनी में, शिमला मिर्च, अरबी, पेठा, करेला जैसी सब्जियां।

जानें, कैसे एक मजदूर की बेटी ने तय किया सरकारी स्कूल से इटली में पढ़ने जाने तक का सफर

By प्रीति टौंक

लखनऊ के गोसाईगंज के पास एक छोटे से गांव माढरमऊ की सोनाली साहू बचपन से ही पढ़ाई में अच्छी रही हैं। उनकी लगन और कुछ बनने की इच्छा को देखकर उनके स्कूल की प्रिंसिपल ने उनका साथ देने का फैसला किया। स्कूल प्रिंसिपल की छोटी सी मदद से सोनाली आज बड़े सपने भी देख पा रही हैं।

ऑपरेशन गंगा से लेकर कुवैत एयरलिफ्ट तक, भारत के पांच सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन्स

By प्रीति टौंक

पिछले साल कोरोना के समय लाखों भारतीयों को सुरक्षित घर लाना हो या इस साल यूक्रेन में छिड़ी जंग से भारतियों को बचाना। पढ़ें भारत के सबसे बड़े पांच एयरलिफ्ट ऑपरेशन्स के बारे में।

हादसे में खो दिए हाथ लेकिन हौसला रहा बुलंद!

By प्रीति टौंक

बाबू भाई परमार अहमदाबाद की सड़कों पर रहनेवाले बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि नौ साल की उम्र में उन्होंने अपने दोनों हाथ खो दिए थे, लेकिन पढ़ने के अपने शौक के कारण, उन्

कोल माइनिंग इलाके में उगाए सैकड़ों पौधे, सरकारी क्वार्टर को बना दिया फूलों का गुलदस्ता

By प्रीति टौंक

धनबाद में कोल इंडिया के क्वार्टर में रहनेवाली नेहा कच्छप बचपन से ही पौधों के बीच पली-बढ़ीं। नेहा को शादी के बाद, हरियाली की कमी हमेशा खलती थी। लेकिन उन्होंने शिकायत करने के बजाय, माइनिंग एरिया में भी सैकड़ों पौधे लगाकर, कई लोगों को चौंका दिया।

8 सालों से खुद घोंसले बनाकर मुफ्त में बांट रहे हैं शम्भू, अब तक बना चुके हैं 31 हजार चिड़ियों के घर

By प्रीति टौंक

गुजरात धांगध्रा में लकड़ी के फर्नीचर का काम करनेवाले, शम्भू भाई को चिड़ियों से विशेष प्यार है। अपने जीवन की एक करुण घटना से प्रेरित होकर, उन्होंने पक्षियों के मजबूत घोंसले बनाना शुरू किया। वह अब तक 31 हजार घोंसले बनाकर मुफ्त में बांट चुके हैं।

आधुनिकता और मजबूती में आज के आर्किटेक्चर को फेल करते हैं, दसवीं शताब्दी के मिट्टी के घर

By प्रीति टौंक

हिमालयन क्षेत्र में चलने वाली तेज हवा और जलवायु परिवर्तन से लेकर भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के साथ, ताबो मठ ने कई तूफानों का सामना किया है। मिट्टी से बने ये सालों पुराने मठ सस्टेनेबल आर्किटेक्चर का उत्तम उदाहरण हैं।

69 की उम्र में बनाया करोड़ों का ब्रांड, Indigo Flights में बिकती है इन्हीं की बिरयानी

By प्रीति टौंक

78 वर्षीया राधा डागा, ‘त्रिगुणी ईज़ ईट्स’ नाम से पैकेज्ड फ़ूड कंपनी चलाती हैं। तक़रीबन 10 साल पहले रिटायरमेंट की उम्र में उन्होंने अपने खाना बनाने के शौक के कारण इस बिज़नेस की शुरुआत की थी।