उत्तर-प्रदेश में मिर्ज़ापुर के एक गाँव पत्तीकापुर में 49 वर्षीय गोपाल खंडेलवाल पिछले 20 साल से यहाँ के बच्चों के जीवन में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। गोपाल एक दिव्यांग हैं और चल नहीं सकते हैं। व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे ही अब तक उन्होंने सैकड़ों बच्चों की ज़िंदगी संवारी है।
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निशा डागर
बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.
भूरी बाई: जिस भारत-भवन के निर्माण में की दिहाड़ी-मजदूरी, वहीं पर बनीं मशहूर चित्रकार!
मध्य-प्रदेश जनजातीय संग्राहलय में कलाकार के पद पर काम करने वाली भील चित्रकर भूरीबाई बरिया आज कला और संस्कृति जगह का प्रसिद्द नाम है। उनकी बनाई पेंटिंग्स मध्य-प्रदेश के संग्रहालय से लेकर अमेरिका तक अपनी छाप छोड़ चुकी हैं। वे भील आदिवासी समुदाय से संबंध रखती हैं और आज अपनी 'पिथोरा चित्रकला' को आगे बढ़ा रही हैं। क
ट्रेन से गिरकर घायल हुए यात्री को 1.5 किमी दौड़ते हुए इस सुरक्षा-कर्मी ने पहुँचाया अस्पताल!
तिलका मांझी: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला स्वतंत्रता सेनानी!
तिलका मांझी का जन्म 11 फरवरी, 1750 को बिहार के सुल्तानगंज में 'तिलकपुर' नामक गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था। साल 1857 में मंगल पांडे के विद्रोह से भी पहले साल 1770 में उन्होंने आज़ादी की लड़ाई शुरू की थी। कई लेखकों और इतिहासकारों ने उन्हें 'प्रथम स्वतंत्रता सेनानी' होने का सम्मान दिया है।
बदलाव : कभी भीख मांगकर करते थे गुज़ारा, आज साथ मिलकर किया गोमती नदी को 1 टन कचरे से मुक्त!
जब शिवाजी महाराज की सुरक्षा के लिए एक नाई ने दी अपने प्राणों की आहुति!
हमारे देश में हर साल 19 फरवरी को मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जाती है। शिवाजी महाराज का नाम इतिहास के पन्नों में अमर है। लेकिन उनके लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले कई ऐसे उनके साथी हैं, जिनके नाम आज कहीं धुंधला गये हैं। शिवा काशीद और बाजी प्रभु देशपांडे इन नामों में से एक हैं।
बिहार: 14 साल की उम्र में बनाई 'फोल्डिंग साइकिल,' अपने इनोवेशन से दी पोलियो को मात!
बिहार के पश्चिमी चंपारण के एक गाँव से ताल्लुक रखने वाले संदीप कुमार बचपन से ही पोलियो ग्रस्त हैं और भारतीय डाक सेवा में डाक सहायक के तौर पर कार्यरत हैं। इसके साथ ही, संदीप एक इनोवेटर हैं। उन्होंने एक 'फोल्डिंग साइकिल' बनाई, जिसके लिए साल 2009 में उन्हें नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ने सम्मानित किया।