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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

विजय सिंह 'पथिक': वह क्रांतिकारी पत्रकार, जिनके किसान आंदोलन के आगे झुक गये थे अंग्रेज़!

By निशा डागर

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार, विजय सिंह 'पथिक' का जन्म उत्तर-प्रदेश के बुलंदशहर जिले में गुठावली कलाँ नामक गाँव में साल 1882 में 27 फरवरी को हुआ था। उन्होंने राजस्थान के लोगों में जनक्रांति लाकर, इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा। साल 1954 में उनका निधन हुआ।

व्हीलचेयर पर बैठकर, 2,500 से भी ज़्यादा बच्चों को मुफ़्त शिक्षा दे चुके हैं गोपाल खंडेलवाल!

By निशा डागर

उत्तर-प्रदेश में मिर्ज़ापुर के एक गाँव पत्तीकापुर में 49 वर्षीय गोपाल खंडेलवाल पिछले 20 साल से यहाँ के बच्चों के जीवन में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। गोपाल एक दिव्यांग हैं और चल नहीं सकते हैं। व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे ही अब तक उन्होंने सैकड़ों बच्चों की ज़िंदगी संवारी है। 

भूरी बाई: जिस भारत-भवन के निर्माण में की दिहाड़ी-मजदूरी, वहीं पर बनीं मशहूर चित्रकार!

By निशा डागर

मध्य-प्रदेश जनजातीय संग्राहलय में कलाकार के पद पर काम करने वाली भील चित्रकर भूरीबाई बरिया आज कला और संस्कृति जगह का प्रसिद्द नाम है। उनकी बनाई पेंटिंग्स मध्य-प्रदेश के संग्रहालय से लेकर अमेरिका तक अपनी छाप छोड़ चुकी हैं। वे भील आदिवासी समुदाय से संबंध रखती हैं और आज अपनी 'पिथोरा चित्रकला' को आगे बढ़ा रही हैं। क

ट्रेन से गिरकर घायल हुए यात्री को 1.5 किमी दौड़ते हुए इस सुरक्षा-कर्मी ने पहुँचाया अस्पताल!

By निशा डागर

बीते शनिवार, 23 फरवरी 2019 को मध्य-प्रदेश में एक यात्री चलती ट्रेन से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया। ऐसे में, मध्य-प्रदेश पुलिस के कॉन्सटेबल पूनम चंद्र बिल्लोरे ने उस व्यक्ति को अपने कंधे पर उठाया और रेलवे लाइन पर लगभग डेढ़ किलोमीटर तक दौड़ते हुए, उसे समय रहते उपचार के लिए पहुँचाया।

'कोशिश करने वालों की हार नहीं होती' : बच्चन भी जिनकी कविताओं के थे कायल!

By निशा डागर

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती सोहनलाल द्विवेदी koshish karne walon ki haar nahi hoti harivansh rai bachchan sohan lal dwivedi

तिलका मांझी: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला स्वतंत्रता सेनानी!

By निशा डागर

तिलका मांझी का जन्म 11 फरवरी, 1750 को बिहार के सुल्तानगंज में 'तिलकपुर' नामक गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था। साल 1857 में मंगल पांडे के विद्रोह से भी पहले साल 1770 में उन्होंने आज़ादी की लड़ाई शुरू की थी। कई लेखकों और इतिहासकारों ने उन्हें 'प्रथम स्वतंत्रता सेनानी' होने का सम्मान दिया है।

बदलाव : कभी भीख मांगकर करते थे गुज़ारा, आज साथ मिलकर किया गोमती नदी को 1 टन कचरे से मुक्त!

By निशा डागर

10 फरवरी 2019, रविवार की सुबह, स्वयंसेवकों के एक समूह ने उत्तर-प्रदेश के लखनऊ में गोमती नदी के घाट की साफ़-सफाई की और वहाँ जमा हुए प्लास्टिक के ढेर को हटाया। ये 17 स्वयंसेवक, जिन्होंने यहाँ घाटों से प्लास्टिक के कचरे को साफ किया, वे कभी भिखारी हुआ करते थे। इसकी शुरुआत शरद पटेल ने की है।

भारत का 'रोनाल्डो' जरनैल सिंह, जिसने 6 टांके लगने के बाद भी दिलवायी भारत को ऐतिहासिक जीत!

By निशा डागर

20 फरवरी 1936 को पंजाब के होशियारपुर में जन्में जरनैल सिंह ढिल्लों भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व-कप्तान रहे। उन्होंने साल 1965-67 के दौरान कप्तानी संभाली। साल 1962 में हुए जकार्ता एशियाई खेलों में भारत की जीत का सबसे ज़्यादा श्रेय जरनैल सिंह को जाता है।

जब शिवाजी महाराज की सुरक्षा के लिए एक नाई ने दी अपने प्राणों की आहुति!

By निशा डागर

हमारे देश में हर साल 19 फरवरी को मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जाती है। शिवाजी महाराज का नाम इतिहास के पन्नों में अमर है। लेकिन उनके लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले कई ऐसे उनके साथी हैं, जिनके नाम आज कहीं धुंधला गये हैं। शिवा काशीद और बाजी प्रभु देशपांडे इन नामों में से एक हैं।

बिहार: 14 साल की उम्र में बनाई 'फोल्डिंग साइकिल,' अपने इनोवेशन से दी पोलियो को मात!

By निशा डागर

बिहार के पश्चिमी चंपारण के एक गाँव से ताल्लुक रखने वाले संदीप कुमार बचपन से ही पोलियो ग्रस्त हैं और भारतीय डाक सेवा में डाक सहायक के तौर पर कार्यरत हैं। इसके साथ ही, संदीप एक इनोवेटर हैं। उन्होंने एक 'फोल्डिंग साइकिल' बनाई, जिसके लिए साल 2009 में उन्हें नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ने सम्मानित किया।