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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

किस्से-कहानियां, हिन्दी में बच्चों की दुनिया!

By निशा डागर

साहित्य के पन्नों से में पढ़िए बच्चों के लिए लिखी गयीं खास हिंदी किताबों के बारे में। इन किताबों से न सिर्फ़ बच्चे आसानी से हिंदी सीख सकते हैं, बल्कि उनकी रूचि किताबें पढ़ने में भी बढ़ सकती है। इन किताबों में, मेरी बिंदी, रंग- रंगी कामिनी, समय का खटोला, पंचतंत्र की कहानियां आदि शामिल हैं।

करण सीकरी : अपनी मेहनत और लगन के दम पर खड़ा किया देश में पहला जैविक खाद का प्लांट!

By निशा डागर

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में शाहबाद मारकंडा जिले के डगाली गाँव से ताल्लुक रखने वाले करण सीकरी, एक प्रगतिशील किसान और उद्यमी हैं। उन्होंने साल 2004 में सीकरी फार्म्स की शुरुआत की और आज उनका बनाया जैविक खाद हरियाणा के आलावा पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर तक जाता है।

जानिए उस भारतीय वॉलीबॉल खिलाड़ी के बारे में, जिसके सम्मान में इटली में भी बना स्टेडियम!

By निशा डागर

8 मार्च 1955 को केरल में मालाबार क्षेत्र के पेरावूर में जन्में जिम्मी जॉर्ज भारतीय वॉलीबॉल खिलाड़ी थे। अगर उन्हें इस खेल का 'बादशाह' भी कहा जाये तो गलत नहीं होगा। मात्र 16 साल की उम्र में उन्होंने केरल कि राज्य टीम में जगह बना ली थी। 21 साल की उम्र में अर्जुन अवॉर्ड से नवाज़े जाने वाले वे एकमात्र वॉलीबॉल खिलाड़ी हैं।

जब 501 रूपये में बिका भारत में बना पहला नमक का पैकेट!

By निशा डागर

12 मार्च 1930 को गाँधी जी ने अपने साथियों के साथ साबरमती से 'दांडी मार्च' शुरू किया था, जिसे इतिहास में 'नमक सत्याग्रह' के नाम से जाना जाता है। उनके नेतृत्व में हज़ारों लोगों ने इस अहिंसात्मक आन्दोलन में भाग लिया। जगह-जगह पर लोगों ने नमक कानून तोड़कर ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती दी।

60 वर्षीय दिव्यांग ने ई-वेस्ट का इस्तेमाल कर बनाई ई-बाइक, मथुरा का 'देसी जुगाड़' बना प्रेरणा!

By निशा डागर

गुजरात में सूरत के रहने वाले 60 वर्षीय विष्णु पटेल ने बिना किसी प्रोफेशनल ट्रेनिंग और मदद के, अलग-अलग तरह के कचरे का इस्तेमाल कर 'ई-बाइक' बनाई

महिलाओं के मुद्दों को घर के चूल्हे-चारदीवारी से निकाल, चौपाल तक पहुँचाने वाली बेबाक लेखिकाएं!

By निशा डागर

द बेटर इंडिया पर, पढ़िए ऐसी कुछ लेखिकाओं के बारे में, जिनकी रचनाओं ने स्त्री के मुद्दों को घर के चूल्हे और चारदीवारी से निकालकर पुरुष-प्रधान चौपाल तक पहुँचा दिया। इनमें कृष्णा सोबती, अमृता प्रीतम, मृदुला गर्ग, कमला भसीन, इस्मत चुग़ताई, अनुराधा बेनीवाल और चित्रा देसाई जैसे नाम शामिल होते हैं!

मिलिए भारत के 'गूंगा पहलवान' से, देश के लिए जीते हैं 6 अंतर्राष्ट्रीय पदक!

By निशा डागर

हरियाणा के झज्जर जिले में ससरोली गाँव से ताल्लुक रखने वाले रेसलर विरेंदर सिंह को ज़्यादातर लोग, 'गूंगा पहलवान' के नाम से जानते हैं। वे भारत के सबसे सफल पहलवानों में से एक हैं। उन्होंने चार डेफलिम्पिक्स गेम्स और दो वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में 3 गोल्ड, 1 सिल्वर और 2 ब्रोंज मेडल जीते हैं।

3000 से भी ज़्यादा कारीगरों को रोज़गार देकर, 'पश्मीना' की विरासत को सहेज रहा है यह कश्मीरी युवक!

By निशा डागर

कश्मीर में श्रीनगर के रहने वाले 29 वर्षीय जुनैद शाहदार ने पश्मीना की विरासत और संस्कृति को सहेजने के लिए 'फम्ब' नाम से एक ऑनलाइन स्टार्टअप शुरू किया है। फम्ब फैशन हाउस से आप हाथ से बनी पश्मीना शॉल, स्कार्फ़, ब्लेज़र आदि खरीद सकते हैं। उनके इस स्टार्टअप से आज 3, 000 हाथ के कारीगरों को रोज़गार मिल रहा है।

92 की उम्र में विश्व की सबसे ऊँची मूर्ती बनाने वाले इस भारतीय कलाकार की बनायी मूर्तियाँ 150 देशों की शोभा बढ़ा रहें हैं!

By निशा डागर

महाराष्ट्र के धूलिया जिले के गोन्दुर गाँव में जन्में राम वंजी सुतार जी विश्व-प्रसिद्द मूर्तिकार हैं। अब तक उन्होंने लगभग 8, 000 छोटी-बड़ी मूर्तियाँ बनाई हैं। हाल ही में, उन्होंने 'स्टेचू ऑफ़ यूनिटी' सरदार पटेल की प्रतिमा का निर्माण किया है। यह दुनिया में अब तक की सबसे ऊँची प्रतिमा है।

कप्तान हवा सिंह: भारत का वह चैंपियन बॉक्सर, जिसने हरियाणा को बॉक्सिंग सिखाई!

By निशा डागर

भारतीय सेना में कप्तान और बॉक्सर हवा सिंह का जन्म 16 दिसंबर 1937 को हरियाणा में भिवानी जिले के उमरवास गाँव में हुआ था। हवा सिंह ने साल 1961 से लेकर 1972 तक लगातार 11 बार नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती। वे इकलौते भारतीय बॉक्सर हैं जिन्होंने एशियाई खेलों में बॉक्सिंग में दो स्वर्ण पदक जीते।