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साहित्य के पन्नो से

जिस दिन पदक जीता उसी दिन खो दिया पिता को, जानें कितना मुश्किल रहा सुधीर के लिए यह सफर

सोनीपत (हरियाणा) के रहनेवाले पावरलिफ्टर सुधीर, आज सभी देशवासियों की आंखों के तारे बन गए हैं। इंग्लैंड के बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ खेलों में उन्होंने भारत को पैरा पावरलिफ्टिंग में गोल्ड दिलाया है।

संघर्ष, संतोष, संबल और ज़मीन से जुड़ाव, कहानी अभिनेता राजेश तैलंग की

By मानबी कटोच

अभिनेता राजेश तैलंग (Rajesh Tailang) केवल एक मंझे हुए कलाकार ही नहीं, बल्कि एक सधे हुए कवि भी है। आज चर्चा, उनके संतोष भरे जीवन के साथ-साथ, उनकी किताब 'चाँद पे चाय' की!

अगर लाला लाजपत राय ने नहीं किया होता यह काम, तो आज भी गुलाम होता भारत

By प्रीति टौंक

पंजाब केसरी लाला लाजपत राय ने पंजाब के कई युवाओं की प्रेरणा थे, उनकी मौत का बदला लेने अंग्रेजों से लड़ पड़े थे भगत सिंह।

मंगल पांडे को कैसे दी गई फांसी? जेल के सभी जल्लादों ने कर दिया था इंकार

By प्रीति टौंक

अंग्रेजों की फ़ौज के सिपाही मंगल पांडे के विद्रोह से शुरू हुआ था भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम। पढ़ें, उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

सामाज के हर रंग से वाकिफ, व्यंग्य सम्राट हरिशंकर परसाई के तीखे शब्दों का मुकाबला है मुश्किल

By प्रीति टौंक

हिन्दी साहित्य के व्यंग्य विधा में सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार, हरिशंकर परसाई किसी भी तरह के परिचय के मोहताज़ नहीं हैं। उनकी कलम से निकले हर एक शब्द सच्चाई का आईना हैं। पढ़ें, उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

निर्मल वर्मा: आपके 'अकेलेपन का लेखक'

निर्मल वर्मा ने अपने जीवन में ‘वे दिन’, ‘लाल टीन की छत’ जैसी कई रचनाओं को अंजाम दिया। लेखनी में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

Rahat Indori: राहत इंदौरी नहीं रहे, एक आख़िरी सलाम इस अज़ीम शायर के नाम

By द बेटर इंडिया

करीब 50 दशक तक अपनी बेबाक उर्दू शायरी से हिंदुस्तान ही नहीं दुनिया का दिल जीतने वाले इस अज़ीम शायर ने 11 अगस्त 2020 की शाम को अपनी अंतिम साँसे ली।

'हैरी पॉटर' से 85 साल पहले, इस हिंदी उपन्यास ने दुनिया को सिखाया था जादू और तिलिस्म!

By निशा डागर

साल 1892 में लहरी प्रेस ने 'चंद्रकांता' उपन्यास को प्रकाशित किया था और इसके 102 साल बाद, 1994 में दूरदर्शन पर इसे धारावाहिक के तौर पर प्रसारित किया गया!

रवीन्द्र प्रभात: हिंदी में ब्लॉग लिखने का है शौक, तो इनसे ज़रूर मिले!

By निशा डागर

हिंदी के प्रसिद्द साहित्यकार और हिंदी ब्लॉगिंग को एक नयी पहचान देने वाले ब्लॉगर, रवीन्द्र प्रभात ने साहित्य की कई विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई है। साल 2007 से उन्होंने ब्लॉगिंग के ज़रिए हिंदी साहित्य में उभरते हुए सितारों को पहचान और सम्मान दिलाने का अभियान छेड़ा हुआ है।

स्त्री वेदना से अनअवगत समाज की सोच को झकझोरती मन्नू भंडारी की कहानी - 'मुक्ति'!

By मानबी कटोच

मृत्यु-मुखी पति की सेवा करती पत्नी की पीड़ा के ज़रिये मन्नू जी ने समाज का वह चेहरा सामने रखा है, जिसमें स्त्री को केवल सेवक के रूप में देखा जाता है और यह भुला दिया जाता है कि वह भी एक मानव है, जिसे पीड़ा होती है, जो थकती भी है और जिसे भूख भी लगती है!