IIT-गुवाहाटी के रिसर्चर्स ने भारतीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्रोस्थेटिक/आर्टिफिशिअल पैर डिजाइन किया है। इससे दिव्यांगजनों को कई तरह के काम खुद करने में सुविधा होगी। इसकी मदद से लोग आसानी से क्रॉस-लेग्ड बैठ सकते हैं, डीप स्क्वाटिंग कर सकते हैं। साथ ही हर आयु वर्ग के लोग इसका उपयोग कर सकते हैं।
IIT मद्रास के इन्क्यूबेशन सेंटर की मदद से यहां के पूर्व छात्र स्वास्तिक दाश ने NeoMotion स्टार्टअप की शुरुआत की, जिसके ज़रिए वह दिव्यांगजनों के लिए कस्टमाइजेबल व्हीलचेयर बना रहे हैं!
2018 में उन्होंने इंदौर में अपना पहला नेशनल्स खेला था और अब वह 2024 के पैरालिम्पिक्स की तैयारी कर रहे हैं और एक बार फिर से देश की जर्सी पहन देश का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने का सपना देख रहे हैं।
जिला कलेक्टर संदीप नंदूरी ने दिव्यांग जनों को 'कैफ़े' शुरू करने से पहले 45 दिन का होटल मैनेजमेंट कोर्स भी करवाया था। साथ ही उन्हें कलेक्ट्रेट परिसर में ही 'कैफ़े' शुरू करके दिया है क्योंकि यह लोग 'कैफ़े' का किराया देने जितने सक्षम नहीं हैं।
Maharashtra के सोलापुर जिले में शेतफल गाँव के निवासी योगेश कुमार भांगे प्राइमरी सरकारी स्कूल में टीचर हैं और साथ ही, 'वॉइस ऑफ़ वॉइसलेस' संगठन के संस्थापक भी। इस संगठन के ज़रिए उनका उद्देश्य ऐसे बच्चों के उत्थान के लिए काम करना है जो कि सुन नहीं सकते।