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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

माँ की आराधना से हुई थी तुकबंदी की शुरुआत, भविष्य में बनी साहित्य की 'महादेवी'!

By निशा डागर

हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में सुमित्रानन्दन पन्त, जयशंकर प्रसाद और सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के साथ-साथ महादेवी वर्मा का नाम शामिल होता है। हिंदी साहित्य की प्रख्यात कवयित्री और लेखिका, महादेवी वर्मा अपनी रचनाओं से साहित्य पर अमिट छाप छोड़ी है।

छत्तीसगढ़ : गाँव में लड़की के जन्म पर 5, 000 रूपये की एफडी करवाती है यह ग्राम पंचायत!

By निशा डागर

छत्तीसगढ़ में महासमुंद जिले के पिथौरा ब्लॉक में स्थित ग्राम पंचायत सपोस पूरे भारत में एक आदर्श ग्राम पंचायत की मिसाल पेश कर रही है। ग्राम पंचायत सपोस के अंतर्गत दो गाँव, सपोस और गबौद आते हैं। इन दोनों गांवों के विकास के लिए ग्राम पंचायत उम्दा कार्य कर रही है।

दुर्घटना के बाद कभी हाथ और पैर काटने की थी नौबत, आज हैं नेशनल पैरा-एथलेटिक्स के गोल्ड विजेता!

By निशा डागर

बिहार के 24 वर्षीय पैरा- एथलीट शेखर चौरसिया भी उन लोगों में से एक हैं, जिन्होंने हर एक चुनौती से लड़कर अपना रास्ता बनाया है। उन्होंने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित अलग- अलग पैरा-एथलीट चैंपियनशिप में गोल्ड व सिल्वर मेडल जीते हैं।

"मैं खुद अपना बॉस हूँ; कोई मुझे काम से निकाल नहीं सकता!"

By निशा डागर

पढ़िए मुंबई में रहने वाले इस मोची के बारे में, जिन्हें अपने काम से पूरी संतुष्टि है और उन्हें कोई डर नहीं कि कोई उन्हें काम से निकाल देगा। वे अब खुद अपने बॉस हैं।

शहीद भगत सिंह का वह साथी, जो साहित्य का तारा बनकर भी 'अज्ञेय' रहा!

By निशा डागर

हिंदी साहित्य की दुनिया 'अज्ञेय' उपनाम से मशहूर सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यानंद का जन्म 7 मार्च 1911 को उत्तर- प्रदेश में कुशीनगर के कस्या में हुआ था। साहित्यकार होने के साथ- साथ वे एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे, जिन्होंने शहीद भगत सिंह के साथ मिलकर आज़ादी की लड़ाई में भाग लिया था।

दरामली : देश का पहला 'कौशल्य गाँव', जिसके विकास को देखने आते हैं देश-विदेश से लोग!

By निशा डागर

गुजरात के साबरकांठा जिले के दरामली गाँव को स्वच्छता के साथ-साथ, देश का प्रथम 'कौशल्य गाँव' होने के का भी सम्मान प्राप्त है। इस गाँव की सरपंच, देसाई हेतल बेन अंकुर भाई हैं। उनके कार्यों से प्रेरित होकर ही उत्तर-प्रदेश के हसुड़ी औसानपुर गाँव के सरपंच दिलीप त्रिपाठी ने भी अपने गाँव का विकास किया है।

अचार बनाने जैसे घरेलु काम से खड़ा किया करोड़ो का कारोबार, जानिए कृष्णा यादव की कहानी!

By निशा डागर

दिल्ली के नज़फ़गढ़ में रहने वाली कृष्णा यादव के बनाये अचार, कैंडी, मुरब्बा, जूस आदि की मांग आज दिल्ली के आसपास के सभी राज्यों में है। वे 'श्री कृष्णा पिकल्स' कंपनी की मालकिन हैं और आज दिल्ली में उनकी कई फैक्ट्री हैं। उन्हें 'नारी शक्ति अवॉर्ड' से भी सम्मानित किया गया है।

शोर्ट-सर्किट अलार्म से लेकर मौसम का हाल बताने वाले स्टेशन तक, ग्रामीणों के लिए किये इनोवेशन!

By निशा डागर

उत्तर-प्रदेश के देवरिया जिले से ताल्लुक रखने वाले 30 वर्षीय अब्दुल कलीम एक इनोवेटर हैं और उन्हें साल 2009 में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ने भी सम्मानित किया था। अब तक उन्होंने लोगों की दैनिक ज़रूरतों और समस्याओं को हल करने के लिए कई तरह के आविष्कार बनाये हैं!

ज़िंदगी की छोटी-छोटी खुशियाँ हमेशा ही बहुत ख़ास और ज़रूरी होती हैं!

By निशा डागर

ज़िंदगी की हर छोटी-बड़ी ख़ुशी बहुत मायने रखती है। आपको बस हर एक लम्हे को जीना आना चाहिए। यही कहना है मुंबई के एक शख्स का, जो ड्राईवर है और अपनी ज़िंदगी में खुश है।

22 वर्षीय छात्र ने ली स्लम के बच्चों की ज़िम्मेदारी, आईआईटी के लिए तैयार करना है लक्ष्य!

By निशा डागर

22 वर्षीय श्री निवास झा राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से एम. ए कर रहे हैं। मूलतः बिहार के मधुबनी से ताल्लुक रखने वाले श्री निवास का परिवार भोपाल में रहता है। साल 2015 में भोपाल के अन्ना नगर स्लम में रहने वाले बच्चों के जीवन में शिक्षा का प्रकाश फैलाने के लिए उन्होंने 'आरोह तमसो ज्योति' पहल की शूरुआत की।