कर्नाटक के तुमकुर में रहने वाले जैन सनी हस्तीमल ने लगभग सात साल पहले, बेसहारा जानवरों को पानी पिलाने के लिए Water For Voiceless अभियान की शुरुआत की थी।
गांव में कुल 11 कुएं हैं जो हर साल अप्रैल में सूख जाते थे। यही हाल हैंडपंप के साथ भी होता था। 57 हैंडपंपों में से, लगभग 25 काम करना बंद कर देते थे और मानसून के समय ही फ़िर चालू होते थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है।
अगर आप अपने घर पर कार धोते हैं तो बाल्टी से 40 लीटर, पाइप से 80 लीटर और सर्विस सेंटर पर लगभग 150-200 लीटर पानी खर्च होता है। लेकिन 'गो वॉटरलेस' की तकनीक से आप यह सारा पानी बचा सकते हैं!
गर्मी से पशु-पक्षियों को बचाने के लिए उन्होंने इस साल करीब 6 लाख रूपये खर्च कर, 10,000 मिट्टी के गमले बांटने का प्राण लिया है और अब तक 9,000 गमले बाँट भी चुके हैं। उनका मानना है कि अगर हर-एक व्यक्ति इन गमलों में रोज़ पानी भरकर रखेगा तो इन गर्मियों में किसी भी पशु-पक्षी को प्यासा नहीं रहना पड़ेगा।
दिल्ली निवासी अलगरत्नम नटराजन को आज लोग 'मटका मैन' के नाम से भी जानते हैं। वे हर रोज साउथ दिल्ली में अनगिनत गरीब और जरुरतमंदों की प्यास बुझाते हैं। उन्होंने यहाँ के अलग-अलग इलाकों में लगभग 80 मटके लगवाए हैं और हर सुबह जाकर इन सारे मटकों को स्वच्छ और पीने योग्य पानी से भरते हैं।