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आर्मी कपल जिन्होंने बंजर ज़मीन पर बना दिया हरा-भरा होमस्टे

जहाँ कभी केवल कांटें उगते थे, उस ज़मीन पर आज बसा है हरियाली से घिरा देवरा होमस्टे! यह नतीजा है दिल्ली के रहने वाले मेजर दुर्गा दास और उनकी पत्नी ज्योति जसोल की मेहनत और जज़्बे का। 1994 में इस कपल ने अपने सपने को जीने का फैसला किया और आज वे देश-विदेश से आने वाले कई मेहमानों का अपने यहाँ स्वागत करते हैं; उन्हें हेरिटेज कुकिंग सिखाते हैं। इसके अलावा मेहमानों को बर्ड वॉचिंग, विलेज टूर जैसे कमाल के अनुभव कराते हैं।

40 फ़ीट ऊँचे आम के पेड़ पर बनाया घर, वह भी बिना कोई टहनी काटे

By निशा डागर

उदयपुर में रहने वाले कुल प्रदीप सिंह ने आम के पेड़ पर अनोखा 'ट्रीहाउस' बनाया है, वह भी बिना कोई टहनी काटे।

हिमाचल: अकेले शुरू किया शहर का कचरा समेटना, 100 क्विंटल कचरे को लैंडफिल में जाने से रोका

By निशा डागर

हिमाचल प्रदेश में लाहौल जिले के रहने वाले सुशील कुमार पिछले लगभग डेढ़-दो सालों से अपने व्यापर मंडल में आने वाली सभी दुकानों और ढाबों आदि से प्लास्टिक और काँच के कचरे को लैंडफिल में जाने से रोक रहे हैं!

राजस्थान: अकाउंटेंट की नौकरी छोड़ शुरू किया नर्सरी बिज़नेस, करते हैं लाखों का कारोबार

By निशा डागर

आकाशदीप ने जब नर्सरी बिज़नेस शुरू किया तो उन्हें अपने पहले प्रोजेक्ट में घाटा हुआ लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी गलतियों से सीखकर सफलता हासिल की!

12वीं पास युवक ने शुरू किया प्रोसेसिंग का व्यवसाय, 650 आदिवासी महिलाओं को मिला रोज़गार

By निशा डागर

पहले ये महिलाएं जंगलों से फल इकट्ठा करके सड़क किनारे बेचतीं थीं और मुश्किल से दिन के 100 रुपये कमा पातीं थीं। पर अब उन्हें भटकना नहीं पड़ता, वो फलों को इकट्ठा करके सीधा प्रोसेसिंग यूनिट के संग्रहण केंद्र पर पहुंचाती हैं, जहां से उन्हें बाज़ार के हिसाब से भाव मिल जाता है!

पॉकेट मनी इकट्ठा कर गरीब बच्चों को जूते, कपड़े और स्टेशनरी बाँट रहे हैं ये युवा!

By निशा डागर

सरकारी स्कूल के बच्चों को ठंड में बिना स्वेटर और नंगे पैर स्कूल आता देख इन युवाओं ने उनके लिए कुछ करने की ठानी!

उदयपुर की 'धरोहर': इस इवनिंग शो को देखने के लिए देश-विदेश से पहुँचते हैं पर्यटक यहाँ!

धरोहर का एक ही सपना है, कि लोक कलाकारों को एक मंच मिले और पूरा सम्मान भी। साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो।

पिछले 14 साल से उदयपुर की झीलों को साफ कर रहे हैं 73 वर्षीय हाजी सरदार मोहम्मद!

By भरत

लोग जब तक झीलों में कचरा डालते रहेंगे, हम साफ़ करते रहेंगे। मैं लोगों से कहता हूँ कि यह श्रमदान आप करवा रहे हैं, अगर आप झीलों को गन्दा नहीं करेंगे तो हमें इसकी ज़रुरत नहीं पड़ेगी। - हाजी सरदार मोहम्मद।