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26 /11 हमले में मल्लिका की सूझ-बूझ से बची थीं 60 लोगों की ज़िन्दगी!

By भरत

उस रात मल्लिका ने मौत को करीब से देखा था, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और अपने साथ ही उन लोगों की ज़िंदगी बचा लीं, जो जीने की उम्मीद छोड़ चुके थे।

पिछले 14 साल से उदयपुर की झीलों को साफ कर रहे हैं 73 वर्षीय हाजी सरदार मोहम्मद!

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लोग जब तक झीलों में कचरा डालते रहेंगे, हम साफ़ करते रहेंगे। मैं लोगों से कहता हूँ कि यह श्रमदान आप करवा रहे हैं, अगर आप झीलों को गन्दा नहीं करेंगे तो हमें इसकी ज़रुरत नहीं पड़ेगी। - हाजी सरदार मोहम्मद।

वह महिला वैज्ञानिक जिसने मौत से पहले कैंसर से लड़ते हुए लिखे थे 11 अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र!

By भरत

विजयलक्ष्मी ने कभी भी कैंसर को अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया। वह शक्ति और दृढ़ संकल्प की सच्ची प्रतिक थीं।

रीसाइकल्ड ऑफिस, रेस्तरां; गोबर और मिट्टी से बनाते हैं दीवारें, लकड़ी से बनती है फर्श!

By भरत

एक ग्रीन स्पेस बिल्डिंग और एक पारंपरिक बिल्डिंग के बीच तुलना करके लोग यह अनुमान लगाते हैं कि ग्रीन स्पेस बिल्डिंग महंगी है, लेकिन यह सच नहीं है। यदि निर्माण सामग्री को व्यवस्थित रूप से चुना जाए, तो यह न केवल लागत को कम करता है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।

मुंबई स्लम्स के कमरे से अमेरिका के विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक बनने तक का सफर!

By भरत

स्थानीय स्कूल कई बार जय का रिजल्ट रोक लेते थे क्योंकि उनकी माँ के पास भरने के लिए फीस नहीं होती थी। जय के घर में इतनी गरीबी थी कि कई बार रात को महज़ चाय पीकर और बिस्किट खाकर सोना पड़ता था।

ईंट भट्टे पर काम से लेकर मणिपुर की पहली ऑटो ड्राइवर बनने का सफर!

By भरत

"लोग मुझ पर हँसे, ताना मारा और मुझे चिढ़ाया, मुझे अपमानित महसूस कराया। लेकिन मेरे पास बहुत कम विकल्प थे, और मेरा एक ही लक्ष्य था- अपने बेटों को अच्छी शिक्षा देना।" - लाईबी ओइनाम

18 साल की उम्र में लगाया था पहला पौधा, 6 साल में 22 पार्कों की बदल दी सूरत!

By भरत

भुवनेश ने 18 की उम्र में ही प्लांटेशन को अपनी हॉबी बना लिया और शहर के सभी उजड़े पड़े पार्कों को हरियाली से भरने की सोची।

कैंसर पीड़ित होने के बावजूद नहीं मानी हार, रोज़ 200 बच्चों को खिलाती हैं मुफ़्त खाना!

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आँचल के पिता दिल्ली में ऑटो चलाने का काम करते हैं। आँचल अब तक करीब 1 लाख से ज़्यादा जरूरतमंद लोगों को खाना खिला चुकी हैं।

इन 9 महिला खिलाड़ियों में से तय होंगे पद्म अवॉर्ड विजेता, जानिए इनका सफर!

By भरत

भारतीय खेलों के इतिहास में पहली बार, युवा मामले और खेल मंत्रालय ने जिनके नाम इस पुरस्कार के लिए भेजे हैं, वे सभी एथलीट महिलाएं हैं।

कॉल सेंटर की नौकरी से लेकर IPS बनने तक का सफर!

By भरत

सूरज के कॉल सेंटर की नौकरी छोड़ने के फैसले पर उनके बॉस ने उनका इंक्रीमेंट दोगुना कर देने की पेशकश की, लेकिन सूरज नहीं माने। अपनी नौकरी के दौरान सूरज ने जो पैसे बचाए थे उसे लेकर 2007-08 में वे यूपीएससी की कोचिंग लेने के लिए दिल्ली चले गए। लेकिन लगभग छह महीने में ही उनके पास पैसे खत्म हो गए।