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स्वदेशी तकनीक और स्थानीय मज़दूर, ये आर्किटेक्ट कर चुके हैं बेहतर कल की शुरुआत

कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए मिट्टी का उपयोग करना एक शानदार तरीका है। यह न केवल बायोडिग्रेडेबल है, बल्कि यह हर जगह आसानी से उपलब्ध है, इसलिए इसे आसानी से बिल्डिंग तकनीकों में शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा मिट्टी का उपयोग करने से गर्मियों में अंदर का तापमान ठंडा होता है और सर्दियों में गर्म।

लकड़ी से बनी सीढ़ियां और सिलाई मशीन से वॉश बेसिन, यह कपल जीता है पूरी तरह सस्टेनेबल लाइफ!

By निशा डागर

"बहुत-सी चीजें हैं जिनके बिना हम जी सकते हैं और लॉकडाउन ने हमें यह सिखा भी दिया है।"

30% सस्ता और बिजली बिल में कटौती- ऐसे टिकाऊ घर बनाती है मुंबई की यह जोड़ी

By पूजा दास

22 लाख के कम बजट से लेकर 3-5 किलोमीटर के दायरे से स्थानीय निर्माण सामग्री खरीद कर मुंबई में unTAG द्वारा बनाया गया बंगला, सस्ता और टिकाऊ घर का उदाहरण बन गया है।

बांस और कचरे से महज़ 4 महीने में बनाया सस्ता, सुंदर और टिकाऊ घर

घर में ग्राउंड फ्लोर को मिलाकर कुल दो फ्लोर हैं और हर फ्लोर में दो लेवल हैं। साथ ही इस निर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली 90 प्रतिशत सामग्री रिसाइकल्ड है।

रीसाइकल्ड ऑफिस, रेस्तरां; गोबर और मिट्टी से बनाते हैं दीवारें, लकड़ी से बनती है फर्श!

By भरत

एक ग्रीन स्पेस बिल्डिंग और एक पारंपरिक बिल्डिंग के बीच तुलना करके लोग यह अनुमान लगाते हैं कि ग्रीन स्पेस बिल्डिंग महंगी है, लेकिन यह सच नहीं है। यदि निर्माण सामग्री को व्यवस्थित रूप से चुना जाए, तो यह न केवल लागत को कम करता है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।

100 साल पुराने घर की चीज़ों का दोबारा इस्तेमाल कर दिया नया रूप!

इस घर की नींव, खिड़कियां, दीवारें सब पुरानी चीज़ों से बनाई गई है। यह परिवार चाहता था कि पुराने घर की याद भी नए घर में रहे और पर्यावरण संरक्षण भी हो।

मुंबई के इन दो शख्स से सीखिए नारियल के खोल से घर बनाना, वह भी कम से कम लागत में!

By निशा डागर

इस एक आईडिया ने हमारी आँखे खोल दीं कि कैसे कचरे में जाने पर इन नारियल खोल में मच्छर आदि उत्पन्न होने लगते हैं, जबकि हम इनका इस्तेमाल घर बनाने में कर सकते हैं!

ईंट-सीमेंट पर खर्च किये बिना, हज़ारों किलो स्टील रीसायकल कर, कुछ ऐसे बनाया इस परिवार ने अपना घर!

यह परिवार शहर के आलीशान इलाके कफे परेड में रह रहा था, लेकिन इन्हें ऐसी जीवनशैली की तलाश थी जो साफ हवा, पानी और शुद्ध भोजन दे सके।

इस घर में न पंखा है न एसी; हर साल करते हैं 'एक लाख लीटर' पानी की बचत!

घर के बाहर एक ‘रीचार्ज वेल’ (कुआं) भी है, जो पानी की नाली से जुड़ा है। यह सालाना औसतन एक मिलियन लीटर पानी रीचार्ज करता है।