पत्थर, लकड़ी और मिट्टी से बना यह पारंपरिक हिमाचली होमस्टे कुंदन सिंह का है। वैसे तो यह उनके पूर्वजों का घर है, लेकिन आज अपनी मेहनत और मेहमान नवाज़ी से कुंदन, उनकी पत्नी और उनके तीन बच्चे, यानी पूरा परिवार इसे बखूबी चला रहे हैं। वे यहाँ देश-विदेश से आने वाले टूरिस्ट्स का स्वागत करते हैं और उन्हें अपने परिवार का ही हिस्सा बना लेते हैं।
कोलकाता के नीलांजन चक्रवर्ती ने पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना क्षेत्र में पर्यटकों की मेजबानी के लिए एक ऐसा होमस्टे बनाया है जहाँ कोई भी शहर की भाग-दौड़ वाले ज़िंदगी को भूलकर, शांति और सुकून से समय बिता सकता है।
यह घर है गुजरात के प्रगतिशील पशुपालक रमेश भाई का, जो गोंडल के पास वोरा कोटडा गांव में उनके खेत के बीच बसा हुआ है। यह घर देशी गाय का गोबर, नदियों के जल और और बिना सीमेंट के केवल प्राकृतिक चीज़ों से ही बना है, जो इसे बेहद खूबसूरत और सस्टेनेबल बनाते हैं।
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ की शोभा बढ़ातीं इमारतों और हवेलियों के बीच, एक घर ऐसा है जो मिट्टी का बना है और अपनी सुंदरता से आस-पास से गुज़रने वालों का ध्यान अपनी तरफ़ खींचता है। इसे देखकर किसी को भी लगेगा कि इस फार्महाउस को बनाने में सबसे महंगे और आधुनिक मटेरियल्स का इस्तेमाल किया गया होगा, लेकिन शून्य स्टूडियो की फाउंडर और आर्किटेक्ट श्रेया श्रीवास्तव कुछ और ही बताती हैं।
पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, जड़ी-बूटी, जैविक भोजन, सोलर पैनल.. राजस्थान के सीकर शहर में एक किसान का बनाया यह सस्टेनेबल फार्मस्टे ‘जोर की ढाणी’ अपने मेहमानों को एक अलग ही अनुभव देता है।
चूना, लाल मिट्टी, गाय के गोबर और भूसे जैसी चीज़ों से किए गए प्लास्टर और पुरानी मिट्टी से बनी छत तमिलनाडु के सस्टेनेबल होमस्टे 'मुथु नंदिनी पैलेस' को एक अलग लुक और एहसास देते हैं। काफ़ी गर्मी में भी इस होमस्टे का तापमान अंदर से ठंडा बना रहता है।
हरियाली से घिरे इस घर को बिना एक भी पेड़ काटे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह प्रकृति का ही हिस्सा लगता है! तमिलनाडु के शूलागिरि गाँव में स्थित इस घर को अवार्ड विनिंग आर्किटेक्ट वीनू डेनियल ने प्लास्टिक की 4000 बोतलों और मिट्टी से बनाया है।
जो प्लास्टिक की बोतलें हमें अकसर कचरे के ढेर में पड़ी नज़र आती हैं और सदियों तक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं.. औरंगाबाद की दो सहेलियों नमिता कपाले और कल्याणी भारम्बे ने वही हज़ारों प्लास्टिक की बोतलें इकट्ठाकर उनसे एक ईको-फ्रेंडली घर बनाया है; जो हर मायने में सस्टेनेबल है।
पीपल के एक बड़े और पुराने पेड़ के पास बसा है 7000 sqft में बना ‘अश्वत्थ'.. इसी वृक्ष से घर को अपना यह नाम भी मिला है। दिल्ली की आर्किटेक्चरल कंपनी Archiopteryx ने सदियों पुरानी पारम्परिक तकनीक से इसे बनाया है, जो हर मायने में सस्टेनेबल और ईको-फ्रेंडली है।