गुजरात के अमलसाड में सालों पुराने श्मशान को साल 2020 में एक नया रूप दिया गया। यहां की दो एकड़ जगह पर पहले मात्र श्मशान होने से इसका ज्यादा उपयोग नहीं हो पाता था, लेकिन अब यहां एक बेहतरीन गार्डन भी है जहां शहर के लोग समय बिताने आते हैं।
IIT हैदराबाद के पीएचडी स्कॉलर प्रियब्रत राउतराय और KIITS स्कूल ऑफ़ आर्किटेक्चर, भुवनेश्वर के शिक्षक, अविक रॉय ने मिलकर पराली से सस्टेनेबल 'बायो ब्रिक' बनाई है, जिसका इस्तेमाल घर बनाने में किया जा सकता है।
बेंगलुरु का घोष परिवार, हमेशा से ज़ीरो कार्बन वेस्ट वाले ईको-फ्रेंडली घर में रहना चाहता था। इसी सोच के साथ जब 2013 में उन्होंने अपना घर बनाया, तो इसमें प्राकृतिक साधनों के इस्तेमाल पर जोर दिया गया। कैसे बनाया उन्होंने अपने घर को एक सस्टेनेबल घर, चलिए जानें।
दिल्ली के रहनेवाले अनिल चेरुकुपल्ली और उनकी पत्नी अदिति ने शहरी जीवन छोड़, पहाड़ों में एक ऐसा फार्मस्टे बनाया, जिसकी उम्र 100 सालों से भी अधिक है। इसे बनाने में न पेड़ों को काटा गया है और न ही पहाड़ों को।
देश की कई जानी-मानी इमारतें डिज़ाइन कर चुके मुंबई के 'IMK आर्किटेक्ट्स फर्म' ने हाल ही में पुणे में एक अस्पताल बनाया है, जिसे लंदन, Surface Design Awards की ओर से सर्वश्रेष्ठ डिज़ाइन का अवॉर्ड मिला है।
हरियाणा के डॉ. शिव दर्शन मलिक ने गाय के गोबर से एक वैदिक घर बनाया है। गाय के गोबर से बनी ईंटों और वैदिक प्लास्टर (vedic plaster) के इस्तेमाल से बना यह घर, गर्मियों में ठंडा तो रहता ही है, साथ ही इस घर के अंदर की हवा भी शुद्ध रहती है।
लक्षद्वीप के रहनेवाले अली मणिकफन सिर्फ सातवीं कक्षा तक ही पढ़ाई की थी। लेकिन, इस साल उन्हें 'ग्रासरूट्स इनोवेशन' की श्रेणी में पद्म श्री से सम्मानित किया गया। जानिए 14 भाषाएँ जानने वाले इस बिना डिग्री के विद्वान की अद्भुत कहानी!