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जूट, मिट्टी और हल्दी से बनाया इको-फ्रेंडली रेस्टोरेंट, जानिए कैसे!

अहमदाबाद में रहने वाले भाद्री और स्नेहल ने अपनी फर्म tHE gRID Architects के तहत, मिट्टी, हल्दी और जूट का इस्तेमाल करते हुए, ‘मिट्टी के रंग’ नाम से एक रेस्टोरेंट को बनाया, जो इको-फ्रेंडली होने के साथ ही, 50 फीसदी सस्ता भी है।

Video: मिलिए बेंगलुरु की एक ऐसी जोड़ी से, जिनके घर में न पंखा है, न बल्ब!

बेंगलुरू के रहने वाले रंजन और रेवा मलिक का घर पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। यही कारण है कि ग्रिड पावर पर उनकी निर्भरता काफी कम हो गई है।

मिट्टी से घर बनाना, पिछड़ेपन का प्रतीक है?” ऐसे कई मुद्दों को सुलझा रहे यह आर्किटेक्ट

बेंगलुरु के रहने वाले सत्य प्रकाश वाराणशी अपनी फर्म सत्य कंसल्टेंट्स के तहत, पिछले करीब 28 वर्षों से आर्किटेक्चर के क्षेत्र में इको-फ्रेंडली संरचनाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं। इस दौरान उन्होंने 500 से अधिक परियोजनाओं को अंजाम दिया है।

धूप, पानी और हवा का अध्ययन कर, बनातीं हैं सस्टेनेबल भवन, जानिए कैसे

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, आर्किटेक्ट अनघा जोशी और मधुरा जोशी ने आम लोगों की आर्किटेक्चर से संबंधित परेशानियों को हल करने के लिए, अपनी कंपनी Lab A+U की शुरुआत की। जिसके तहत वे अभी तक करीब 60 परियोजनाओं पर काम कर चुके हैं।

मिट्टी-पत्थर-लकड़ी से बनाते हैं घर, निर्माण में लगीं लकड़ियों से दस गुना उगाते हैं पेड़

स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली से पढ़ाई करने के बाद संदीप बोगाधी ने दिल्ली और बेंगलुरु के फर्मों के लिए काम किया। लेकिन, कुछ अलग करने की चाहत में, उन्होंने नौकरी छोड़ लद्दाख को ही अपना घर बना लिया।

मिलिए एक ऐसी जोड़ी से, जिनके घर में न पंखा है और न ही बल्ब!

बेंगलुरू के रहने वाले रंजन और रेवा मलिक के घर को माहिजा डिजाइन कंसल्टेंसी फर्म द्वारा बनाया गया है। इसकी पेरेंट कंपनी, मृणमयी है। इस कंपनी को 1988 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के छात्र रह चुके डॉ. योगानंद द्वारा शुरू किया गया था।

चार दोस्तों का कमाल, 5 लाख बेकार प्लास्टिक की बोतलों से अंडमान में बनाया रिसॉर्ट!

अंडमान निकोबार द्वीप समूह में रहने वाले जोरावर पुरोहित ने साल 2017 में, अपने तीन दोस्तों अखिल वर्मा, आदित्य वर्मा और रोहित पाठक के साथ मिलकर आउटबैक हैवलॉक को शुरू किया। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। इस द्वीप पर बेकार पड़े 5 लाख बोतलों को रीसायकल कर बनाया गया है।

इस आर्किटेक्ट ने 100 साल पुराने स्कूल को दिया नया रूप, सैकड़ों पेड़ों को कटने से बचाया

महाराष्ट्र के नासिक में 100 साल पुराना एक स्कूल है। स्कूल प्रबंधन की इच्छा थी कि स्कूल भवन को तोड़कर फिर से बनाया जाए, लेकिन आर्किटेक्ट धनंजय ने इस स्कूल को न केवल टूटने से बचा लिया, बल्कि इसे फिर से एक नया जीवन भी दिया है।

परंपरागत “जाली” तकनीक का इस्तेमाल कर बनाया ईको-फ्रेंडली हॉस्टल, करीब आधी हुई AC की जरुरत

दिल्ली स्थित जेडईडी लैब के निदेशक सचिन रस्तोगी का मानना है सचिन के विचारों में, जीवन की गुणवत्ता में तभी सुधार होता है, जब सभी हितधारकों के साथ-साथ पर्यावरण को भी लाभ हो। उनका यह विचार, उनके आवासीय परियोजनाओं से लेकर व्यावसायिक परियोजनाओं में दिख जाता है।

कुल्हड़ से बनी छत और लकड़ी-पत्थर के शानदार मकान, ये आठ दोस्त बदल रहे हैं गाँवों की तस्वीर

आर्किटेक्टचर कंपनी कंपार्टमेंट्स एस4 की शुरुआत सीईपीटी, अहमदाबाद के 8 दोस्तों ने मिलकर की। इसके तहत उनका इरादा सस्टेनेबल आर्किटेक्चर के जरिए सामुदायिक विकास को बढ़ावा देना था और महज 3 वर्षों में ही उन्होंने इस दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं।