इस साल 'द बेटर इंडिया' पर जिन भी किसानों की कहानियाँ लिखी गयी हैं, सभी अपने आप में खास हैं। पर आज हम उन कहानियों को एक बार फिर आपके सामने रख रहे हैं, जिन्हें आपने सबसे ज़्यादा पढ़ा और सराहा है!
व्हाट्सअप से शुरू हुए इस बिज़नेस के लिए उनकी लागत मात्र 3, 500 रूपये रही। पहले वे सभी काम अकेले करती थीं, लेकिन अब उनके स्टाफ में सब्ज़ियां काटने के लिए 9 महिलाएं और 10 डिलीवरी एजेंट हैं!
पहले शहर की गन्दगी की ओर लोगों का रवैया बेहद उदासीन था, लेकिन उनकी खूबसूरत पेंटिंग्स ने वो कमाल कर दिखाया है कि अब लोग अपनी मर्ज़ी से इन खूबसूरत दीवारों के आसपास साफ़-सफाई रखने लगे हैं।
Maharashtra में पुणे की रहने वाली 42 वर्षीय अमिता मराठे ने साल 2013 में एक बच्ची गोद ली है। उन्होंने शादी नहीं की, लेकिन वे बच्चा गोद लेना चाहती थीं। उनके इस फ़ैसले में उनके परिवार ने उनका पूरा योगदान दिया।
शहर में जिस तेजी से शू स्टोर खुलते हैं उतनी रफ्तार से बुक स्टोर नहीं खुल रहे। और पहले जैसी लाइब्रेरी की परंपरा भी चूकने लगी है। लेकिन इस दौर में अक्षता जैसे युवा सब्र का मंज़र दिखाते हैं। वो याद दिलाते हैं कि सब कुछ चूका नहीं है।
महाराष्ट्र के पुणे में स्थित अस्पताल, रूबी हॉल क्लिनिक में एक कार्डिएक सर्जन होने के साथ-साथ डॉ. मनोज दुरैराज, मैरियन कार्डिएक सेंटर एंड रिसर्च फाउंडेशन के हेड भी हैं। यहाँ वे दिल की बिमारियों से पीड़ित मरीज़ों का इलाज मुफ़्त में करते हैं।