राजस्थान का एक ऐसा घर, जहां कबाड़ का बढ़िया इस्तेमाल कर उगाए गए हैं हज़ारों पौधे

राजस्थान के गर्म इलाके में, जहाँ पौधे उगाना लगभग नामुमकिन जैसा लगता है, ऐसे में बाड़मेर के आनंद माहेश्वरी ने अपने घर पर 150 से अधिक किस्म के हजारों पौधे उगाए हैं, वह भी खाली डिब्बों और प्लास्टिक बैग्स में।

कोरोना काल, एक ऐसा समय था जब प्रकृति ने हमें पेड़-पौधों की अहमियत को बड़े अच्छे से समझा दिया। ऐसे में होम गार्डनिंग करने वालों को जो लोग ताना मारा करते थे, वही लोग आज गार्डनर्स से पौधे उगाना सीख रहे हैं। बाड़मेर के रहनेवाले 40 वर्षीय आनंद माहेश्वरी के लिए भी कोरोना के बाद से गार्डनिंग, शौक़ और उनका पार्ट टाइम काम, दोनों बन चुका है। अपना खुद का एक टेरेस गार्डन रखनेवाले आनंद शहर के एक स्कूल में बच्चों को ज़ीरो वेस्ट गार्डनिंग के ज़रिए पौधे उगाना सिखा रहे हैं। इतना ही नहीं आनंद शहरभर में गार्डनिंग एक्सपर्ट के नाम से मशहूर भी हो चुके हैं। 

Plants in cold drink bottles
Plants in cold drink bottles

द बेटर इंडिया से बात करते हुए आनंद बताते हैं, “हाल ही में मुझे एक 75 वर्षीया बुजुर्ग महिला ने बुलाया था, क्योंकि उनका सालों पुराना घर टूटकर नए सिरे से बन रहा है। ऐसे में वह चाहती हैं कि उनके गार्डन का एक भी पौधा बर्बाद न हो। मैं नए घर में गार्डन बनाने में उनकी मदद कर रहा हूँ।”

इसके साथ-साथ उनके टेरेस गार्डन में शहर के कई यूट्यूबर्स का भी आना जाना लगा रहता है। यूं कहें कि होम गार्डन का एक परफेक्ट उदाहरण है उनका घर,  जिसे देखने कई लोग आते रहते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या ख़ास है उनके टेरेस गार्डन में?

लगाए 150 किस्मों के 1000 हज़ार से ज़्यादा पौधे

दरअसल, आनंद ने बड़े ही सुन्दर तरीके से बेकार और कबाड़ की चीज़ों का इस्तेमाल करके अपने गार्डन को सजाया है। उन्होंने छोटी-छोटी बोतलों से लेकर बड़े-बड़े डिब्बों तक में हज़ारों पौधे लगाए हैं, जिससे उनका घर तपती गर्मी वाले शहर की एक ग्रीन बिल्डिंग बन चुका है।  

आनंद, बाड़मेर में ही रेडीमेड कपड़ों का बिज़नेस करते हैं। जबकि उनके  पिता रिटायर्ड बैंक अधिकारी हैं। यूं तो,  आनंद को बचपन से ही पौधों से लगाव था, लेकिन पिता की नौकरी के कारण उन्हें हमेशा एक शहर से दूसरे शहर में जाना पड़ता था। आनंद कहते हैं, “जहां भी पिता का ट्रांसफर होता वहां मैं कुछ-कुछ पौधे लगाता रहता था। लेकिन बाद में उन्हें अपने साथ लाने के बजाय, वहीं पड़ोसियों को दे दिया करता था। मैं कोशिश करता था कि किसी सीनियर सिटिज़न को अपने पौधे दूँ।”

लेकिन आठ साल पहले जब उन्होंने यहां स्थायी रूप से रहना शुरू किया, तब उन्होंने अपना स्थायी टेरेस गार्डन बनाना भी शुरू किया। शुरुआत में उन्होंने कुछ फूलों के पौधे जैसे गेंदा, गुलाब और अडेनियम आदि लगाना शुरू किया था। साथ ही कुछ हार्डी प्लांट्स और तुलसी के पौधे भी लगाए थे। 

लेकिन आज उनके घर में 150 से ज़्यादा किस्मों के क़रीबन एक हज़ार पौधे मौजूद हैं।   

आसान नहीं था राजस्थान की गर्मी में पौधे लगाना 

Anand's home in Rajasthan
Anand’s Home

आनंद ने अपने घर की छत के तक़रीबन 800 स्क्वायर फ़ीट एरिया में पौधे लगाए हैं। शुरुआत में उन्हें पौधों की ज़्यादा जानकारी नहीं थी। वह नर्सरी में जाकर जो भी अच्छा पौधा दिखता, उसे खरीदकर ले आते थे। कई पौधे लगाने के बाद वे मर जाते थे।  

उन्होंने बताया कि बाड़मेर में सीमेंट के गमले ही ज़्यादा मिलते हैं,  लेकिन यहां के मौसम और इन गमलों में पौधे एक-डेढ़ साल से अधिक नहीं चलते थे। इसलिए उनका काफी खर्च भी होता था, जिसके बाद उन्होंने घर के कबाड़ को ही इस्तेमाल करना शुरू किया।  सबसे पहले उन्होंने खाली तेल के डिब्बों को पॉट बनाना शुरू किया। 

आनंद कहते हैं, “मेरे पिता ने मुझे डांटा और कहा-  क्यों ये कचरा इकठ्ठा कर रहे हो? लेकिन मैंने उनसे कहां कि आप मुझे ही कबाड़ वाला समझकर इन डिब्बों को बेंच दीजिए,  ये मेरे काम की चीज़ है।” इस तरह उन्हें अपने प्रयोग से पता चला कि सीमेंट के गमले की जगह ये खाली डिब्बे अच्छा काम कर रहे हैं। 

बस फिर क्या था, उन्होंने अपनी माँ और पत्नी से कहा कि कोई भी खाली थैली या डिब्बा फेंकने के बजाय, उन्हें दे दिया करें। उन्होंने दूध की थैली, नमकीन और डिटर्जेंट के पैकेट्स और कोल्डड्रिंक की बॉटल्स में पौधे उगाना शुरू कर दिया।  यहां तक कि वह अपने आस-पास के मेडिकल स्टोर्स से खाली थर्माकोल डिब्बे भी लेकर आते और उसमें पौधे लगाते थे।

Anand's  terrace garden
Anand’s terrace garden

कोरोना काल में हजारों गार्डनिंग वीडियोज़ देख, सीखी बागवानी 

आनंद के घर में सजावटी और फूल के पौधे ही ज़्यादा हैं। हालांकि उन्होंने कुछ सब्जियों के पौधे लगाना भी शुरू किया था, लेकिन तेज़ धूप में इन पौधों को उगाने में उन्हें ज़्यादा सफलता नहीं मिली।   

शुरुआत में उनके गार्डनिंग के शौक़ को लोग ज़्यादा गंभीरता से नहीं लेते थे। आनंद बताते हैं, “कई लोग तो मुझे ताना मारते थे कि क्या दिनभर पौधे उगाता रहता है, माली बनना है क्या? लेकिन कोरोना में नीम और गिलोय के पत्ते लेने लोग मेरे पास ही आते थे।”

गार्डनिंग के प्रति उनकी दीवानगी कोरोना काल में और ज़्यादा बढ़ गई। उस दौरान वह अपना सारा समय टेरेस गार्डन में ही बिताते थे। उन्होंने एक पौधे से कई पौधे उगाए और घर के हर कोने में पौधे लगाना शुरू किया। 

इस दौरान वह इंटरनेट पर गार्डनिंग के ढेरों वीडियोज़ देखते थे। उन्होंने हिंदी, अंग्रेज़ी यहां तक कि लोकल भाषाओं में गार्डनिंग के कई वीडियोज़ देखे। उनका दावा है कि लोकल नर्सरी से कहीं ज़्यादा जानकारी अब उनके पास है।  

उन्होंने इंटरनेट पर देखकर ही अपने छत पर हाइड्रोपोनिक सेटअप भी तैयार किया है। वहीं अपने घर के बाहरी छज्जे पर रखे पौधों को पानी देने के लिए उन्होंने खुद से ही एक ड्रिप इर्रिगेशन सिस्टम भी बनाया है।  

Beautiful terrace garden
Beautiful terrace garden

बच्चों को सिखा रहे गार्डनिंग और कुछ अच्छी आदतें

कोरोना काल में उन्होंने गार्डनिंग के शौकीन लोगों को पौधे बाँटना भी शुरू किया। उनका कहना है, “मैं कोशिश करता हूँ कि उन बुज़ुर्गों को गार्डनिंग करने में मदद करूं, जो घर पर बिना काम के बोर होते रहते हैं। मैं उन्हें फ्री में पौधे देता हूँ और घर के कबाड़ से गार्डन तैयार करने में मदद करता हूँ।”

इस तरह उन्होंने अपने परिवार के लिए तो एक बेहतरीन हरा-भरा गार्डन बनाया ही है, साथ ही वह पूरे शहर में भी हरियाली फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।  

पिछले कुछ महीने से वह शहर के एक स्कूल में भी बच्चों को गार्डनिंग सिखा रहे हैं और स्कूल गार्डन की देखभाल कर रहे हैं। आनंद बताते हैं, “मैंने एक प्रोजेक्ट में बच्चों को घर से खाली कोल्ड ड्रिंक की बोतलें लाने को कहा था।  उस दौरान हमने 300 प्लास्टिक की बोतल जमा की थी। बाद में हमने उन बोतलों में हैंगिग प्लांट्स लगाए और बच्चों की क्लासरूम के बाहर टांग दिए, जिसकी ज़िम्मेदारी बच्चे खुद उठाते हैं और अपनी पानी की बोतल से बचा हुआ पानी पौधों में नियमित रूप से डालते हैं।” 

आनंद ने कभी सोचा भी नहीं था कि उनका यह शौक़ एक दिन उन्हें इतना मशहूर बना देगा और गार्डनिंग के ज़रिए वह लोगों की मदद भी कर सकेंगे।  

आप उनसे गार्डनिंग से जुड़ी जानकारियां लेने के लिए उन्हें फेसबुक पर संपर्क कर सकते हैं।  

हैप्पी गार्डनिंग!

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