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एक इंजीनियर का बनाया यह कैफ़े है ख़ास, यहाँ खाएं, पकाएं, बर्तन धोएं और घर ले जाएँ

हरियाणा के डाबला गांव के रहनेवाले नीरज शर्मा पेशे से तो इंजीनियर हैं, लेकिन जब उन्हें मिट्टी के बर्तनों का महत्त्व पता चला, तो उन्होंने केमिकल-मुक्त मिट्टी के बर्तन बनाने और बेचने के साथ-साथ लोगों को भी इसके गुणों से जोड़ना चाहा और इस तरह शुरुआत हुई ‘मिट्टी रसोई’ की!

एक चम्मच इतिहास 'चाय' का!

यूं तो पीने के लिए दुनियाभर में बहुत सारे ड्रिंक्स मौजूद हैं, लेकिन चाय की बात ही कुछ और है। चाय-प्रेमियों को जब तक सुबह-सुबह एक प्याली अच्छी सी चाय न मिल जाए, तब तक सारे काम किनारे कर दिए जाते हैं। सारी प्रेम कहानियां एक तरफ और चाय के लिए हमारी दीवानगी एक तरफ़! तो आइए, आपकी जान 'चाय' के इतिहास की रोचक कहानी सुनते हैं-

बिजली से लेकर पेट्रोल तक सब फ्री, यह किसान बेकार गोबर से पूरी करता है सारी जरूरतें

By प्रीति टौंक

शाजापुर, मध्य प्रदेश के किसान देवेंद्र परमार ने अपनी सूझ-बूझ से कमाल का सिस्टम तैयार किया है। कचरे में जानेवाले गोबर से वह CNG गैस बनाते हैं। अब उन्हें पेट्रोल और बिजली के लिए बिल्कुल पैसे खर्च नहीं करने पड़ते।

ट्री हाउस में रहने से लेकर जैविक खेती तक, जीवन का अलग अनुभव कराता है यह अनोखा फार्मस्टे

ऑर्गेनिक फार्मिंग से लेकर कम्पोस्टिंग तक, सब सीख सकते हैं मंगलुरु के नज़दीक केपु गाँव में बसे इस अनोखे 'वारानाशी फार्मस्टे' में। साथ ही यहाँ आने वाले मेहमान कायाकिंग और स्विमिंग जैसी कई एक्टिविटीज़ में भी भाग ले सकते हैं।

एक चम्मच इतिहास 'पान' का!

बनारसी पान तो पूरी दुनिया में मशहूर है, लेकिन मद्रासी, कपूरी, सुहागपुरी, रामटेकी, महोवा पान भी कम नहीं। पान का पत्ता चखते ही उसकी क़िस्म के बारे में बता देने वाले महारथी भी देश में कम नहीं हैं। पान का यह पत्ता हमारे खान-पान और संस्कृति के ताने-बाने में कुछ इस तरह से रचा बसा है कि इसे नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है। इसे हम आज भी वहीं पाते हैं, जहां यह सदियों पहले था।

पति की याद में पत्नी की सेवा, फ्री में चला रहीं एम्बुलेंस, आई सैकड़ों मरीजों के काम

By प्रीति टौंक

मिलिए राजकोट की संगीता हरेश शाह से, जिनके नेक काम के कारण आज शहर के कई ज़रूरतमंद मरीजों को फ्री में एम्बुलेंस सेवा मिल रही है। पढ़ें उनकी कहानी और जानिए क्यों और कैसे हुई इस काम की शुरुआत।

मिट्टी, पत्थर और लकड़ी से बना हिमाचल का सस्टेनेबल होमस्टे 'जंगल हट'

मनाली से 8 Km दूर कन्याल गांव में बना 'जंगल हट' हिमाचल आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। बड़े-बड़े आलिशान और सुविधाजनक होटल छोड़कर लोग इंजीनियर अतुल बोस के इस मिट्टी, पत्थर और लकड़ी से बने होमस्टे में ठहरने आते हैं, जहाँ उन्हें प्रकृति के बीच रहने और सस्टेनेबल लिविंग का अनुभव मिलता है।

एक चम्मच इतिहास ‘लिट्टी-चोखा’ का!

चंद्रगुप्त मौर्य मगध के राजा थे, जिनकी राजधानी पाटलिपुत्र वर्तमान में पटना है। लेकिन उनका साम्राज्य अफगानिस्तान तक फैला था। इतिहासकारों के मुताबिक चंद्रगुप्त मौर्य के सैनिक युद्ध के दौरान अपने साथ लिट्टी चोखा रखते थे। 18वीं शताब्दी की कई किताबों के अनुसार लंबी दूरी तय करने वाले मुसाफिरों का मुख्य भोजन था लिट्टी चोखा।

इलाज से लेकर शिक्षा तक, 75 दिव्यांग बच्चों के पिता बनकर उनका ख्याल रखते हैं अनिल

By प्रीति टौंक

एक गरीब माँ को अपने दिव्यांग बच्चे के साथ देखकर, आगरा के अनिल जोसेफ को ऐसे और बच्चों की मदद करने का ख्याल आया। उन्होंने ऐसे गरीब और बेसहारा दिव्यांग बच्चों के लिए एक एनजीओ शुरू करके एक शेल्टर होम बनाया, जो आज 75 विशेष बच्चों का घर बन चुका है।

सस्टेनेबल आर्किटेक्चर का बेहतरीन नमूना है मिट्टी, स्टील और रीसाइकल्ड लकड़ी से बना यह घर

आम घरों के मुकाबले 50% कम खर्च में तैयार हुआ है कोल्हापुर में बसा 'गौड़ देश' इको फ्रेंडली घर, जहां मौजूद हैं बायो गैस, मिट्टी का फ्रिज, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग जैसी सभी सस्टेनेबल सुविधाएं। सस्टेनेबल आर्किटेक्चर का यह बेहतरीन नमूना पर्यावरणविद् राहुल देशपांडे की पहल है, जिसे उन्होंने प्रकृति के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को समझते हुए बनाया है।